नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के अंदर अरविंद केजरीवाल बनाम योगेंद्र यादव-प्रशांत भूषण की लड़ाई अब ‘डर्टी पॉलिटिक्स’ में बदलती दिख रही है। गुरुवार रात आप की पीएसी की बैठक के बाद इस पूरे विवाद में एक नाटकीय मोड़ आ गया। आम आदमी पार्टी ने बैठक के बाद कहा कि यादव और भूषण ने 5 मांगों के साथ 17 मार्च को ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इस्तीफा दे दिया था, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। वहीं कुछ ही देर बाद प्रशांत भूषण और योगेंद्र यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका खंडन कर डाला। प्रेस कॉन्फ्रेंस में भूषण भावुक हो गए और आप नेताओं पर उनके बारे में झूठ फैलाने का आरोप लगाया।
गुरुवार को पीएसी की बैठक के बाद आप नेता कुमार विश्वास ने कहा कि यादव और भूषण ने 17 मार्च को ही 5 शर्तों के साथ ही राष्ट्रीय कार्यकारिणी से अपना इस्तीफा दे दिया था। बैठक में उनकी मांगें और इस्तीफा दोनों स्वीकार कर लिए गए। बाद में आप के नेता संजय सिंह ने भी इस विवाद पर सफाई देते हुए कहा कि योगेंद्र यादव की सारी मांगें मान ली गई थीं, इसके बाद भी उन्होंने सारी बातचीत तोड़ दी।
वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इस पर कुछ अलग ही कहा। सिसोदिया ने कहा कि मांगें माने जाने के बावजूद दोनों केजरीवाल के संयोजक पद से इस्तीफे पर अड़े हुए थे, जिससे बातचीत फेल हो गई।
वहीं पार्टी के प्रवक्ता आशीष खेतान ने भी भूषण और यादव पर सीधा हमला बोला। खेतान ने कहा कि योगेंद्र यादव कमरे में कुछ और बाहर कुछ और बोलते हैं। असली मुद्दा यह है कि अरविंद केजरीवाल को कमजोर करना है।यादव ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी से उनके इस्तीफे और मांगों की बात को हास्यास्पद करार देते हुए पार्टी को सबूत दिखाने की चुनौती दे डाली। योगेंद्र यादव ने कहा कि जिस चिट्ठी को उनका इस्तीफा बताया जा रहा है, वह दरअसल कुछ मांगों को लेकर लिखा गया एक नोट था। इस नोट में हमने कहा था कि अगर हमारी पांच मांगें मान ली जाती हैं, तो हम इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने यह नोट फेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा है कि क्या हमारी ये मांगें पूरी हुई हैं।
विश्वास ने कहा कि योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण ने इस्तीफे के साथ पांच शर्तें रखी थीं, जिन्हें स्वीकार कर लिया गया। मांगों के बारे में बताते हुए विश्वास ने कहा, ‘योगेंद्र यादव ने मांग रखी थी कि राज्यों में भी चुनाव की व्यवस्था देखी जाए। पार्टी ने उनकी यह मांगी स्वीकार कर ली और मुझे महाराष्ट्र का प्रभार सौंपा गया है।’
दूसरी मांग कार्यकर्ताओं की सुनवाई से संबंधित थी, जिसके लिए परफॉर्मा तैयार कर लिया गया है। तीसरी मांग राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या बढ़ाने की थी। उनकी यह मांग भी मान ली गई और दोनों ओर से मिले आठ नामों पर सहमति हुई।
विश्वास ने कहा कि योगेंद्र यादव कि चौथी मांग उन्हें हरियाणा का प्रभार देने की थी, जो मान ली गई। वह नवीन जयहिंद को हरियाणा में नहीं चाहते थे, इसलिए उन्हें दिल्ली बुलाने का फैसला लिया गया है। जयहिंद ने पार्टी का यह अनुरोध स्वीकार कर लिया है। इसके साथ ही योगेंद्र यादव ने किसान आंदोलन लीड करने की इच्छा जताई थी, जिसे स्वीकार कर लिया गया।