नई दिल्ली: हरियाणा के लोक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग द्वारायमुना और घग्गर नदी में गिरने वाले गंदे पानी के पाइप शोधन की समाप्ति पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें यमुना नदी में प्रदूषण पर विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला में सीवेज शोधन के लिए नई टेक्नॉलोजी पर भी चर्चा की गई।
समारोह को संबोधित करते हुए जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय के सचिव श्री यूपी सिंह ने कहा कि गंगा की सहायक नदियों की सफाई का काम भी नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत है और यमुना जैसी नदियों की परियोजनाओं पर कार्य शुरू किए जा रहे हैं। श्री सिंह ने नदी की सफाई और जल संरक्षण के बीच संबंधों के बारे में कहा कि भूजल को रिचार्ज करने, जलाशयों के संरक्षण जैसे कदम नदी संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं और इन पर कार्य किया जाना चाहिए।
गंगा सफाई पर राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक श्री राजीव रंजन मिश्रा ने कार्यशाला में एनएमसीजी तथा इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल) के बीच हुए समझौते ज्ञापन की जानकारी दी। यह समझौता यमुना नदी के किनारे बसे मथुरा में गंदे जल की सफाई के बाद उसका फिर से उपयोग के लिए है, जहां परियोजना हाइब्रिड एन्यूटी मोड के अंतर्गत चलाई जा रही है। श्री मिश्रा ने साफ किए गए पानी का फिर से इस्तेमाल करने को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि ऐसी साझेदारियां समय की आवश्यकता है और गंगा सफाई राष्ट्रीय मिशन ने साफ किए गए पानी के फिर से इस्तेमाल के लिए रेल तथा विद्युत मंत्रालयों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किया हैं। हाइब्रिड एन्यूटी – पीपीपी मोड के अंतर्गत ‘’एक शहर, एक संचालक’’ की तर्ज पर परियोजनाएं विकसित करने में राष्ट्रीय मिशन तकनीकी सहायता देगा।
कार्यशाला में यमुना नदी के तट पर बसे शहरों और गांवों का विस्तृत डाटाबेस तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया। हरियाणा में यमुना नदी के किनारे यमुना नगर, करनाल, पानीपत, सोनीपत तथा फरीदाबाद शहर बसे हैं।
नमामि गंगे कार्यक्रम के अंतर्गत 70 एमएलडी – एसटीपी क्षमता सृजन और 75 एमएलडी-एसटीपी क्षमता के पुर्नवास के लिए 217.87 करोड़ रूपये की लागत से पानीपत और सोनीपत में दो परियोजनाओं के लिए पहल की गई है।
कार्यशाला में नालियों में बहने वाले पानी को साफ करने के लिए उचित टेक्नॉलोजी की उपलब्धता पर चर्चा की गई। इसमें सूक्ष्म सिंचाई टेक्नॉलोजी के इस्तेमाल तथा सिंचाई के लिए गंदे जल का इस्तेमाल तथा यमुना नदी में गिरने वाले गंदे जल को साफ करने से संबंधित विभिन्न टेक्नॉलोजी को अपनाने पर भी चर्चा की गई।