लखनऊ : भारत के उप राष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी आज जनपद गौतम बुद्ध नगर स्थित गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित हुए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगी आदित्यनाथ जी ने उप राष्ट्रपति जी का दीक्षांत समारोह में स्वागत एवं अभिनंदन किया।
उप राष्ट्रपति जी ने दीक्षांत समारोह को सम्बोधित करते हुए कहा कि मेरे लिये वो एक सुखद दिन था, जब मुझसे कहा गया कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी आपसे बात करना चाहते हैं। मुख्यमंत्री जी ने सिर्फ देश में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में नाम हासिल किया है। हम सब जानते हैं कि मुख्यमंत्री जी ने जब शपथ ली थी, तब कानून व्यवस्था और विकास की दृष्टि से उत्तर प्रदेश के क्या हालात थे। यह प्रदेश दोनों में चिंता का विषय था। हताशा इतनी थी कि लोगों को चिन्तन करने का मन नहीं था। हम कहां से कहां आ गए हैं।
आज उत्तर प्रदेश लॉ एण्ड ऑर्डर का रोल मॉडल है। देश की बात तो छोड़िये, दुनिया में कोई समस्या होती है लॉ एण्ड ऑर्डर की, तो मुख्यमंत्री जी को याद किया जाता है। योगी आदित्यनाथ जी आज ‘पर्सन ऑफ एक्शन’ के प्रतीक बन चुके हैं। आप सभी को इनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे नेशन फर्स्ट की भावना के साथ अपनी जिंदगी में आगे बढ़ें।
उप राष्ट्रपति जी ने कहा कि लम्बे समय तक वकालत के पेशे में रहने के कारण उनका उद्योग जगत से गहरा नाता रहा है और उन्हें यह बात कहने में खुशी होती है कि उत्तर प्रदेश आज प्रीमियम कैटेगरी के उद्योगों के लिए फेवरेट डेस्टिनेशन बन चुका है।
उप राष्ट्रपति जी ने मुख्यमंत्री जी की प्रशंसा करते हुए कहा कि दीक्षांत समारोह में वह जो कहना चाहते थे उसे मुख्यमंत्री जी ने उनसे भी बेहतर ढंग से कहा है। मुख्यमंत्री जी का भाषण किसी राजनीतिक व्यक्ति का नहीं बल्कि एक धर्मवेत्ता, एक स्टेट्समैन, एक शिक्षाविद और दूरदृष्टा व्यक्ति का भाषण था। उन्होंने मुख्यमंत्री जी के भाषण को केवल भाषण नहीं बल्कि मुख्यमंत्री जी के वर्तमान कार्यकलापों की झलक बताते हुए कहा कि एग्जाम्पल हमेशा स्टेटमेंट से बेहतर होता है। मुख्यमंत्री का भाषण वर्तमान में उनके शासनकाल में दिखता है।
उप राष्ट्रपति जी ने मुख्यमंत्री जी से गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय को नालंदा और तक्षशिला विश्वविद्यालयों के स्तर तक पहुंचाने का अनुरोध किया। उन्होंने विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, क्वांटम कम्प्यूटिंग में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। आने वाले समय में भारत तकनीक का हब बनने जा रहा है। डिफेंस प्रोडक्शन के मामले में उत्तर प्रदेश बड़ा हब बनने की राह पर है। उन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर से देश के शिक्षण संस्थानों में निवेश करने का आह्वान किया।
उप राष्ट्रपति जी ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को नए संसद भवन आने का निमंत्रण भी दिया।
मुख्यमंत्री जी ने अपने उद्बोधन में उप राष्ट्रपति जी द्वारा खराब मौसम के बावजूद सड़क मार्ग से समय से पहले ही समारोह में पहुंचने को युवाओं के लिए प्रेरणादायी बताया। उन्होंने कहा कि शून्य से शिखर तक की यात्रा कैसी होती है तथा संघर्षों से राह कैसे बनती है, इसके आदर्श उदाहरण देश के उपराष्ट्रपति जी हैं। इनका मार्गदर्शन आज उपाधि प्राप्त करने वाले गौतम बुद्ध विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को नए जीवन में प्रवेश करने के लिए प्राप्त हुआ है। उपराष्ट्रपति जी देश के कई विश्वविद्यालय के विजिटर और कुलाधिपति हैं। इनका आशीर्वाद देश की युवा शक्ति को प्राप्त होता है। उपराष्ट्रपति जी भारत गणराज्य के उच्च संवैधानिक पद पर आसीन हैं। वह संसद के उच्च सदन के सभापति हैं।
मुख्यमंत्री जी ने उपाधि प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को शुभकामनाएं एवं उनके उज्ज्वल और मंगलमय भविष्य की कामना करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय का नामकरण भगवान गौतम बुद्ध के नाम पर हुआ है। हम सभी गौतम बुद्ध की अनेक विशेषताओं के विषय में जानते हैं। जीवन के जिन रहस्यों को उन्होंने उद्घाटित किया था, वह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में घटित होते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बुद्ध ने कहा था कि समस्या है, तो समस्या का समाधान भी है। हम समस्या को चुनौती के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहते। समस्या से मुंह मोड़ना असफलता का कारण बनता है। यदि हम समस्या को स्वीकार करते हैं और उसका डट कर मुकाबला करते हैं तो उसका समाधान अवश्य निकलता है। हर समस्या के समाधान के लिए एक राह अवश्य होती है। प्रत्येक रास्ता मंजिल तक पहुंचता है, बशर्ते हम स्वयं हिम्मत न हारें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति अलग-अलग घटनाओं से संबंधित है। बुद्ध का जीवन सभी के जीवन में चाहे वह किसी भी क्षेत्र से सम्बन्धित हो, घटित होता है। बुद्ध का जीवन अत्यंत ही रोमांचक, प्रेरणादाई तथा देश- दुनिया को नई राह दिखाने वाला है। हमने उसे किस रूप में स्वीकार किया यह हम सभी पर निर्भर करता है।
विश्वविद्यालय का दीक्षान्त उपदेश भारत की प्राचीन परम्परा का प्रतिनिधित्व करता है। तैत्तिरीय उपनिषद के अनुसार प्राचीन गुरुकुलों में आयोजित होने वाले समावर्तन समारोह में ‘सत्यं वद, धर्मं चर’ का उल्लेख होता था। अर्थात अपने व्यक्तिगत और सार्वजनिक जीवन में तथा जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सत्य का आचरण करना।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात बुद्ध ने अपने शिष्यों और अनुयाइयों को तीन उपदेश दिये। पहला उपदेश है-‘धम्मं शरणं गच्छामि’ अर्थात धर्म की शरण में जाता हूं। धर्म का मतलब केवल उपासना विधि से नहीं है, बल्कि धर्म अपने कर्तव्य तथा नैतिक मूल्यों के प्रति हमें जागरूक करता है। धर्म जीवन का शाश्वत मूल्य है। सदाचार, नैतिक मूल्य और कर्तव्य का समन्वित रूप ही धर्म है। यह प्रत्येक देश, काल व परिस्थिति में रहेगा। पूजा पद्धतियां और उपासना विधियां देश, काल और परिस्थिति के अनुसार बदलती रहती हैं।
शिक्षा व्यवस्था शिक्षित करती है, लेकिन जब तक शिक्षा के साथ-साथ व्यावहारिक ज्ञान नहीं होगा तब तक हम वास्तविक ज्ञान नहीं प्राप्त कर पाएंगे। सैद्धांतिक ज्ञान शिक्षण संस्थानों में प्राप्त किया जाता है, लेकिन इसे व्यावहारिकता के साथ जोड़ना होगा। धर्म हमें मूल्यों के साथ जोड़कर आगे बढ़ाने की प्रेरणा देता है। बुद्ध ने अपने उपदेश में शिष्यों और अनुयायियों को इस मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि बुद्ध ने दूसरा उपदेश ‘बुद्धं शरणं गच्छामि’ दिया। इस उपदेश का अर्थ है, कि मैं बुद्ध की शरण में जाता हूं। बुद्ध ने हमें विवेकशील बनने के लिए प्रेरित किया। कोई भी कार्य पूरी तरह सोच समझकर करना चाहिए और एक बार कार्य प्रारम्भ करने पर पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए। बुद्ध ने तीसरा उपदेश ‘संघं शरणं गच्छामि’ अर्थात संगठित होकर कार्य करने का दिया। संगठित होकर कार्य करना लोकतंत्र की ताकत है। टीमवर्क जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अच्छा परिणाम देता है। बुद्ध के उपदेश मानवता के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैं। बुद्ध ने ज्ञान प्राप्त होने के बाद अपने आप को सामाजिक जन-जागरण के लिए समर्पित कर दिया।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को गर्व की अनुभूति करनी चाहिए कि वह महात्मा बुद्ध के नाम पर बने विश्वविद्यालय के विद्यार्थी हैं। गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के आगे बढ़ने की अनन्त सम्भावनाएं हैं। इन अनन्त सम्भावनाओं को अपने जीवन में समेट कर जीवन की राह चुननी होगी। यह समाज और राष्ट्र के हित में है। इन मूल्यों को समाहित करते हुए विश्वविद्यालय ने अपनी पहचान को आगे बढ़ाने का कार्य किया है।
प्रयास करने पर जो परिवर्तन होता है, उसके वाहक हम सभी बनते हैं। विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और अन्य संस्थाओं को केवल डिग्री बांटने का माध्यम नहीं बनना चाहिए, बल्कि उसे समाज और राष्ट्र के साथ तारतम्यता भी बनानी चाहिए। देश और वैश्विक समुदाय के हित के बारे में युवा पीढ़ी को विचार करना चाहिए। यह सौभाग्य की बात है कि विश्व के सर्वाधिक युवा भारत में हैं तथा भारत के सर्वाधिक युवा उत्तर प्रदेश में हैं।
समाज के प्रति हम सभी का दायित्व है। समाज के प्रति कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। ‘मातृदेवो भव, पितृदेवो भव, आचार्यदेवो भव, अतिथिदेवो भव’ का तात्पर्य इन सभी के प्रति श्रद्धा और कृतज्ञता का भाव होना चाहिए। क्योंकि इनके कारण हम सभी का अस्तित्व है तथा आप सभी शिक्षा के मन्दिर में हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विश्वविद्यालय में अच्छा इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रदान करने के लिए सरकार माध्यम है, लेकिन विश्वविद्यालय के निर्माण में समाज का भी योगदान है। जब देश के सबसे बड़े एयरपोर्ट नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट, जेवर के निर्माण की कार्यवाही आगे बढ़ी, तो गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय ने नोएडा इण्टरनेशनल एयरपोर्ट की सोशल इम्पैक्ट स्टडी का कार्य किया। इससे विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विद्यार्थियों को इसका अनुभव प्राप्त हुआ तथा विश्वविद्यालय की आय में भी वृद्धि हुई। शैक्षणिक संस्थानों को उद्योगों से जुड़ाव का माध्यम बनना चाहिए। शैक्षणिक संस्थान नवाचार, अनुसंधान और विकास के केंद्र बनें। इन संस्थाओं से निकलने वाले विद्यार्थी अपनी राह स्वयं बनाने में सक्षम होंगे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यहां थाईलैण्ड, लाओस, म्यामांर आदि मित्र देशों से जुड़े हुए कई विद्यार्थी भी हैं। यह सभी ऐसे देशों से हैं जिन्होंने बुद्ध को आत्मसात किया है। जापान, कोरिया जैसे देशों ने बुद्ध के प्रति अपनी आस्था व कृतज्ञता व्यक्त करते हुए नवाचार, अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में नई मंजिल हासिल की हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रारम्भ से ही मुख्यमंत्री रहे हैं, इसलिए यहां के विद्यार्थियों को किसी भी तरह की समस्या नहीं होगी। हमें अच्छा आचरण तथा सामर्थ्य विकसित करना होगा। जब शिक्षण संस्थानों से कोई उपाधि धारक निकले तो वह किसी भ्रम की स्थिति में न रहे। मंजिल तक पहुंचने के लिए स्पष्ट राह होनी चाहिए। यह राह बुद्ध भी दिखाते हैं।
दीक्षांत समारोह में विश्वविद्यालय के 08 विद्यार्थियों को गोल्ड मेडल प्रदान किए गए। वहीं 08 संकायों के विद्या वाचस्पति, स्नातकोत्तर और स्नातक के 7914 छात्र-छात्राओं को उपाधियां प्रदान की गईं। इसके अलावा म्यांमार, वियतनाम, लाओस, थाईलैंड और ताइवान के 05 विदेशी छात्रों को भी उपाधियां प्रदान की गईं।
इस अवसर पर औद्योगिक विकास मंत्री श्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’, लोक निर्माण राज्यमंत्री श्री बृजेश सिंह, गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रविन्द्र कुमार सिन्हा, डीन एकेडमिक प्रो0 एन0पी0 मेलकानिया, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, विश्वविद्यालय के फैकल्टी मेंबर्स और उपाधि प्राप्त करने वाले विद्यार्थी मौजूद थे।