नई दिल्ली: सुशासन दिवस 2016 के अवसर पर केंद्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने आज नई दिल्ली में वस्त्र मंत्रालय की निम्नलिखित पहलों का शुभारंभ किया :
- राज्य खरीद एजेंसियों द्वारा जूट उद्योग से जूट बैग खरीदने की सुविधा के लिए एक ऑनलाइन पोर्टल ‘जूट-स्मार्ट’
- जनता तक पहुंच के साथ एनआईसी पर एकीकृत कौशल विकास योजना के लिए डैशबोर्ड
- हथकरघा बुनकरों की सहायता के लिए एक हेल्पलाइन-बुनकर मित्र
बी-ट्बिल-सैकिंग की खरीद के लिए जूट-स्मार्ट ई-शासन पहल एक महत्वपूर्ण साधन है।
जूट-स्मार्ट इस क्षेत्र में आसानी से सूचना उपलब्ध होने, अधिक पारदर्शिता लाने और व्यापार में आसानी जैसी सुविधाओं के साथ सभी हितधारकों के द्वारा उपयोग हेतु एक एकीकृत मंच प्रदान करने का माध्यम है। जूट-स्मार्ट एक वेब आधारित एप्लीकेशन है जिसे बी-ट्बिल-सैकिंग की खरीद से संबंधित सभी लेन-देनों में सुविधा प्रदान करने के लिए तैयार किया गया है। इसे निम्नलिखित सुविधाओं के लिए तैयार किया गया है :
- एसपीए के द्वारा बी-ट्बिल की इन्डेंटिंग प्रक्रिया का समेकन
- एसपीए के द्वारा आवश्यक निधि के प्रेषण को उनके संबंधित बैंक खातों में भेजने हेतु
- जूट मिलों के द्वारा निरीक्षण कॉलों का सृजन और निरीक्षण एजेंसियों के द्वारा निरीक्षकों का आवंटन
- निरीक्षण एजेंसी द्वारा निरीक्षण रिपोर्ट की अपलोडिंग
- रेल, सड़क और कॉनकोर के द्वारा परिवहन के लिए लदानकर्ताओं, जूट मिलों के द्वारा जानकारी के प्रेषण की अपलोडिंग
- एसपीए के द्वारा ऑनलाइन शिकायतों का सृजन यदि कोई है तो
- एसपीए द्वारा प्रेषित धन का सही समय पर समाधान
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) ने 01 नवंबर, 2016 से राज्य खरीद एजेंसियों के द्वारा बी-ट्बिल सैकिंग की खरीद और आपूर्ति के संचालन को आपूर्ति और निपटान महानिदेशालय (डीजीएस और डी) से कोलकाता के जूट आयुक्त ऑफिस को हस्तांरित किए जाने का निर्णय किया है। भारतीय जूट श्रमिकों और किसानों को सहायता देने के लिए भारत सरकार के द्वारा वार्षिक रूप से करीब 5500 सौ करोड़ रूपये मूल्य के जूट की खऱीद की जाती है।
इससे पूर्व की प्रणाली अधिकांश कागज पर निर्भर थी और इसमें हितधारकों मुख्य रूप से राज्य खरीद एजेंसियों, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय, जूट मील, निरीक्षण एजेंसी, लदानकर्ता, वेतन और लेखा कार्यालय आदि के बीच सूचना के आदान-प्रदान में कुछ कमियां थी लेकिन जब से खाद्यानों की खरीद के लिए बी-ट्बिल सैकिंग को आवश्यक कर दिया गया है, समूची संचालन प्रक्रिया समयबद्ध है और इस पर करीबी से निगरानी किए जाने की आवश्यकता है। इसके अलावा यह प्रणाली बैंकों के माध्यम से स्वाचालित लेन-देन सुविधा भी प्रदान करती है। इससे राज्य खरीद एजेंसियों की लागत में कमी आती है।
एसपीए पहले से ही अपने बैंकों और निरीक्षण एजेंसियों का चयन कर चुके हैं। राज्य खरीद एजेंसियों, निरीक्षण एजेंसियों और आपूर्तिकर्ता जूट मीलों को इस प्रणाली का उपयोग करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया है।
वर्तमान में जूट-स्मार्ट सॉफ्टवेयर संचालन में आ चुका है और पंजाब, हरियाणा, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना और बिहार के एसपीए के द्वारा नवंबर और दिसंबर 2016 में जूट-स्मार्ट के माध्यम से करीब 700 करोड़ रुपये मूल्य की 3.01 लाख बेल्स को रखा गया है। जूट-स्मार्ट एक शानदार सॉफ्टवेयर मानचित्र है जिससे महत्वपूर्ण रूप से राज्य सरकारों और एफसीआई के द्वारा बी-ट्बिल खरीद की प्रक्रिया आसान हो जाएगी। इससे एसपीए के लिए प्रक्रिया पूर्णतः पारदर्शी, नियम आधारित होगी और लागत में भी कमी आएगी।
आईएसडीएस पहल
सुशासन दिवस के एक अंग के रूप में प्रणाली में और अधिक पारदर्शिता लाने के प्रयासों के अंतर्गत आईएसडीएस की प्रक्रिया से संबंधित सूचना के साथ-साथ इस योजना के अंतर्गत सभी सुचारू प्रशिक्षण कार्यक्रमों के राज्यवार विवरण भी मंत्रालय की वेबसाइट के माध्यम से लोगों के लिए उपलब्ध होंगे। ताज़ा जानकारी को मंत्रालय की वेबसाइट के एक पृथक पन्ने पर संपूर्ण देश में योजना के अंतर्गत प्रशिक्षण कार्यक्रमों की राज्यवार, क्षेत्रवार, श्रेणीवार प्रगति को प्रस्तुत करते हुए एक उपयोगकर्ता अऩुकूल डैशबोर्ड पर प्रदर्शित किया जाएगा। वस्त्र मंत्रालय विशेष रूप से कपड़ा क्षेत्र की क्षमता का लाभ दो तरह से उठाया जा सकता है। एक ओर कुशल कार्य बल वैश्विक बाजार में वस्त्र उद्योग को प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद प्रदान करेगा तो दूसरी ओर यह समाज के कमजोर वर्गों और ग्रामीण बेरोजगार युवाओं को रोजगार अवसर प्रदान करते हुए सहभागिता और समावेशी विकास के एक साधन के रूप में भी उपलब्ध होगा। मंत्रालय के कौशल कार्यक्रम से सम्बद्ध एकीकृत कौशल विकास योजना (आईएसडीएस) इस दिशा में एक प्रमुख पहल है। मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकार एजेंसियों, उद्योग, प्रमुख वस्त्र प्रशिक्षण संस्थानों, वस्त्र अनुसंधान संगठनों और उद्योग एसोसिएशनों के साथ साझेदारी कर रही है। योजना के अंतर्गत बारवीं योजना के 15 लाख लोगों के लक्ष्य में से अब तक मंत्रालय ने कुल 8.82 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया है।
कार्यान्वयन में पारदर्शिता को सुनिश्चित करने और जवाबदेही को बनाए रखने के लिए मंत्रालय ने योजना के अंतर्गत निम्नलिखित उपाय किए हैं :
- प्रशिक्षुओं के 70 प्रतिशत अनिवार्य स्थापन के साथ प्रणाम आधारित दृष्टिकोण
- प्रशिक्षण कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी को आसान बनाने के लिए सभी हितधारकों के लिए डिजिटलीकरण की दिशा में एक वेब आधारित केंद्रीकृत प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) को लागू कर दिया गया है।
- प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षुओं की बायोमैट्रिक उपस्थिति अनिवार्य है और आंकडों को लाइव आधार पर एमआईएस को भेजा जाता है।
- प्रशिक्षुओं की पहचान और भर्ती में दोहराव से बचने के लिए एमआईएस में आधार प्लेटफॉर्म का भी शुभारंभ किया गया है।
- समूची योजना में प्रशिक्षण के बाद प्रशिक्षुओं के लिए तीसरे पक्ष का मूल्यांकन भी अनिवार्य कर दिया गया है।
- मंत्रालय के क्षेत्रीय अधिकारियों के माध्यम से लाइव प्रशिक्षण केंद्रों का यादृच्छिक भौतिक सत्यापन किया जाता है।
- उर्त्तीण प्रशिक्षुओं को क्यूआर कोड से सक्षम ई-प्रमाणपत्र जारी किया जाता है जिससे क्यूआर कोड स्केनर का उपयोग करते हुए भावी नियोक्ता के द्वारा प्रशिक्षुओं की विश्वसनीयता का सत्यापन किया जा सकता है।
बुनकर मित्र – हथकरघा सहायता केंद्र
वर्तमान में देशभर में हथकरघा बुनकरों को उनके कौशल में सुधार के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करने हेतु 28 बुनकर सेवा केन्द्र कार्य कर रहे हैं। इनसे सहायता प्राप्त करने के लिए बुनकर को इन केंद्रों पर व्यक्तिगत रूप से जाना होता है। अद्यतन ऐसा कोई भी एकल संपर्क केंद्र नहीं है जहाँ बुनकर अपनी तकनीकी समस्याओं के समाधान तलाश सकें। इन समस्याओं के समाधान हेतु गरीब बुनकरों को समर्थ बनाने के क्रम में केंद्र सरकार ने एक “बुनकर मित्र-हथकरघा सहायता केंद्र” स्थापित करने का फैसला किया है जहां बुनकरों के तकनीकी प्रश्नों का इस क्षेत्र के विशेषज्ञों द्वारा उत्तर दिया जाएगा। यह हेल्पलाइन सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक कार्य करेगी और प्रारंभ में यह 6 भाषाओं अर्थात हिन्दी, अंग्रेजी और चार क्षेत्रीय भाषाओं तेलगु, तमिल, बंगाली और असमी में उपलब्ध होगी।
इस हेल्पलाइन की स्थापना के लिए ई-खरीद प्रक्रिया का पालन करते हुए ऑनलाइन बोलियों को आमंत्रित किया गया था। इसके तहत हथकरघा सहायता केंद्र की सुविधा प्रदान करने के लिए भोपाल की मैसर्स एमएसडी (आई) प्राइवेट लिमिटेड एजेंसी का चयन किया गया है और 30.11.2016 को एलओआई जारी कर दिया गया । इसके लिए समूची व्यवस्था और कॉल सेन्टर की स्थापना एवं इसे संचालित करने के लिए 30 दिन का समय दिया गया है।