उपराष्ट्रपति, श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज कहा कि स्वास्थ्य देखरेख केवल रोग की अनुपस्थिति’ भर नहीं है। उन्होंने स्वास्थ्य के बारे में ऐसा समग्र दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण शामिल है और जो किसी भी व्यक्ति को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने के योग्य बनाता है।
एनडीटीवी के ‘बनेगा स्वस्थ भारत (इंडिया)’ कार्यक्रम के नवीनतम संस्करण के लिए एक वीडियो संदेश में, उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति यह समग्र दृष्टिकोण ‘स्वस्थ भारत’ का उद्देश्य है, जो अंततः ‘संपन्न भारत’ या समृद्ध भारत की ओर ले जाएगा।
स्वतंत्रता के बाद से स्वास्थ्य सूचकांकों में आए महत्वपूर्ण लाभ को ध्यान में रखते हुए, श्री नायडू ने केंद्र और राज्यों से स्वास्थ्य सूचकांकों में और अधिक सुधार करने के लिए नए जोश के साथ टीम इंडिया की भावना से मिलकर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि “स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाने के अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की भी आवश्यकता है।”
शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में असमानताओं को पाटने का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में तृतीयक देखभाल लाते समय यह आवश्यक है कि हम बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को और सुदृढ़ करें।” उन्होंने सरकार की प्रमुख योजना, आयुष्मान भारत की सराहना की और कहा कि यह लाखों गरीब परिवारों के लिए ‘स्वास्थ्य आश्वासन’ लेकर आई है।
भारत में गैर-संचारी रोगों में वृद्धि की परेशान करने वाली प्रवृत्ति पर चिंता व्यक्त करते हुए, श्री नायडू ने जीवनशैली से संबंधित बीमारियों के बारे में लोगों में अधिक जागरूकता पैदा करने का आह्वान किया। उन्होंने स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सांस्कृतिक हस्तियों से इस संबंध में आगे आने का आग्रह किया।
वैश्विक कोविड महामारी का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने चिकित्सकों और पराचिकित्सा (पैरामेडिक्स) सहयोगियों, स्वच्छता कार्यकर्ताओं, पुलिस और मीडियाकर्मियों सहित सभी अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ताओं की महामारी से लड़ने और लोगों की सेवा करने में उनके द्वारा प्रदर्शित असाधारण लचीलेपन, साहस और बलिदान की भावना की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि महामारी ने हमें यह भी याद दिलाया है कि हमारा स्वास्थ्य इस ग्रह के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है और मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक इकोसिस्टम में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि ‘एक स्वास्थ्य, एक ग्रह, एक भविष्य’ ही आगे का रास्ता है’।
यह देखते हुए कि हमारी लगभग 65 प्रतिशत आबादी 35 वर्ष से कम उम्र की है, उन्होंने युवाओं को योग या साइकिल चलाने और स्वस्थ भोजन खाने जैसी नियमित शारीरिक गतिविधियां करके स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली अपनाने का आह्वान किया। उन्होंने युवाओं को सलाह दी कि वे डिजिटल उपकरणों के आदी होने से बचें।
स्वास्थ्य और कल्याण के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जन जागरूकता में सुधार के लिए समय पर और महत्वपूर्ण पहल के लिए एनडीटीवी की सराहना करते हुए श्री नायडू ने इस कार्यक्रम की सफलता की कामना की।
उपराष्ट्रपति के वीडियो संदेश का पूरा पाठ निम्नवत है-
“बहनों और भाइयों,
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि एनडीटीवी ने अपने वार्षिक कार्यक्रम का एक और संस्करण ‘बनेगा स्वस्थ इंडिया’ जारी किया है। यह एक बहुत ही सामयिक और महत्वपूर्ण पहल है जो स्वास्थ्य और कल्याण के महत्वपूर्ण मुद्दों पर जन जागरूकता में सुधार करना चाहती है। मैं इस प्रयास के लिए एनडीटीवी की सराहना करता हूं।
कोविड महामारी ने हमें कई महत्वपूर्ण सबक सिखाए हैं। इसने हम में से प्रत्येक को – व्यक्तियों से लेकर सरकारों तक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने के लिए सजग किया है। आगे बढ़ने से पहले, मैं सभी चिकित्सकों और अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों को महामारी से लड़ने और लोगों की सेवा करने में उनके द्वारा प्रदर्शित असाधारण लचीलेपन, साहस और बलिदान की भावना के लिए उनकी अत्यधिक प्रशंसा करना चाहता हूं। इस महामारी के दौरान समर्पित सेवा के लिए स्वच्छता कर्मचारियों से लेकर मीडिया और पुलिस कर्मियों तक अन्य सभी कोविड योद्धाओं को भी मेरी बधाई।
मित्रों,
जैसा कि आप सभी जानते हैं -भारत एक युवा राष्ट्र है जिसकी लगभग 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है। इसलिए हमारे युवाओं के लिए अनिवार्य हो जाता है कि वे एक स्वस्थ और अनुशासित जीवन शैली अपनाएं। उन्हें नियमित शारीरिक गतिविधियां जैसे योग या साइकिल चलाना चाहिए; साथ ही उन्हें सुस्त बने रहने की आदतों, जंक फूड जैसे आहार और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक पदार्थों के सेवन से बचना होगा। युवाओं को भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि उन्हें डिजिटल उपकरणों की लत न लग जाए।
अब जबकि भारत ने स्वतंत्रता के बाद से स्वास्थ्य सूचकांकों में महत्वपूर्ण लाभ कमाया है, केंद्र और राज्यों को स्वास्थ्य सूचकांकों में और सुधार करने के लिए नए जोश के साथ टीम इंडिया की भावना के तहत काम करना चाहिए। स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च बढ़ाने के अलावा, सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने की भी आवश्यकता है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में भारी असमानताओं को दूर करने की जरूरत है। ग्रामीण क्षेत्रों में तृतीयक देखभाल लाते समय यह अनिवार्य हो गया है कि हम बेहतर स्वास्थ्य परिणामों के लिए अपनी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करें।
यह बताना भी उचित होगा कि सरकार की प्रमुख योजना, आयुष्मान भारत, एक ऐसी प्रशंसनीय पहल है जिसने लाखों गरीब परिवारों को ‘स्वास्थ्य आश्वासन’ दिया है।
आगे बढ़ते हुए, हमें भारत में बढ़ती गैर-संचारी रोगों की परेशान करने वाली उस प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने की ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जो अब देश में लगभग 60 प्रतिशत मौतों का कारण है। हमें जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा करने की जरूरत है। मैं स्वास्थ्य विशेषज्ञों और सांस्कृतिक हस्तियों से इस संबंध में आगे बढ़ नेतृत्व करने का आग्रह करता हूं।
महामारी ने हमें यह भी याद दिलाया है कि हमारा स्वास्थ्य इस ग्रह के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। मनुष्य को अपने स्वार्थ के लिए प्राकृतिक इकोसिस्टिम में हस्तक्षेप करने से बचना चाहिए। ‘एक स्वास्थ्य, एक ग्रह, एक भविष्य’ ही आगे का रास्ता है।
मित्रों,
अंत में, मेरा सुझाव है कि हम रोग की अनुपस्थिति के रूप में स्वास्थ्य देखभाल की धारणा से आगे बढ़ें और स्वास्थ्य के बारे में एक ऐसा समग्र दृष्टिकोण अपनाएं जिसमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण शामिल है और जो किसी भी व्यक्ति को उसकी पूरी क्षमता तक पहुंचने के योग्य बनाता है। यही ‘स्वस्थ भारत’ का उद्देश्य है, जो अंततः ‘संपन्न भारत’ या समृद्ध भारत की ओर ले जाएगा।
एनडीटीवी के दर्शकों और इस कार्यक्रम के पैनलिस्टों को मेरी शुभकामनाएं। हम स्वस्थ और संपूर्ण भारत के लिए अधिक दृढ़ संकल्प के साथ मिलकर प्रयास करें।