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आशा बहुओं को आशा संगिनियों की भांति मानदेय देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए: रविदास मेहरोत्रा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के मातृ, शिशु एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री रविदास मेहरोत्रा ने प्रमुख सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण श्री अरूण कुमार सिन्हा को निर्देश दिए हैं कि आशा बहुओं को आशा संगिनियों की भांति मानदेय देने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, ताकि सरकारी स्वास्थ्य योजनाओं का पूरा लाभ जनता को सुगमतापूर्वक मिल सके।

श्री मेहरोत्रा ने बताया कि प्रदेश में मातृ एवं शिशु मृत्यु-दर में कमी लाने तथा शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हेतु जनमानस को प्रेरित करने में आशा बहुओं की भूमिका अहम होती है। आशाओं को जागरूक एवं प्रेरित करने के लिए यह आवश्यक है कि उन्हें एक निश्चित मानदेय मिले, जिससे आशाएं पूरे मनोबल एवं उत्साह से कार्य करें। उन्होंने बताया कि प्रदेश में मातृ एवं शिशुओं की मृत्यु-दर में कमी लाने की आवश्यकता है। इसके लिए 100 प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो और प्रदेश की स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की सभी योजनाओं की जानकारी जनमानस को मिले। उन्होंने बताया कि प्रदेश मंे 56 लाख बच्चे प्रतिवर्ष जन्म लेते हैं, जिसमें मात्र 24 लाख बच्चांे का जन्म सरकारी अस्पतालों में होता है, इसके अलावा 10 लाख बच्चे प्राइवेट नर्सिंग होम में तथा 22 लाख बच्चे घरों में जन्म लेते हैं, इस कारण बड़ी संख्या मंे माताओं एवं बच्चों की मृत्यु होती है।
श्री मेहरोत्रा ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में सभी गर्भवती माताओं का दवा- इलाज, जांच, टीकाकरण एवं आपरेशन निःशुल्क होता है। साथ ही इन्हें 100 रुपये का पौष्टिक भोजन प्रतिदिन मिलता है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपये तथा नगरीय क्षेत्र की महिलाओं को 1000 रुपये की धनराशि जननी सुरक्षा योजना के तहत उपलब्ध कराई जा रही है। इसके बावजूद भी करीब 22 लाख बच्चों का जन्म झुग्गी-झोपड़ी, खुले आसमान एवं गावों में हो रहा है। यह अत्यंत ही चिन्ता का विषय है। उन्होंने प्रमुख सचिव को निर्देश दिए कि आशाएं घर-घर जाएं और लोगों को सरकारी योजनाओं की पूरी जानकारी दें तथा संस्थागत प्रसव के लिए लोगों को जागरूक करें। इसके लिए आशाओं का उत्साहवर्धन किया जाए और इनको निश्चित मानदेय देने की व्यवस्था की जाए।

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