लखनऊः 5 जून यानी रविवार को विश्व पर्यावरण दिवस है। इस समय पूरी दुनिया में पर्यावरण को बचाने के लिए तमाम कोशिशें कर रही है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई। इसका मुख्य मकसद प्रकृति और पृथ्वी की रक्षा करना और पर्यावरण को बेहतर बनाना।
इतिहास अपने को दोहराता है। कुछ लोगों का मानना है कि इतिहास से सबक लेना चाहिए। हमारे वैज्ञानिक बताते हैं कि लगभग छह करोड़ साल पहले धरती पर डायनासोर बहुत पाये जाते थे। वे ही धरती पर सबसे अधिक शक्तिशाली प्राणी थे। फिर अचानक वे अचानक गायब हो गए। अब केवल उनके अवशेष ही मिलते हैं। उनके विलुप्त होने का कारण है हमारा पर्यावरण।
वायुमण्डल की हवा में इतनी अधिक धूल और मिट्टी घुल गई कि धरती पर अन्धकार छा गया। सूरज की रोशनी के अभाव में वृक्ष अपना भोजन नहीं बना सके। भूख के कारण उन पर आश्रित शाकाहार डायनासोर और अन्य जीवजन्तु भी मारे गए। ऐसे ना जानें कितने उदाहरण हमारे सामने है जिन्हें हम नजरअंदाज कर देते है।
विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल एक नया थीम होता है। बात अगर पिछले 5 वर्षों की करें तो निम्न थीम निर्धारित किये जा चुके हैं। कुल मिलाकर पार्यवरण को बचाने की जंग तो जारी है, लेकिन जंग तेज नहीं है। सभी देशों को विश्व पर्यावरण दिवस को राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाना चाहिये और ज्यादा से ज्यादा लोगों को पर्यावरण प्रेमी बनाने के लिये जागरूक करना चाहिये।
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