देहरादून: उत्तराखंड मुख्यमंत्री हरीश रावत ने सोमवार को कहा कि महिलाओं के कल्याण में संसाधनों की कमी नहीं आने दी जाएगी। बस कुछ करने की संकल्प शक्ति होनी चाहिए। सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण के लिए आवश्यक है कि महिलाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य और दक्षता पर विशेष ध्यान दिया जाए।
उन्होंने ने कहा कि आज भी हरिद्वार से लेकर मुन्स्यारी व धारचूला तक महिलाएं जीवन संघर्ष में लगी हैं। महिलाओं के सामने पहाड़ जैसी चुनौतियां हैं।
उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित मुख्य सचिव एनरवि शंकर को निर्देशित किया कि स्वास्थ्य विभाग के तहत दाई प्रशिक्षण की योजना को शीघ्र क्रियान्वित कराएं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दूर-दराज के गांवों में न्यूनतम स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए सरकार प्रयासरत है। हमें पर्याप्त संख्या में डॉक्टर नहीं मिल पा रहे हैं। इसे देखते हुए फार्मासिस्टों की नियुक्ति पर भी बल दिया जा रहा है।
सचिवालय के मीडिया सेंटर हॉल में सोमवार को महिला और बाल विकास विभाग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने ले. प्रिया सेमवाल को तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित किया। जबकि कुमारी कविता बिष्ट को राज्य महिला सम्मान पुरस्कार से सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तिकरण केवल शिक्षा से नहीं होगा बल्कि नौकरियों व आजीविका में महिलाओं को भागीदारी देनी होगी। सरकार पुलिस विभाग में 250-300 महिला इंस्पेक्टरों की नियुक्ति कर रही है। सीएम ने प्रमुख सचिव राधा रतूड़ी को निर्देशित किया कि दूसरे विभागों में महिलाओं की भागीदारी कैसे बढ़ाई जा सकती है, इसकी कार्ययोजना बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लेफ्टिनेंट प्रिया सेमवाल व कुमारी कविता बिष्ट का साहस व हिम्मत हम सभी के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कविता बिष्ट को प्रदेश सरकार की ओर से दो लाख रुपए दिए जाने की घोषणा की। पहाड़ की महिलाएं संघर्ष और जीवटता की प्रतिमूर्ति हैं। महिलाएं हम सभी का गौरव हैं।
स्वरोजगार में संलग्न महिलाओं के लिए सरकार की ओर से आर्थिक प्रोत्साहन देने की योजना तैयार की जाएगी। सीएम ने कहा कि कंडाली घास, भांगुली के रेशे पर आधारित आजीविका के स्रोत विकसित करने की कार्ययोजना तैयार की जाए।
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