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31 मई विश्व तंबाकू दिवस पर विशेष

उत्तराखंड

देहरादून: दुनियांभर में आज का दिन (31मई) विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रुप में मनाया जा रहा है, और इसी 24 घंटे के दौरान देशभर में 2800 लोग तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के प्रयेाग से हुए कैंसर अन्य बीमारियों से दम तोड़ देंगे। इसकी रोकथाम के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयू एचओ ) के द्वारा 2016 की थीम ‘‘ तंबाकू उत्पादों पर प्लेन पैकेजिंग ’’ रखी गई है। जिस पर पूरी दुनिंया आज ही दिन संकल्प लेगी कि वे इस प्रकार के समस्त उत्पादों पर निर्धारित कलर हो और उस पर 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी हो तथा उस पर लिखे शब्दों का साइज भी निर्धारित मात्रा में हो इसके साथ ही इन उत्पादों पर कंपनी केवल अपने ब्रांड का नाम लिख सके। इसी दिन हम सबको तंबाकू उत्पादों को अलविदा कहने का संकल्प लेना चाहिए ताकि आने वाले समय में हम इन आंकड़ेां को बदल पाये। आंकड़ों के अनुसार एक सिगरेट जिंदगी के 11 मिनट व पूरा पैकेट तीन घंटे चालीस मिनट तक छीन लेता है। तंबाकू व धूम्रपान उत्पादों के सेवन से देश में प्रतिघंटा 114 लोग अपनी जान गंवा रहे है। वंही प्रति 6 सैंकड में एक जने की मौत दुनियंाभर में हो रही है।

वर्ष 2010 में वैश्विक व्यस्क तंबाकू सर्वेक्षण ( गेट्स )के अनुसार उतराख्ंाड में 30.7 प्रतिशत करीब 22लाख लोग किसी ना किसी रुप में तंबाकू का सेवन करतें है और इनमें से 7 हजार से अधिक लोग तंबाकू से संबधित रोगों के कारण प्रतिवर्ष मृत्यु को प्राप्त होते है। जबकि भारत में 48 फीसदी पुरुष और 20 फीसदी महिलाएं किसी न किसी रुप में तंबाकू का प्रयोग करते है। वंही देश की 20 प्रतिशत महिलांए सिगरेट एंव अन्य धूम्रपान उत्पादों के सेवन का शौक रखती है, इनमें देश के साथ साथ प्रदेश की शहरी व ग्रामीण महिलांए भी इसमें शामिल है। गैटस सर्वे के अनुसार देश की दस फीसदी लड़कियेां ने स्वंय सिगरेट पीने की बात को स्वीकारा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपेार्ट ग्लोबल टोबेको एपिडेमिक पर अगर नजर डाले तो पता चलता है कि महिलाअेां में तंबाकू के सेवन का आंकड़ा निरंतर बढ़ता जा रहा है। इनमें किशोर व किशोरियां भी शामिल है। जब 2010 में यह सर्वे हुआ तब 35 प्रतिशत लोग किसी न किसी रुप में तंबाकू का सेवन कर रहे थे और आज 2016 में यह आंकड़ा बड़े पैमाने पर बढ़ा होगा। हालांकि गैटस का सर्वे भारत में 2016 में होना प्रस्तावित है।

किशोर उम्र के जो लड़के लड़कियां धूम्रपान करतें है,उनमें से 50 प्रतिशत लोग तंबाकू से जुड़ी बीमारियेां से पीड़ित होकर मर जातें है। औसतन धम्रपान करने वाले व्यक्ति की आयु धूम्रपान करने वाले व्यक्ति की तुलना में 22 से 26 प्रतिशत तक घट जाती है। प्रदेश में किशोरों में तंबाकू का सेवन शुरु करने की औसत आयु 17 साल है जबकि किशोरियों में यह आयु मात्र 14 साल है।
वैश्विक वयस्क तंबाकू सर्वेक्षण-भारत 2010 (जीएटीएस) के अनुसार रोकी जा सकने योग्य मौतों एवं बीमारियों में सर्वाधिक मौतें एवं बीमारियां तंबाकू के सेवन से होती हैं। विश्व में प्रत्येक 10 में से एक वयस्क मृत्यु के पीछे तंबाकू सेवन ही है। विश्व में प्रतिवर्ष 55 लाख लोगों की मौत तंबाकू सेवन के कारण होती है। विश्व में हुई कुल मौतों का लगभग पांचवां हिस्सा भारत में होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ( डब्ल्यूएचओ ) फ्रेमवर्क कन्वेंशन फोर टोबेको कंट्रेाल में दुनियंाभर के 178 देशों ने अपने अपने देश में तंबाकू नियंत्रण पर नीतियां बनाने पर अपनी सहमति जताई थी। वर्ष 2014 में डब्ल्यूएचओ ने तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने के लिए इन सभी देशों से अपील की है,ताकि प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में हो रही जनहानि को रोका जा सके।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैटर्न व स्वामी रामा हिमालयन यूनिवर्सिटी देहरादून के डॉ. सुनील सैनी ने बताया कि तंबाकू उद्योग द्वारा तंबाकू की दुनिया के प्रति युवकों को आकर्षित करने के प्रतिदिन नए नए प्रयास किये जा रहे है। ‘युवास्वस्था में ही उन्हें पकड़ो’ उनका उद्देश्य है, तंबाकू उत्पादों को उनके समक्ष व्यस्कता, आधुनिकता, अमीरी और वर्ग मानक और श्रेष्ठता के पर्याय के रूप में पेश किया जाता है।
हाली ही में प्रारंभिक शोधों में सामने आया है कि संभवतया तंबाकू का सेवन करने वालेां में जीन में भी आंशिक परिवर्तन होते है जिससे केवल उस व्यक्ति में ही नही बल्कि आने वाली पीढ़ीयेां में भी कैंसर होने की संभावनांए बढ़ जाती है। इसके साथ ही इन उत्पादों के सेवन से जंहा पुरुषेंा में नपुंसकता बढ़ रही है वंही महिलाअेां में प्रजनन क्षमता भी कम होती जा रही है।
डा.सैनी ने बताया कि तंबाकू चबाने से मुंह, गला, अमाशय, यकृत और फेफड़े के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू जनित रोगों में सबसे ज्यादा मामले फेफड़े और रक्त से संबंधित रोगों के हैं जिनका इलाज न केवल महंगा बल्कि जटल भी है। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान (आईसीएमआर) की रिपोर्ट मे इस बात का खुलासा किय है कि पुरुषों में 50ः और स्त्रियों में 25ः कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से 90 प्रतिश्त में मुंह का कैंसर हैं। धुआ,ं रहित तम्बाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक हैं, इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।मुंह के कैंसर के रोगियों की सर्वाधिक संख्या भारत में है। गुटका, खैनी, पान, सिगरेट के इस्तेमाल से मुंह का कैंसर हो सकता है।
सरकार को इस प्रकार के तंबाकू उत्पादों पर रोक लगा देना चाहिए, जंहा देश के 14 राज्यों मंे इन धूम्ररहित उत्पादों पर पूरी तरफ प्रतिबंध है तो यंहा इस पर प्रतिबंध क्यों नही लग रहा। जबकि लंबे समय से प्रदेश के सामाजिक संगठन इन उत्पादों पर पूरी तरह से प्रतिबंध की मंाग करते आ रहे है।
वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय ने कहा कि सरकार को सम्पूर्ण राज्य में कोटपा एक्ट को कठोरता से लागू करना चाहिए ताकि बच्चे व युवाअेंा की पहंुच से इसे दूर किया जा सके। सभी आधुनिक और प्रगतिशील राज्यों को अपने नागरिकों के लिए एक स्वस्थ वातावरण प्रदान करने के लिए कोटपा कानून को कड़ाई से लागू किया जाना अतिआवश्यक है। कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों की पुलिस ने तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादेां की खपत को कम करने में सराहनीय भूमिका निभाई है। कई राज्यों की पुलिस ने बच्चों में तम्बाकू की खपत की रोकथाम के लिए सभी शैक्षणिक परिसरों को तंबाकू मुक्त घेाषित करने में सराहनीय भूमिका निभाई है।
उन्होेने बताया कि भारत में 5500 बच्चों को (बच्चे) हर दिन तंबाकू सेवन की शुरुआत करते हैं और वयस्क होने की आयु से पहले ही तम्बाकू के आदी हो जाते हैं। तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से केवल 3 प्रतिशत ही इस लत को छोड़ने में सक्षम हैं। इसीलिए यह आवश्यक है की हम बच्चों को तम्बाकू सेवन की पहल करने से ही रोके।

वायॅस ऑफ टोबेको विक्टिमस की प्रोजेक्ट डायरेक्टर आशिमा सरीन ने बताया कि तंबाकू उत्पादों की बढ़ती खपत सभी के लिए नुकसानदायक है। इससे जंहा जनमानस को शारीरिक, मानसिक और आर्थिक भार झेलना पड़ता है वंही सरकार पर को भी आर्थिक भार वहन करना पड़ता है। इसलिए तंबाकू पर टैक्स बढ़ाने की नीति को निंरतर बनाये रखना चाहिए या फिर इस पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
उन्होने बताया कि दुनियंाभर में होने वाली हर 5 मौतों में से एक मौत तंबाकू की वजह से होती है तथा हर 6 सेकेंड में होने वाली एक मौत तंबाकू और तंबाकू जनित उत्पादों के सेवन से होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि सन 2050 तक 2-2 अरब लोग तंबाकू या तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रहे होंगें।
गौरतलब है कि विश्व बैंक ने भी प्रस्तावित किया है कि विकासशील देशों में तंबाकू पर कर 75 से 100 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने चाहिए। ताकि इसका उपयोग कम हो सके।

ये है कानून
धारा 5 में तंबाकू उत्पादेां के प्रत्यक्ष एंव अप्रत्यक्ष पर से प्रतिबंध है। वंही धारा 7 सभी तंबाकू उत्पादों पर सचित्र चेतावनी अनिवार्य रुप से हो।

कानून की धारा 4 एवं 6 (ब) के अन्तर्गत शिक्षण संस्थाओं को त बाकू मुक्त घोषित करवाना एवं नियमानुसार वैधानिक चेतावनियां लगवाना। धारा 6(ब) के अन्तर्गत शिक्षण संस्था के 100 गज के अन्दर तंबाकू बिक्री की सूचना नजदीकी पुलिस थानों को अग्रिम कार्यवाही के लिए भिजवाना एवं कोटपा कानून की धारा 4 व 6 (ब) पर की गई कार्यवाही की मासिक सूचना भिजवाना है। इस दिशा में विभाग द्वारा अभी तक प्रार िभक , माध्यमिक एवं कोलज शिक्षा विभाग द्वारा अपने अन्तर्गत आने वाली सभी शिक्षण संस्थाओं को कानून की धारा 4 एवं 6 (ब) के अन्तर्गत त बाकू मुक्त घोषित करवाने के आदेश जारी कर दिये गये हैं साथ ही कोटपा कानून की धारा 4 व 6 (ब) पर की गई कार्यवाही की मासिक सूचना भिजवाया जाना भी शुरु हो चुका है।
यह जुर्माना
सार्वजनिक स्थल,महाविद्यालय परिसर के अंदर व चारदीवारी के सौ गज के दायरे में किसी भी प्रकार के तंबाकू उत्पादों की बिक्री या सेवन करते पाए जाने पर कोटपा कानून के तहत 200 रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।

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