इस बात की अक़्सर चर्चा होती है कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. इसी कांग्रेस पार्टी ने अपने नेताओं को गुरुवार को एक गंभीर संकट में डाल दिया.
कई साल से राज्य में प्रवक्ता की ज़िम्मेदारी निभा रहे और अब युवा से वरिष्ठ हो चुके नेताओं को प्रवक्ता बनने के लिए एक ऐसी परीक्षा प्रणाली से गुज़रना पड़ा जिससे प्रशासनिक अधिकारियों की नियुक्ति होती है. यानी इन लोगों को पहले लिखित परीक्षा देनी पड़ी और उसके बाद साक्षात्कार की प्रक्रिया से गुज़रना पड़ा.
साक्षात्कार लेने के लिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजबब्बर के अलावा कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी और एक अन्य नेता आए थे.
हालांकि प्रियंका चतुर्वेदी का इस परीक्षा के बारे में कहना था कि ये कोई परीक्षा नहीं है बल्कि ऐसी जानकारी ली जा रही है जिसकी कि एक पार्टी प्रवक्ता से अपेक्षा होती है. लेकिन प्रवक्ताओं और पैनलिस्ट के लिए हुई लिखित परीक्षा और उसके बाद इंटरव्यू की काफ़ी चर्चा हो रही है.
परीक्षा में आए कठिन सवालों से परीक्षा दे रहे नेताओं के छूट रहे पसीने और परीक्षा पर बीजेपी के मज़ाक उड़ाने के बाद ये चर्चा अब और ख़ास हो गई है.
परीक्षा में 14 सवालों के जवाब मांगे गए थे जिनके ज़रिए अभ्यर्थियों की उत्तर प्रदेश के बारे में सामान्य जानकारी के अलावा यूपीए और कांग्रेस पार्टी की सरकारों की उपलब्धियां और मौजूदा सरकार की विफलताओं की जानकारी भी मांगी गई थी.
इसके अलावा कुछ मुद्दों पर उनके दृष्टिकोण को जानने की भी कोशिश की गई थी.
कांग्रेस पार्टी के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर मज़ाकिया लहज़े में बताया कि परीक्षा के दौरान इसे पूरी तरह से ‘परीक्षानुमा’ बनाने की भी कोशिश की गई.
यानी नेता एक-दूसरे से सवालों के जवाब भी पूछ रहे थे यानी नकल कर रहे थे और कथित तौर पर पर्चा भी आउट हो गया. परीक्षा में कुल 70 लोग शामिल हुए. इसमें वर्तमान प्रवक्ताओं और मीडिया पैनलिस्ट के अलावा कुछ नए लोग भी शामिल थे.
परीक्षा में शामिल कुछ प्रवक्ताओं से हमने इस बारे में बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने ये कहकर ऑन रिकॉर्ड बात करने से मना कर दिया कि वो ख़ुद अभ्यर्थी हैं.
दिलचस्प बात ये है कि परीक्षा में कई ऐसे अभ्यर्थी भी शामिल थे जो न सिर्फ़ पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के साथ काम कर चुके हैं बल्कि जिसके सामने उन्हें इंटरव्यू देना पड़ रहा था उनके जन्म के पहले से वो कांग्रेस पार्टी की सेवा कर रहे हैं.
वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इस परीक्षा के औचित्य पर सवाल उठाया है. पार्टी ने एक बयान जारी करके कहा है कि ये कांग्रेस के दिवालिएपन का प्रमाण है.
बयान में पार्टी प्रवक्ता चंद्रमोहन ने कहा है, “जब कांग्रेस अध्यक्ष श्री राहुल गांधी सभी परीक्षा में जनता द्वारा फेल किये जा चुके है, फिर प्रवक्ता क्या करें? कांग्रेस में जमीनी और अनुभवी नेतृत्व समाप्त हो चुका है.”
वहीं, इस मामले में बीजेपी के बयान जारी करने को लेकर भी कई तरह की दिलचस्प चर्चाएं हो रही हैं. एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना था, “बीजेपी वालों को ये डर है कि कहीं यही परीक्षा प्रणाली उनके यहां भी लागू कर दी गई तो क्या होगा? इसलिए पहले ही बयान देकर उसे मज़ाक साबित करने की कोशिश में लग गए हैं.”
लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार श्रवण शुक्ल कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी इस तरह की परीक्षा दूसरे राज्यों में करा चुकी है लेकिन सही तरीक़ा न अपनाने के कारण उसे मज़ाक का पात्र बनना पड़ा है.
श्रवण शुक्ल कहते हैं, “पार्टी में वही चेहरे दिखते हैं जो पचीस साल पहले भी दिखते हैं. न तो नया नेतृत्व तैयार हो रहा है, न ही नए सदस्य बनाने की कोशिश हो रही है, उस पर यदि इस तरह के नए प्रयोग होंगे तो मज़ाक तो बनेगा ही.”
बहरहाल, पार्टी के मुताबिक इस परीक्षा का परिणाम अगले हफ़्ते आएगा और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर का कहना है कि जो किसी तरह से परीक्षा नहीं दे पाए, उनके लिए ये एक बार और आयोजित की जाएगी. BBC