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योग शरीर, आत्मा और मन के बीच समन्वय कायम करता हैः राजनाथ सिंह

देश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि मानव जीवन में योग शरीर, आत्मा और मन के बीच समन्वय स्थापित करता है। श्री राजनाथ सिंह यहां संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए योग पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत योग का जन्म स्थान होने के कारण, योग का प्रचार करने में विश्व में अग्रणी नहीं बनना चाहता था लेकिन यह जरूर चाहता था कि दुनिया में सभी स्वस्थ रहें और शांति से रहें। भारत ने हमेशा से वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत को अपनाया है जिसका अर्थ है कि विश्व एक परिवार है।
गृह मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर न केवल भारत में बल्कि समूची दुनिया में उत्सव का माहौल था। योग का अभ्यास जल, थल और वायु सहित सभी जगह किया गया। पूरी दुनिया ने योग का अभ्यास किया, जिसका किसी एक धर्म अथवा जाति से संबंध नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस को हकीकत में बदलने का समूचा श्रेय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को जाता है।
श्री राजनाथ सिंह ने मानव जीवन की तुलना वास्तविकता से की। मनुष्य की संतुष्टि का संबंध खुशहाली से है और वह खुशहाली योग के जरिए हासिल की जा सकती है। उन्होंने कहा कि योग समाज को जोड़ता है। बौद्ध धर्म के भारत में जन्म लेने के बाद यह दुनिया भर में फैला। योग भी भारत में जन्म लेने के बाद अब यह दुनिया भर में फैल गया है।
इस अवसर पर आयुष राज्य मंत्री श्री श्रीपद येसो नाईक ने कहा कि आयुष मंत्रालय विभिन्न स्तरों पर योग को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।
उन्होंने कहा कि लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए योग के इस्तेमाल की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित किया गया है। योग साधना को एक अर्थपूर्ण जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।
मोरारजी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान को परंपरागत औषधि, (योग) में पहला डबल्यूएचओ सहयोग केन्द्र नियुक्त किया गया है।
श्री राजनाथ सिंह और श्री नाईक ने योग पेशेवरों के लिए ऐच्छिक प्रमाण-पत्र योजना की शुरुआत की। इस योजना का उद्देश्य योग की शिक्षा देने वालों की योग्यता को प्रमाणित करना है। तीन स्तरों की स्क्रीनिंग के बाद प्रमाण-पत्र जारी किए जाएंगे।
इस अवसर पर योग प्रतिनिधि और ईशा फाउंडेशन के स्वामी जग्गी वासुदेव, वैज्ञानिक अध्यात्मवादी डॉ. प्रणव पाण्ड्या और ब्रह्मकुमारियों की सिस्टर शिवानी और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।

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