नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड (एनबीबी) के सहयोग से राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा आणंद (गुजरात) में स्थापित‘भारत की विश्वस्तरीय अत्याधुनिक शहद परीक्षण प्रयोगशाला’ का आज वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से शुभारम्भ किया। इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह, कृषि राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला और श्री कैलाश चौधरी, राज्य मंत्री (एफएएचएंडडी) डॉ. संजीव कुमार बाल्यान और कृषि विभाग, सहकारिता एवं किसान कल्याण तथा मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।
इस अवसर पर केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बड़ी संख्या में किसानों को शहद के उत्पादन और विपणन के लिए प्रोत्साहन देकर देश में मीठी क्रांति लाने और कृषि में ज्यादा आय के उनके विजन का उल्लेख करते हुए उनका आभार प्रकट किया। वीसी के माध्यम से बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और मधुमक्खी पालन उद्यम किसानों की आय के पूरक के रूप में भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि मंत्रालय ने राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड और राज्यों के माध्यम से एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच), राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन मिशन के अंतर्गत मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए कई गतिविधियां की गई हैं।
श्री तोमर ने वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन और बेहतर मूल्य वाले शहद तथा शहद से संबंधित उत्पादों के उत्पादन से जुड़े प्रशिक्षण की आवश्यकता के साथ ही किसानों, मधुमक्खी पालकों तथा भूमिहीन किसानों के बीच आय के अतिरिक्त स्रोत के रूप में मधुमक्खी पालन उद्यम की संभावनाओं के प्रति जागरूकता के प्रसार पर जोर दिया है। उन्होंने बताया कि कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने दो साल की अवधि के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम) को स्वीकृति दे दी है। माननीय प्रधानमंत्री के गांव, गरीब और किसान के विकास के विजन के क्रम में मधुमक्खी पालन उद्योग से किसानों और ग्रामीण आबादी की आजीविका में बदलाव आएगा, जो सतत कृषि विकास के लिए अहम है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने इस प्रयास में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड, खादी एवं ग्रामोद्योग निगम, नीति निर्माताओं, किसान एवं मधुमक्खी पालकों के उल्लेखनीय योगदान और लगातार जारी समर्थन की सराहना की। कृषि मंत्री ने बी (मधुमक्खी) कॉलोनीज, शहद उत्पादन, प्रसंस्करण, विपणन एवं निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया, जिसका जीडीपी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में कासा अहम योगदान होगा।
इस अवसर पर केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री गिरिराज सिंह ने कहा कि शहद के उत्पादन में मिलावट एक बड़ी समस्या है और इसमें फ्रक्टोज की ज्यादा मात्रा वाले कॉर्न सीरप या चावल, टैपिओका, गन्ना और बीट सीरप मिलाए जा रहे हैं, जो सस्ते होते हैं और साथ ही इनके भौतिक-रासायनिक गुण समान होते हैं। उन्होंने ऐसे कदमों के माध्यम से देश में ‘मीठी क्रांति’ लाने पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस शहद परीक्षण प्रयोगशाला की स्थापना से शहद के गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और दूसरे देशों को निर्यात में सहायता मिलेगी। उन्होंने शहद और शहद आधारित उत्पादों का उत्पादन बढ़ाने के लिए वनस्पति आधारित फसलों की खेती को प्रोत्साहन देने का भी सुझाव दिया।
राज्य मंत्री श्री पुरुषोत्तम रूपाला, श्री कैलाश चौधरी और डॉ. संजीव बाल्यान ने भी इस अवसर पर अपने विचार रखे और देश में ज्यादा शहद परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना किए जाने का सुझाव दिया।
एनडीडीबी ने एफएसएसएआई द्वारा निर्धारित मानदंडों पर आधारित इस विश्वस्तरीय प्रयोगशाला की स्थापना की है, जिसमें सभी सुविधाएं हैं और परीक्षण विधियां/प्रोटोकॉल विकसित किए गए हैं। इसे राष्ट्रीय परीक्षण और अंशशोधन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त है। एफएसएसएआई ने अब शहद, बी वैक्स और रॉयल जेली के नए मानदंड अधिसूचित किए हैं।
केन्द्रीय कृषि मंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा कराए जा रहे ‘वैज्ञानिक शहद उत्पादन पर दो दिवसीय ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम’ का भी शुभारम्भ किया और इस कार्यक्रम में भागीदारी के लिए प्रशिक्षुओं को बधाई दी।