17 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन ने भारत का सबसे पहला परफॉर्मिंग आर्ट्स सम्मेलन आयोजित करके कलाकारों प्रोत्साहित किया

उत्तराखंड

देहरादून: वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन (डब्ल्यूयूडी), सोनीपत ने भारत के प्रारंभिक इंटरनेशनल परफॉर्मिंग आर्ट्स सम्मेलन का आयोजन किया, जिसे अन्वेषण का नाम दिया गया है। सम्मेलन का उद्देश्य यह था कि ऐसी बातचीत और चर्चाओं को प्रोत्साहित किया जाए, जिनसे पारंपरिक कलाओं को संरक्षित करने, उनका संवर्धन करने और आज के वैश्विक संदर्भ में उन्हें प्रासंगिक बनाने के नए तरीके निकल सकें। इसके अलावा, सभी कला रूपों के बीच सहभागिता और तालमेल को बढ़ावा देना भी इस सम्मेलन का लक्ष्य था। इन कला रूपों में नृत्य, संगीत और नाट्यशास्त्र के तीनों डोमेन शामिल हैं। डब्ल्यूयूडी का इरादा है कि इन डोमेन से जुड़े कलाकारों को एक साझा और सहयोगपूर्ण मंच प्रदान किया जाए।

इस समारोह में उद्योग विशेषज्ञों के मुख्य भाषण, प्रस्तुतियाँ और कलाकारों के ऐसे प्रदर्शन हुए, जिनमें भारतीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य और परफॉर्मिंग आर्ट्स की समृद्धता को हाईलाइट किया गया। भारत की परफॉर्मिंग आर्ट्स बिरादरी के मशहूर कलाकारों ने इस अवसर की शोभा बढ़ाई और ऑडियंस के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे। कार्यक्रम के दौरान दिग्गज हस्तियों- पंडित जयकिशन महाराज, कथक नृत्य शैली के प्रतिपादक एवं वरिष्ठ गुरु, कथक केंद्र; गुरु शशिधरन नायर, प्रख्यात कोरियोग्राफर, कथकली और छाऊ नृत्य शैली के प्रतिपादक; तथा सुश्री त्रिपुरा कश्यप, क्रिएटिव मूवमेंट थेरेपी एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएमटीएआई) की को-फाउंडर; को सम्मानित अतिथि के रूप में समादृत किया गया, जिन्होंने इस आयोजन को अपनी विशेषज्ञता और प्रतिष्ठा प्रदान की।

भारत के पहले परफॉर्मिंग आर्ट्स सम्मेलन की अहमियत के बारे में बोलते हुए, प्रख्यात कोरियोग्राफर, कथकली और छाऊ नृत्य शैली के प्रतिपादक गुरु शशिधरन नायर ने राय व्यक्त की, “परफॉर्मिंग आर्ट्स की औपचारिक शिक्षा आज की दुनिया में अनिवार्य मानी जाती है। इस यूनिवर्सिटी में परफॉर्मिंग आर्ट्स विभाग की स्थापना को एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है, क्योंकि यह न केवल हमारे पारंपरिक कला रूपों को संरक्षित और संवर्द्धित करेगा, बल्कि हमारे युवाओं को संबद्ध कला रूपों के बारे में शिक्षित भी करेगा। यह सम्मेलन एक अनूठा अकादमिक सम्मेलन था जहां विभिन्न क्षेत्रों के लेखक और कलाकार जुटे थे। इस अद्भुत समारोह को देखकर मैं रोमांचित हो गया, जिसमें असाधारण मुख्य वक्ता, शानदार प्रदर्शन और शोध पत्रों की ज्ञानवर्धक प्रस्तुतियाँ शामिल रहीं।”

इस सम्मेलन की जरूरत पर प्रकाश डालते हुए, वर्ल्ड यूनिवर्सिटी ऑफ़ डिज़ाइन के कुलपति डॉ. संजय गुप्ता ने कहा- ”परफॉर्मिंग आर्ट्स के डोमेन में ‘अन्वेषण 2024’ नवाचार और सहभागिता की भावना को साकार करता है। हम यहां परंपरा और आधुनिकता के अंतर्संबंध की पड़ताल करने के लिए एकत्र हुए हैं। तो आइए, हम चर्चाएं छेड़ें, रचनात्मकता जगाएं और भारतीय परफॉर्मिंग आर्ट्स में पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करें। आइए, साथ मिलकर अंतर्विषयक सहभागिता और तकनीकी उन्नति की परिवर्तनकारी शक्ति को गले लगाएं।“

मुख्य भाषण देने वाली हस्तियां थीं: माएस्ट्रो सास्किया रावडी हास, विश्व-प्रसिद्ध सेलिस्ट एवं शिक्षाविद्; संध्या रमन, भारतीय कॉस्ट्यूम डिजाइनर और फाउंडर- डेसमानिया डिज़ाइन; पंडित शुभेंद्र राव, भारतीय शास्त्रीय संगीतकार, सांस्कृतिक उद्यमी एवं संगीत शिक्षक; तथा टैगोर नेशनल फ़ेलोशिप फॉर कल्चरल रिसर्च से सम्मान प्राप्त लक्ष्मी कृष्णमूर्ति

इन सत्रों में, कला के भीतर मौजूद पारंपरिक व अभिनव दृष्टिकोण, संगीत शिक्षा का उद्भव तथा गुरु-शिष्य परंपरा की आधुनिक पुनर्व्याख्या सहित विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल थी। नृत्य में कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग की अहमियत, डांस मूवमेंट की परिवर्तनकारी क्षमता और पारंपरिक कला रूपों के अंतर्विषयक लाभों पर चर्चा हुई। इसके अलावा, वक्तागण यह पड़ताल करते रहे कि प्रौद्योगिकी को निर्बाध रूप से पारंपरिक नृत्य रूपों के साथ किस तरह एकीकृत किया जाए, कि अभिव्यक्ति और जुड़ाव की नई संभावनाएं पैदा हो सकें। कोरियोग्राफी में कृत्रिम बुद्धिमत्ता के उपयोग, डिजिटल संग्रहण और आधुनिक शैक्षिक उपकरणों के एकीकरण जैसे विषयों पर भी चर्चा की गई।

भारत में डांस मूवमेंट थेरेपी की अग्रदूत और सीएमटीएआई की कोफाउंडर सुश्री त्रिपुरा कश्यप ने कहा, परफॉर्मिंग आर्ट्स हमारे आंतरिक जगत और बाहरी हकीकत के बीच एक पुल की तरह काम करती हैं। आजकल, अधिकांश शिक्षक अपने छात्रों को गहरी खोज और विश्लेषण के लिए प्रोत्साहित करते हैं ताकि नृत्य सीखना एक सूखा, मशीनी और उबाऊ अनुभव बन कर न रह जाए। यह अन्वेषण सम्मेलन शारीरिक ज्ञान का दायरा फैलाने, ज्यादातर सूनेपन में काम करने वाले नर्तकों/नर्तकियों, कोरियोग्राफरों, अभिनेताओं, निर्देशकों एवं संगीतकारों के बीच कलात्मक आदान-प्रदान और मौखिक संवाद को प्रोत्साहित करने का भारी प्रयास कर रहा है। इससे परफॉर्मिंग आर्ट्स को खुद लगातार नया बनने और बदलाव लाने वाले गतिशील विकास को बढ़ावा मिलता है।

बात को आगे बढ़ाते हुए, विश्वप्रसिद्ध सेलिस्ट, संगीतकार, सांस्कृतिक उद्यमी और शिक्षाविद् माएस्ट्रो सास्किया रावडी हास ने कहा, “भारत में संगीत शिक्षा को बढ़ाने की अपनी यात्रा में, मैंने शिक्षण की अभिनव विधियां विकसित करने तथा इसी उद्देश्य के अनुरूप संसाधन तैयार करने के लिए खुद को समर्पित कर दिया है। संगीत सिखाने में, महज तकनीकी कौशल बताने से आगे जाकर, युवा मन के भीतर अन्वेषण का जुनून जगाना पड़ता है, उनको अपनी सांगीतिक क्षमताएं उजागर करने के लिए प्रोत्साहित करना होता है। अन्वेषण जैसे सम्मेलन, संगीत शिक्षा की अपरिहार्य भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाने की केंद्रीय भूमिका निभाते हैं। वे परिवर्तनकारी मंच के रूप में काम करते हैं, शिक्षकों को अपने छात्रों के मन में संगीत के प्रति स्थायी प्रेम जगाने की शक्ति प्रदान करते हैं, इस प्रकार संगीत की शक्ति के माध्यम से वे जीवन और समुदायों को समृद्ध करते हैं।”

सम्मेलन की शुरुआत अन्वेषण बुक ऑफ प्रोसीडिंग्स का लोकार्पण करने के बाद हुई, जिसमें विभिन्न संस्थानों के राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय लेखकों और कलाकारों के शोध-पत्र व प्रदर्शन के सारांश शामिल हैं। यह पुस्तक भारत की किसी आईएसबीएन बुक में परफॉर्मिंग आर्ट्स पर छात्र और संकाय की प्रस्तुतियां पेश करने वाली चंद पुस्तकों में शामिल है।

डब्ल्यूयूडी में स्कूल ऑफ परफॉर्मिंग आर्ट्स की डीन डॉ. पारुल पुरोहित वत्स ने अपना उत्साह साझा करते हुए कहा, “अन्वेषण को मिली बेमिसाल मोहब्बत देख कर मैं रोमांचित हूं। यह अनुकूलनशील एवं कुशल प्रदर्शनकारी कलाकारों का लालन-पालन करने, परिवर्तनकारी बातचीत को प्रोत्साहित करने तथा परंपरा व नवाचार के बीच सहभागिता करके पारंपरिक नृत्य रूपों का भविष्य गढ़ने वाला एक निर्णायक क्षण है। हमारे सम्मेलन ने पता लगाया कि प्रौद्योगिकी पारंपरिक नृत्य को किस तरह से समुन्नत कर सकती है, कलात्मक अभिव्यक्ति के नवीन रास्ते कैसे तैयार कर सकती है। मुझे 33 शोध-पत्रों और 10 प्रदर्शन सारांशों का यह संग्रह प्रस्तुत करके भारी प्रसन्नता हुई। ये दस्तावेज परंपरा और नवाचार का मिश्रण प्रदर्शित करते हैं और कलात्मक खोज के नए रास्ते खोलते हैं।”

सम्मेलन का समापन कलाकारों और छात्रों के लुभावने शास्त्रीय नृत्य व संगीत प्रदर्शन के साथ हुआ, जो हर डोमेन में प्रदर्शन करने वाले कलाकारों के लिए, वैश्विक एकता और सामूहिक कार्रवाई की दिशा में उठाए गए सामंजस्यपूर्ण कदम का प्रतीक है। इससे भी आगे बढ़कर, इस सम्मेलन का इरादा छात्रों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना था कि वे परफॉर्मिंग आर्ट्स को करियर का एक व्यावहारिक विकल्प मानें। काम की सलाह और नए-नए आइडिया देने वाले अतिथि वक्ताओं के ज्ञानवर्धक भाषणों से प्रतिभागियों को बड़ा लाभ हुआ। यहां पर नेटवर्किंग के पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराए गए, जिससे उपस्थित लोगों को डांस इंडस्ट्री के भीतर बेशकीमती नए कनेक्शन स्थापित करने में मदद मिली।

please visit https://worlduniversityofdesign.ac.in/

Related posts

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More