लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के 18 मण्डलीय जनपदों के राजकीय चिकित्सालयों में गुर्दा रोग से पीड़ित रोगियों के इलाज हेतु निःशुल्क हीमो-डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है। इस संबंध में प्रदेश के मातृ, शिशु एवं परिवार कल्याण राज्यमत्रंी (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविदास मेहरोत्रा तथा प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण श्री अरूण कुमार सिन्हा की उपस्थिति में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा हेरिटेज हास्पिटल लि0, वाराणसी के मध्य आज एक एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किए गए।
प्रदेश सरकार की ओर से श्री रविन्द्र नाथ सिंह, संयुक्त सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य तथा श्री अनुसुमन राय, प्रतिनिधि हेरिटेज हास्पिटल ने आपस में एग्रीमेंट हस्तांतरित किए। सरकार ने हेरिटेज हास्पिटल वाराणसी को सेवा प्रदाता एजेंसी के रूप में नामित किया है। यह एजेंसी गुर्दा रोग से पीड़ित रोगियों के इलाज हेतु सार्वजनिक-निजी सहभागिता के आधार पर हीमो-डायलिसिस की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। जापान और जर्मनी से उपकरण आयातित किए जाएंगे। चार महीने के भीतर यह सेवा शुरू हो जाएगी।
इस अवसर पर श्री मेहरोत्रा ने कहा निःशुल्क डायलिसिस सुविधा प्रदेश की सबसे बेहतरीन सेवा होगा। सरकारी क्षेत्र में निजी सहभागिता से इस सेवा का लाभ अधिक से अधिक लोगांे को मिलेगा। कि गुर्दा रोग से पीड़ित मरीजों के लिए निःशुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराना प्रदेश सरकार का सराहनीय कदम है। उन्होंने कहा कि गरीब, असहाय और आर्थिक रूप कमजोर लोगों को भी अब इस सुविधा का लाभ मिलेगा। इसके लिए विश्वस्तीय गुणवत्तापरक मशीनों की स्थापना कराई जा रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 18 मण्डलीय जनपदों के राजकीय चिकित्सालयों में गुर्दा रोग से पीड़ित रोगियों के इलाज हेतु सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) के आधार पर हीमो-डायलिसिस की निःशुल्क सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि प्रदेश की लगभग 20 करोड़ की जनसंख्या में प्रत्येक वर्ष 13000 मरीज गुर्दे की विफलता के शिकार होते हैं। एक गुर्दे से विफल मरीज की औसत आयु 3-5 वर्ष होती है। इन्हें जीवन रक्षा के लिए डायलिसिस की आवश्यकता होती है। चूंकि प्रदेश में अन्य प्रान्तों से भी मरीज इलाज हेतु आते हैं और उनमें से कुछ मरीज पैरीटोनियल डायलिसिस भी कराते हैं। उन्होंने कहा कि हीमो-डायलिसिस की आवश्यकता वाले रोगियों की संख्या लगभग 37000 आंकी गई है। इसके लिये प्रदेश में 4100 हीमो-डायलिसिस मशीनों की आवश्यकता है (प्रति मशीन 09 डायलिसिस की दर से)। उन्होंने कहा कि उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इस समय प्रदेश में सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं में 470 हीमो-डायलिसिस मशीनें उपलब्ध हैं। व्यापक जनहित में इस कमी को पूरा करने के लिए सार्वजनिक-निजी सहभागिता (पी0पी0पी0) के आधार पर और 180 हीमो-डायलिसिस मशीने, 18 राजकीय मण्डलीय चिकित्सालयों में स्थापित कराते हुये गुर्दा रोग से पीड़ित रोगियों को निःशुल्क हीमो-डायलिसिस सुविधा दी जाएगी।
राज्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक-निजी सहभागिता के आधार पर सामान्य जनमानस को निःशुल्क डायलिसिस यूनिट की स्थापना एवं संचालन में आने वाले व्यय का वहन राज्य सरकार के बजट से किया जायेगा। हीमो-डायलिसिस यूनिट में आने वाले गुर्दे से विफल मरीजों को चिकित्सालय में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा तथा चिकित्सालय के निदेशक/प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक/मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के द्वारा मरीज को हीमो-डायलिसिस हेतु हीमो-डायलिसिस यूनिट को संदर्भित किया जायेगा।
श्री मेहरोत्रा ने कहा कि सभी हीमो-डायलिसिस यूनिट वर्ष में 24ग्7ग्365 कार्य करेंगी। मरीज को 3 घंटे से अधिक इंतजार नहीं करना पड़ेगा। हीमो-डायलिसिस यूनिट 3 शिफ्टों में कार्य करेगा। एक डायलिसिस मशीन एक हफ्ते में 6 दिन कार्य करेगी तथा एक दिन प्रत्येक मशीन को अनुरक्षण में रखना अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मशीन द्वारा एक दिन में 3 हीमो-डायलिसिस करना अनिवार्य होगा। सुदुर से आने वाले रोगियों को दिन में ही हीमो-डायलिसिस करने की व्यवस्था की गई है।
इस मौके पर प्रमुख सचिव, श्री अरूण कुमार सिन्हा ने कहा कि 18 मण्डलीय चिकित्सालयों में 10 शैय््या की इन यूनिटों की स्थापना किये जाने पर 180 मशीनें हीमो-डायलिसिस हेतु निःशुल्क सेवा पर जनमानस को उपलब्ध होंगी, जिससे एक माह में लगभग 14040 हीमो-डायलिसिस किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि सेवा प्रदाता द्वारा प्रत्येक समूह में एक नेफ्रोलाजिस्ट, एक कान्ट्रेक्ट मैनेजर तथा प्रत्येक हीमो-डायलिसिस यूनिट पर एक चिकित्सक/शिफ्ट, 3 हीमो-डायलिसिस टेक्नीशियन/शिफ्ट, 3 हीमो-डायलिसिस नर्स/शिफ्ट, एक मेडिकल सोशल वर्कर, एक बायोमेडिकल इंजीनियर जो कि आवश्यकता पड़ने पर उपलब्ध होगा तथा आवश्यकतानुसार स्वीपर भी उपलब्ध कराये जायेंगे। उन्होंने कहा कि यह 05 वर्ष की योजना है। हीमो-डायलिसिस यूनिट की स्थापना/ संचालन में प्रतिवर्ष रु0 17.00 करोड़ तथा कुल 5 वर्षों में रु0 85.00 करोड़ का व्यय भार अनुमानित है।
प्रमुख सचिव ने कहा कि सेवा प्रदाता के सेवाओं का मूल्यांकन मरीज प्रतिक्रिया प्रपत्र की समीक्षा के आधार पर किया जायेगा जिसमें औसत अंक 80-100 होने पर 100 प्रतिशत भुगतान, औसत अंक 60-79 होने पर 80 प्रतिशत का भुगतान और औसत अंक 40-59 होने पर 50 प्रतिशत भुगतान किया जायेगा तथा औसत अंक 0-39 होने पर कोई भी भुगतान नहीं किया जायेगा। उन्होंने कहासेवा प्रदाता द्वारा माह में 48 घंटे से अधिक समयावधि तक मशीन खराब रहने पर, बिना किसी कारण के मरीज की हीमो-डायलिसिस करने से मना करने पर, संदर्भित रोगी को एक माह में 3 बार से अधिक निर्धारित समय पर हीमो-डायलिसिस करने से मना करने पर तथा निर्धारित शुल्क से अतिरिक्त शुल्क मांगे जाने पर अनुबंध समाप्त किया जा सकता है।