गर्भवती और उसके अंदर पल रहे गर्भस्थ की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी नहीं। बिना अल्ट्रासाउंड भी उनका स्वास्थ्य परीक्षण संभव है। इसके लिए गर्भवती को हर तीन माह पर हैंड ग्रिप स्ट्रेंथ (एचजीएस) विधि द्वारा जांच कर दोनों के स्वास्थ्य का पता लगाया जा सकता है। यह खुलासा हुआ है संजय गांधी पीजीआई के नियोनेटोलॉजी विभाग की ओर से किए गए शोध में। बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं पर किए गए शोध के बाद इसकी पुष्टि हुई।
गर्भवती को क्या सही पोषण मिल रहा है, वो कुपोषित तो नहीं, गर्भ में पल रहा शिशु स्वस्थ है या नहीं, इसकी प्राथमिक जांच के लिए अल्ट्रासाउंड जरूरी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र या ऐसे स्थान जहां अब भी अल्ट्रासाउंड होना मुश्किल है, वहां शुरुआती जांच के तौर पर स्वास्थ्य कार्यकर्ता गर्भवती का हैंड ग्रिप स्ट्रेंथ जांच कर प्राथमिक समस्याओं का अंदाजा आसानी से लगा सकती हैं।
यह जांच डायनमोमीटर नाम की डिवाइस से होती है। डिवाइस पर हाथ की पकड़ की मजबूती के आधार पर जांचा जाता है। जांच के समय अगर हाथ और कंधे की पोजिशन, बॉडी पॉश्चर, साइकोलॉजिकल फैक्टर व तापमान का ध्यान रखा जाए तो इस मशीन से सटीक रिपोर्ट मिल सकती है। अगर गर्भावस्था के पहले महिला का बॉडी मॉस इंडेंक्स (बीएमआई) माप लिया जाए तो और भी आसानी हो सकती है।