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श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने छठे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर शुभकामनाएं दीं

देश-विदेश

नई दिल्ली: केंद्रीय वस्त्र और महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन ईरानी ने आज छठे राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर अपनी शुभकामनाएं दीं हैं। राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर वस्त्र मंत्रालय द्वारा आज वर्चुअल मोड में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए, श्रीमती स्मृति ईरानी ने 2015 में 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के रूप में घोषित करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। आज के ही दिन 110 वर्ष पहले, 1905 में स्वदेशी आंदोलन की शुरुआत हुई थी। महात्मा गांधी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, श्रीमती स्मृति ईरानी ने कहा कि चरखा की मदद से भारत को स्वतंत्रता मिली थी। इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर कांगड़ा भी वर्चुअल मोड के माध्यम से उपस्थित थे।

     इस अवसर पर, श्रीमती स्मृति ईरानी ने हैंडलूम मार्क योजना (एचएलएम) के लिए मोबाइल ऐप और बैकेंड वेबसाइट लॉन्च किया। मंत्री ने कहा कि प्रामाणिक हथकरघा उत्पादों को सामूहिक पहचान प्रदान करने के लिए हैंडलूम मार्क को बढ़ावा दिया जा रहा है। कपड़ा समिति, मुंबई ने पंजीकरण की प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने के लिए बैकएंड वेब पोर्टल के साथ मोबाइल ऐप विकसित किया है। ऐप अंग्रेजी और 10 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है और इसके द्वारा देश के किसी भी हिस्से में स्थित बुनकर अपने मोबाइल से हैंडलूम मार्क पंजीकरण के लिए आवेदन कर सकेंगे। यह एप्लिकेशन प्रत्येक हथकरघा उत्पाद पर चिपकाए गए अनूठे क्यू आर कोड लेबल के माध्यम से उत्पाद की वास्तविकता और मौलिकता का पता लगाने में मदद करता है।

     केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने ब्लॉक स्तर समूह (क्लस्टर), हथकरघा विपणन सहायता और पुरस्कार जैसी हथकरघा योजनाओं के तहत विभिन्न लाभों को प्राप्त करने के लिए “माई हैंडलूम” पोर्टल भी लॉन्च किया। इसके तहत व्यक्तिगत बुनकर व अन्य संगठन इन लाभों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस पोर्टल का उद्घाटन करते हुए, उन्होंने 2015 में प्रथम राष्ट्रीय हथकरघा दिवस के अवसर पर “इंडिया हैंडलूम” ब्रांड लॉन्च करने के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि अब तक, इस ब्रांड के तहत 1590 उत्पाद पंजीकृत किए गए हैं और इसमें 180 से अधिक उत्पाद श्रेणियां हैं। एकल “साइन-इन” के जरिये पोर्टल पर सभी हथकरघा योजनाओं की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। पोर्टल सूचना का संग्रह करेगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा तथा राष्ट्रीय हथकरघा विकास कार्यक्रम के तहत जमा किये गए आवेदनों के सम्बन्ध में वास्तविक समय पर अपडेट प्रदान करेगा। पोर्टल विभिन्न योजनाओं/हस्तक्षेपों जैसे मुद्रा ऋण योजना, बुनकरों का बीमा, सूत की आपूर्ति, करघे और सामान का वितरण, प्रशिक्षणों की संख्या आदि की भी जानकारी देगा। मेला, दिल्ली हाट जैसे विभिन्न आयोजनों में स्टॉलों के पारदर्शी आवंटन के लिए एक ऑनलाइन लॉटरी प्रणाली पेश की गयी है। पोर्टल को ई-ऑफिस और डीबीटी पोर्टल से जोड़ा जाएगा।

     केंद्रीय वस्त्र मंत्री ने वर्चुअल इंडियन टेक्सटाइल सोर्सिंग फेयर 2020 का भी उद्घाटन किया। अभूतपूर्व कोविड-19 महामारी को देखते हुए प्रदर्शनियों, मेलों आदि पारंपरिक विपणन कार्यक्रमों को आयोजित करने में असमर्थता के कारण सरकार, बुनकरों और हथकरघा उत्पादकों को ऑनलाइन विपणन के अवसर प्रदान कर रही है। “आत्मनिर्भर भारत” को साकार करने की दिशा में कदम उठाते हुए, हैंडलूम निर्यात संवर्धन परिषद वर्चुअल फेयर आयोजित कर रहा है। इस मेले में देश के विभिन्न क्षेत्रों के 150 से अधिक प्रतिभागियों को अपने उत्पादों के डिजाइन और कौशल को प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा। इंडियन टेक्सटाइल सोर्सिंग फेयर 7, 10 और 11 अगस्त को खुला रहेगा। फेयर ने पहले ही बहुत से अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों का ध्यान आकर्षित किया है।

     जिला प्रशासन, कुल्लू के सहयोग से स्थापित किए जा रहे क्राफ्ट हैंडलूम विलेज, कुल्लू पर एक प्रस्तुति दी गई। इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने हिमाचल के हथकरघा का प्रदर्शन करने पर आभार व्यक्त किया और कहा कि हथकरघा राज्य की पारंपरिक और प्राचीन विरासत का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि राज्य एक जिला-एक उत्पाद (वन डिस्ट्रिक्ट- वन प्रोडक्ट) योजना को लागू करने का प्रयास कर रहा है ताकि जिला और उत्पाद, दोनों अपनी अलग पहचान बना सकें।

     इस अवसर पर नागरिकों में हथकरघा बुनाई की कारीगरी पर गर्व करने की भावना को बढ़ावा देने तथा हथकरघा बुनकर समुदाय को प्रोत्साहन देने के लिए दो सप्ताह का सोशल मीडिया अभियान शुरू किया गया। वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति ईरानी ने केंद्र सरकार के मंत्रियों, उप-राज्यपालों, राज्यों के मुख्यमंत्रियों, संसद सदस्यों और उद्योगपतियों से अपील की है कि वे अपने मित्रों व परिजनों के साथ सोशल मीडिया के माध्यम से बुनकर समुदाय के साथ एकजुटता व्यक्त करें तथा दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें।

     वस्त्र मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सचिवों और अन्य समकक्ष स्तर के अधिकारियों से भी इसी तरह का अनुरोध किया है। इसके अलावा, राज्यों के सचिवों, निर्यात संवर्धन परिषदों, वस्त्र निकायों जैसे केन्द्रीय रेशम बोर्ड, राष्ट्रीय जूट बोर्ड से अनुरोध किया गया है कि वे एक ही हैशटैग का उपयोग करके सोशल मीडिया अभियान को आगे बढ़ाएं तथा अपने सहयोगियों और कर्मचारियों को हैंडलूम वस्त्र अपनाने के लिए प्रेरित करें। ई-कॉमर्स संस्थाओं, खुदरा कंपनियों और डिजाइनर निकायों को भी हैंडलूम उत्पादों को बढ़ावा देने एवं वस्त्र मंत्रालय के प्रयासों को सहयोग देने का अनुरोध किया गया है।

     इसके अलावा, हथकरघा को बढ़ावा देने के लिए हैशटैग #Vocal4Handmade के जरिये मीडिया अभियान की शुरुआत की गयी है। इसके तहत हथकरघा, हथकरघा उत्पादों व देश के विभिन्न क्षेत्रों के उच्च स्तरीय हथकरघा उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। हथकरघा उत्पादों के निर्माताओं और बुनकरों/कारीगरों को ट्वीट करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे आम लोगों के बीच अपने हथकरघा उत्पादों का प्रचार-प्रसार कर सकें।

     समारोह में सचिव (वस्त्र) श्री रवि कपूर और विकास आयुक्त (हथकरघा) श्री संजय रस्तोगी भी उपस्थित थे। समारोह में देश के विभिन्न हिस्सों से लोगों ने भाग लिया। इस कार्यक्रम से देश भर के हथकरघा समूह, सभी 28 बुनकर सेवा केंद्र, 6 भारतीय हथकरघा प्रौद्योगिकी संस्थान, राष्ट्रीय हथकरघा विकास निगम, हथकरघा निर्यात संवर्धन परिषद और भारत भर में निफ्ट के परिसर जुड़े हुए थे। इसके अलावा, क्राफ्ट हैंडलूम विलेज, कुल्लू और वस्त्र समिति, मुंबई ने भी समारोह में भाग लिया।

     हथकरघा को बड़े पैमाने पर बढ़ावा देने के लिए, वस्त्र मंत्रालय ने कई पहलों की शुरुआत की है। बुनकरों/उत्पादकों को सरकारी ई-मार्केट प्लेस (जीईएम) पर पंजीकृत करने के लिए कदम उठाये गए हैं, ताकि वे केंद्रीय सरकार के विभागों को हथकरघा उत्पादों की सीधी आपूर्ति कर सकें।

वस्त्र मंत्रालय हथकरघा क्षेत्र में देश भर में उत्पादक कंपनियों के गठन के लिए सुविधा प्रदान कर रहा है, जिसका उद्देश्य उन बुनकरों/श्रमिकों को विभिन्न हथकरघा योजनाओं का लाभ देना है, जो या तो स्वतंत्र रूप से या स्व-सहायता समूहों/उत्पादक समूहों के तहत काम कर रहे हैं।

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