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अच्छी तरबीयत के बिना समाज को फसाद से नही बचाया जा सकता : मौलाना गुलाम रजा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: मजलिसए ओलमाये हिन्द द्वारा आयोजित इमाम अली रजा अ0स0 की शहादत के अवसर पर कार्यालय मजलिसण् ओलमाये हिन्द इमामबाड़ा गुफ्राॅनमआब में संगोष्ठी का आयोजन हुआ। यह कार्यक्रम इमाम अली रजा अ0स0 के राजनीतिक जीवन पर आयोजित हुआ। प्रोग्राम का आगाज कुरान की तिलावत से मोहम्मद आसिफ ने किया।तिलावत के बाद पहली तकरीर करते हुए मौलाना गुलाम रजा ने इमाम अली रजा अ0स0 के जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत प्रकाश डाला। मौलाना ने कहा कि इमाम अली रजा अ0स0 ने तीन हजार हदीसें इरशाद फरमाई हैं जो विभिन्न विज्ञान की अभिव्यक्ति हैं।मौलाना ने कहा कि हमारे इमाम ने हमेशा लोगों की अच्छी तरबीयत और समाज के कल्याण के लिए काम कया है। आईम्मा ने हमेशा लोगों को इल्म व ज्ञान की दावत दी है, क्योंकि शिक्षा के द्वारा ही बुद्धि में वृद्धि होती है, और शिक्षा के द्वारा ही समाज के विकास और निर्माण में योगदान दिया जा सकता है। मौलाना ने कहा कि इमाम अली रजा अ0स0 ने हमेशा मुसलमानों के संरक्षण, उनके अधिकारों की हिफाजत और उनकी बेहतर तरबीयत के लिए काम कया, इस लिये के जब तक तरबीयत अच्छी नहीं होगी तब तक समाज फसाद से सुरक्षित नहीं होगा।
दूसरी तकरीर करते हुए मौलाना सैयद हसनैन बाकरी ने कहा कि राजनीति के लिए हर इंसान के दिमाग में अजीब अवधारणा है। यानी राजनीति मानो धर्म से अलग कुछ है। आज राजनीति का जाहिरी अर्थ दूसरों को मूर्ख बनाना और लोगों के अधिकारों का हन्नन करना है। किसी ने हजरत अली अ0स0 की राजनीति पर आपत्ति जताई तो आपने फरमाया जिस तरह की राजनीति आज लोग कर रहे हैं वे राजनीति नहीं मक्कारी है, ऐसा नहीं है कि मैं एसी राजनीति से परिचित नहीं हूँ, लेकिन धर्म में ऐसी राजनीति की गुंजाइश नहीं है। मौलाना ने कहा कि एक मोमिन के लिए आवश्यक है कि वह राजनीति से परिचित हो। राजनीति धर्म का हिस्सा है। प्रत्येक इमाम ने राजनीतिक जीवन बिताया है। राजनीति का मतलब यह है कि हर मोमिन को यह पहचान होना चाहिए कि कहां से हमें नुकसान हो सकता है और कहाँ से लाभ प्राप्त किया जा सकता है। मोमिन का कतई यह मतलब नहीं है कि कोई भी उसे मूर्ख बना दे।
मौलाना ने कहा कि हमेशा दुश्मन ने हक्क का लिबास पहन कर ही हक्क को नुकसान पहुँचाने की कोशिश की है। जिस तरह कुछ लोग सिर्फ इसलिए मुसलमान हुए थे कि मुसलमान रहकर इस्लाम को नुकसान पहुंचा सकें। दीन को इतना नुकसान बाहरी दुश्मनों से नहीं पहुंचा जितना नुकसान आंतरिक दुश्मनों ने पहुंचाया है ।मौलाना ने इमाम अली रजा अ0स0 की राजनीतिक दृष्टि से व्यापक बातचीत करते हुए कहा कि हमेशा दुनिया की निगाहों में अहलेबैत रसूल अ0स0 की पवित्रता रही है और उना सम्मान अधिक रहा है।मोमिन ने इसी लिए इमाम रजा अ0स0 को अपना जाॅनषीन बनाया था कि ताकि इस पवित्रता को खत्म कर दिया जाए,उसने इमाम रजा अ0स0 को प्रेम और भक्ति में अपना जाॅनषीन नहीं किया था क्योंकि जो सत्ता के लिए अपने भाई की हत्या करवा सकता हे वह किसी दूसरे को सत्ता देने के लिए जाॅनषीन नहीं बना सकता ।मामून ने योजना के तहत इमाम रजा अ0स0 को अपना जाॅनषीन किया था कि अगर यह राजनीति में आएंगे तो जनता की नजरों में उनका सम्मान समाप्त हो जायेगा क्योंकि राजनीति उस जमाने तक आते-आते बदनाम हो चुकी थी यानी मामून भी यह बखूबी जानता था कि जो लोग अब तक शासन करते हैं आए हैं जनता की निगाहों में उनका कोई सम्मान नहीं था। मौलाना ने अंत वचन में कहा कि आले मुहम्मद अ0स0 की पहचान उनका इल्म था तो फिर हम बौद्धिक और इल्म के क्षेत्र में इतने पिछड़े क्यों हैं।? किया हमारी पहचान ज्ञान और इल्म के आधार पर नहीं होनी चाहिए?
कार्यक्रम में साप्ताहिक दीनी कलासेज के सफल छात्रों यको पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। पहला पुरस्कार आकिब मेहदी, दूसरा पुरस्कार मोहम्मद आसिफ, तीसरा पुरस्कार अली अबीर और चैथा पुरस्कार निदा फात्मा ने हासिल किया ।इसके अलावा कलासेज में शामिल अन्य छात्रों को भी पुरस्कार से सम्मानित गया ।प्रोग्रोम में मौलाना रजा हुसैन, मौलाना मकातिब अली, मौलाना निसार अहमद, और साप्ताहिक दीनी कलासेज के टीचर मौलाना इस्तफा मौजूद रहे। यह कार्यक्रम मौलाना सैयद क्लब जवाद नकवी के नेतृत्व में पिछले साल से आयोजित हो रहा है

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