लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि युवा भारत का भविष्य है, युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है। उन्होंने युवाओं का आह्वान किया कि वह अपनी प्रतिभा और तकनीकी के माध्यम से देश का नाम दुनिया में रोशन करें। श्री केशव प्रसाद मौर्य आज लखनऊ विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में विज्ञान महोत्सव के समापन समारोह को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
श्री मौर्य ने अपने सम्बोधन में कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय शताब्दी समारोह के विज्ञान महोत्सव के समापन-2020 में सम्मिलित होकर इसका हिस्सा बनने का अवसर मिला, यह उनके लिये बहुत ही गौरव का दिन है।
श्री मौर्य ने कहा कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय और लखनऊ विश्वविद्यालय का रिश्ता बहुत ही पुराना है, पहले लखनऊ विश्वविद्यालय की डिग्री इलाहाबाद विश्वविद्यालय ही जारी करता था। इन दोनों विश्वविद्यालयों से भारतीय राजनीति में कई बड़े नेता आये, जिन्होने देश में अपनी अमिट छाप छोड़ी।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस देश के युवा ही, इसकी शक्ति हैं, देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी आज विश्व के सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों में गिने जाते हैं, उसका एक मात्र कारण युवाओं का साथ है और इसी साथ के कारण वह तमाम चुनौतियों का सामना करने को तत्पर रहते हैं। विश्वविद्यालय के युवाओं को ज्यादा से ज्यादा नई तकनीक, नई शोध में बढ़ चढ़कर भाग लेने का आग्रह किया
उन्होनें कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नारा है ,सबका साथ- सबका विकास- सबका विश्वास और सबका स्थान, इसी को ध्यान में रखते हुये प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व मे प्रदेश के चहुंमुखी विकास के लिए अनेकानेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं।
उन्होने कहा कि हमारे युवाओं में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, उन्हे नये-नये शोध कर देशहित में कार्य करना चाहिए, जिससे हम विश्व में एक अलग पहचान बना सकें।
श्री मौर्य ने कहा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने अपना सर्वांगिण विकास निरन्तर कर रहा है। डाॅ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम का जिक्र करते हुये उपमुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ0 साहब कहते थे, सपने वह नहीं हैं जो हम बन्द आंखो से देखते हैं, बल्कि सपने वो हैं जो हमें सोने नहीं देते।
अन्त में श्री मौर्य ने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर प्रकोप के साथ बढ़ने की सम्भावना है, इसलिये हमें दो गज की दूरी का पालन करते हुये सभी कार्य भी सम्पादित करने हैं। इस कोरोना काल में जब तक वैक्सीन न आ जाये तब तक बचे हुये समय का सदुपयोग कर पूरी सावधानी के साथ ऐसे कार्यक्रम आयोजित किये जांय कि प्रोटोकोल का उल्लंघन न होने पाये।