ऋषिकेश: उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद व मुनिकी रेती गढ़वाल मण्डल विकास निगम लि0 के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के चौथे दिन गंगा तट पर अवस्थित गंगा रिसॉर्ट मुनि की रेती, ऋषिकेश में योगसाधकों ने योग की विभिन्न क्रियाओं का अभ्यास कर योगाचार्यों से योग की बारिकियों के गुरमंत्र लिए।
प्रातःकालीन सत्र में आर्ट ऑफ लिविंग के मोहित सती ने मुख्य पण्डाल में अष्टांग योग एवं सूक्ष्म व्यायाम के बारे में बताते हुए कहा कि हमारे जीवन के हर पहलू में योग छिपा हुआ है, जाने अनजाने हमारी दिनचर्या के पूरे क्रियाकलाप योग से जुड़ते हुए जीवन के अविभाज्य अंग बने हुए हैं। योग केवल शरीर पर ही काम नहीं करता वरन यह मन को शक्तिशाली व तनाव रहित बनाता है।
उन्होंने कहा कि कमजोर शरीर को शक्तिशाली मन चला सकता है, परन्तु एक शक्तिशाली शरीर को कमजोर मन नहीं चला सकता है। योग क्रियाओं के द्वारा मन को स्थिर रखते हुए शारीरिक एवं मानसिक विकारों से मुक्ति पाने का उपक्रम ही योग है। अष्टांग योग के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा कि इसके आठ अंग हैं, यम, नियम, आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान, प्रतिहार और समाधि इनको भले ही अलग-अलग देखा जाता है मगर ये एक दूसरे से जुडे हुए हैं। पहले छः को जोड़कर ध्यान लगता है और तब वह समाधि की और जाता है, उन्होंने कहा कि घरों में काम करने वाली महिलायें अपने दिनभर की दिनचर्या के दौरान जो काम करती हैं, उस प्रक्रिया में भी जाने अनजाने योग छिपा हुआ रहता है। योग सिर्फ आसन नहीं है वरन यह मन, स्वास व शरीर को जोड़ने वाली कला है।
दूसरी तरफ नगर पालिका हाल में हठ योगी सन्त स्वामी जीतानन्द ने अभयान्तर क्रिया योग, दण्ड क्रिया, संकुचन प्रसारण, पाद ग्रिहवा योग का अभ्यास कराते हुए इसकी उपयोगिता के बारे में प्रतिभागियों को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह क्रिया शरीर को स्वस्थ रखने में इतनी सहायक है कि अन्य योगों की आवश्यकता नहीं पड़ती है। यदि व्यक्ति इन योग क्रियाओं को करता रहे तो उसके जीवन में आरोग्यता का साम्राज्य स्थापित हो जायेगा।
लाईट एण्ड सॉउण्ड हाल में संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोफेसर, डॉ0 लक्ष्मी नारायण जोशी ने नाड़ी विज्ञान व योग चिकित्सा के बारे में बताते हुए कहा कि शरीर की धमनियों में रक्त संचार से कोई भी अंग सहजता से काम करता रहता है, लेकिन जिस दिन रक्त संचार की यह सहजता धीमी पड़ जाये तो अंगों में विकार उत्पन्न हो जाता है इसलिए योग से शरीर के पूरे तन्त्र को ठीक रखा जा सकता है ताकि सारे अंग प्रत्यंग सही व सुचारू रूप से काम करते रहें। उन्होंने कहा कि नाड़ी चिकित्सा विज्ञान तीन सिद्धान्तों पर काम करता है। पहला-हृदय से शरीर के अंगों को निर्बाध गति से रक्त की आपूर्ति करना दूसरा-मस्तिष्क से निकलने वाली नाड़ियों द्वारा रक्त की आपूर्ति सभी अंगों को मिलते रहना तीसरा-प्राण ऊर्जा की आपूर्ति का शरीर के सभी अंगों तक पहुँचते रहना। योग महोत्सव में ‘‘पिरामिड स्पिरिचुअल सोसाइटीज मूवमेंट’’ दिल्ली द्वारा पिरामिड ध्यान शक्ति योग द्वारा योग साधकों को ध्यान योग के बारे में बताया गया।
इस अवसर पर उक्त संस्था की विभा गुप्ता व शक्ति गुप्ता द्वारा बताया गया कि ध्यान योग हमें स्वयं की सांसों से जोड़ना सिखाता है। सांसें सदा से हमारे साथ हैं और मृत्यु पर्यन्त हमारे साथ रहेंगी परन्तु हम उनके साथ कभी नहीं रहे। हम सांसां के साथ रहना सीख रहें हैं, हमें सहज सांसों को सहज रूप में सहज भाव से साक्षी होकर देखना है। क्योंकि सांस ही हमारी गुरू और मित्र दोनों हैं, जब गुरू मित्र बन जाय तो हमें अपनी समस्या के समाधान के लिए किसी और के पास जाने की आवश्यकता नहीं होती।
सांय कालीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में त्रिभुवन महाराज व सुमित कुटानी द्वारा शानदार प्रस्तुति दी गई जो दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र रहा। योगनगरी मुनि की रेती में योग महोत्सव के चैथे दिन विभिन्न विभागों द्वारा लगाये गये स्टालों पर भी प्रतिभागियों व आगन्तुकों की भी काफी भीड देखने को मिली जिसमें उद्योग विभाग, आयुष विभाग, आध्यात्म विज्ञान व सत्संग केन्द्र जोधपुर राजस्थान का स्टॉल आकर्षण के केन्द्र रहे वही गढ़वाल मण्डल विकास निगम लि0 द्वारा गढ़वाली व्यंजनों का स्टॉल लगाया गया।
कार्यक्रम स्थल पर गढ़वाल मण्डल विकास निगम के प्रबन्ध निदेशक, डॉ0 आशीष चौहान, महाप्रबन्धक (पर्यटन), जितेन्द्र कुमार, महाप्रबन्धक (प्रशासन), अवधेश कुमार सिंह, महाप्रबन्धक (वित्त) एवं अभिषेक कुमार आनन्द समेत अनेक अधिकारी/कर्मचारी मौजूद रहे।