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युवाओं की सामथ्र्य का उपयोग राष्ट्र निर्माण में हो यही ‘युवा कुम्भ’ की भावना: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊउत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय संस्था यूनेस्को द्वारा कुम्भ को ‘मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत’ की सूची में सम्मिलित किया गया है। भारत की योग की शक्ति को मान्यता देते हुए यू0एन0ओ0 द्वारा प्रतिवर्ष 21 जून को अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। दुनिया अब भारत की शक्ति पहचानने लगी है। प्रयागराज कुम्भ-2019 विश्व को भारत की सांस्कृतिक श्रेष्ठता से परिचित कराएगा।

राज्यपाल जी ने यह विचार आज यहां आयोजित ‘युवा कुम्भ’ के उद्घाटन सत्र में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में व्यक्त किए। ‘युवा कुम्भ’ में उपस्थित युवाओं को प्रयागराज कुम्भ-2019 में सम्मिलित होने का आमंत्रण देते हुए उन्होंने कहा कि कुम्भ में उमड़ने वाला स्वतः स्फूर्त जनसागर उन सभी को कुम्भ की चुम्बकत्व शक्ति से परिचित होने का अवसर देगा। उन्होंने प्रदेश के विश्वविद्यालयों से उपाधि एवं पदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में छात्राओं के अधिक प्रतिशत का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश तेजी से बदलाव की ओर अग्रसर है।

‘युवा कुम्भ’ के मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। देश के युवाओं ने पूरे विश्व में अपनी ऊर्जा और प्रतिभा का लोहा मनवाया है। युवाओं की सामथ्र्य का उपयोग राष्ट्र निर्माण में हो यही ‘युवा कुम्भ’ की भावना है। उन्हांेने कहा कि युवाओं को अपनी परम्परा और संस्कृति से जुड़ना चाहिए। अतीत से भटका व्यक्ति वर्तमान का त्रिशंकु होता है। युवाओं का एक लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने युवाओं को षड़यंत्रकारी शक्तियों से सचेत रहते हुए अपनी ऊर्जा और क्षमता को राष्ट्र के निर्माण में लगाने की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय परम्परा को लांछित करने वाली शक्तियां कुम्भ को पर्यावरण, महिला, युवा विरोधी बताती हैं। यह धारणा उचित नहीं है। इसीलिए पांच वैचारिक कुम्भों का आयोजन किया गया है। काशी में ‘पर्यावरण कुम्भ’, आगरा में ‘नारी शक्ति कुम्भ’, अयोध्या में ‘समरसता कुम्भ’ का आयोजन किया जा चुका है। यहां ‘युवा कुम्भ’ के पश्चात प्रयागराज में ‘संस्कृति कुम्भ’ का आयोजन किया जाएगा।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारत की सनातन संस्कृति से अधिक पर्यावरण हितैषी कोई नहीं है, जिसमें पशु, पक्षी, पेड़, पौधों आदि की भी उपासना की जाती है। धरती, गंगा, गाय आदि को मां मानने वाली संस्कृति और समाज नारी विरोधी नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कुम्भ सभी भेद-भाव से रहित है। इसमें सभी जाति, मत, मजहब, क्षेत्र, भाषा के लोग स्वतः स्फूर्त भाव से सम्मिलित होते हैं।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रयागराज कुम्भ में 12 से 15 करोड़ लोगों का प्रेरणादायी संगम होगा। कुम्भ का आयोजन भारत की एकतात्मकता और अखण्डता का प्रतीक है। बोली-भाषा, खान-पान, रूप-रंग अलग होते हुए भी भारत एक राष्ट्र और एक संस्कृति है। हमारे उपासना स्थल हमारी एकता और एकात्मकता के केन्द्र हैंै। कुम्भ का आयोजन हमारे देश की इसी एकात्मकता को दर्शाता है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रयास से यूनेस्को द्वारा कुम्भ की महत्ता को देखते हुए इसे विश्व की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सूची में सम्मिलित किया गया है। पहली बार हुआ है कि कुम्भ की तैयारियों को देखने के लिए 70 देशों के राजदूत प्रयागराज आये। साढ़े 400 बरसों में पहली बार केन्द्र सरकार के सहयोग से राज्य सरकार ने कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए अक्षयवट और सरस्वती कूप के दर्शन की व्यवस्था की है। प्रयागराज का इतिहास हजारों-हजार वर्षाें का है। कुम्भ का आयोजन गंगा जी, यमुना जी तथा सरस्वती जी की त्रिवेणी के संगम पर होता है, किन्तु इसका सम्बन्ध सम्पूर्ण प्रयागराज क्षेत्र से है। राज्य सरकार ने भारद्वाज आश्रम, कुम्भ के इष्ट देव वेणी माधव सहित कुम्भ से सम्बन्धित सभी प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष स्थलों का पुनरुद्धार कराया है। राज्य सरकार प्रयागराज में भारद्वाज मुनि और माँ सरस्वती की भव्य प्रतिमा भी स्थापित करा रही है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कुम्भ श्रद्धालुओं के लिए सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं। पहली बार कुम्भ के श्रद्धालुओं, पर्यटकों, जिज्ञासुओं आदि के लिए जल, थल और नभ मार्ग से प्रयागराज आने की व्यवस्था की गयी है। 16 दिसम्बर, 2018 को प्रधानमंत्री जी द्वारा हवाई अड्डे के सिविल टर्मिनल का शुभारम्भ किया गया है। वाराणसी से प्रयागराज तक गंगा में जलमार्ग से यात्रा की व्यवस्था की गयी है। 264 सड़क मार्गों को चिन्हित कर उनका चैड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण किया गया है। साथ ही, 10 आर0ओ0बी0 और फ्लाईओवर, 6 अण्डर पास का निर्माण कराया गया है। इस बार कुम्भ क्षेत्रफल को 1700 हेक्टेयर से बढ़ाकर 3,200 हेक्टेयर किया गया है। कुम्भ में इस बार स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके लिए 01 लाख 22 हजार से अधिक ईको फ्रेण्डली शौचालयों का निर्माण कराया गया है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विगत साढ़े चार वर्ष में केन्द्र सरकार ने कौशल विकास मिशन, मुद्रा, स्टैण्डअप, स्टार्टअप आदि योजनाओं के माध्यम से युवाओं के लिए आगे बढ़ने के अवसर सुलभ कराएं हैं। डेढ़ वर्ष में प्रदेश सरकार ने डेढ़ लाख से अधिक युवाओं को नौकरी उपलब्ध करायी है। 69 हजार शिक्षकों तथा 50 हजार पुलिसकर्मियों की भर्ती प्रक्रिया प्रचलित हैं। वर्ष 2019 के पहले माह में यह पूर्ण कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में निवेश का वातावरण बनाकर राज्य सरकार ने युवाओं को स्वावलम्बी बनाने की ओर अग्रसर किया है। ‘एक जनपद एक उत्पाद’ योजना से आगामी पांच वर्षों में 20 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर सुलभ होंगे।

 सहसरकार्यवाह एवं ‘युवा कुम्भ’ के मुख्य वक्ता डाॅ0 कृष्ण गोपाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि कुम्भ की परम्परा अत्यन्त प्राचीन है। इसमें गंगा स्नान का प्रतीकात्मक महत्व है। वस्तुतः यह समाज की परिस्थिति पर चिंतन-मंथन के लिए चिंतकों और साधकों का समागम है। उन्होंने कहा कि कुम्भ में पूरे देश के सभी भागों की भागीदारी का कारण आध्यात्मिक भाव है। यही आध्यात्मिक भाव इस देश की आधारशिला और एकता की गारण्टी भी है।

कार्यक्रम में अपने स्वागत भाषण में लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 सुरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सृजन और निर्माण के लिए 4डी, डिवोशन, डेडिकेशन, डिटरमिनेशन, डिसिप्लिन आवश्यक है। समर्थ भारत के निर्माण की ऊर्जा युवा है। यह निर्माण संस्कारवान और अनुशासित युवाओं द्वारा ही सम्भव है। उन्होंने कहा कि ‘युवा कुम्भ’ युवाओं को मार्ग दिखाने के लिए आयोजित किया गया है।

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