राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि यदि गाड़ी चलाते समय कोई फोन पर बात करता हुआ पाया जाता है, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस रद्द किया जाए। साथ ही कोर्ट ने आरटीओ ऑफिस को भी निर्देश दिए हैं कि नियम का पालन न करने वालो को सुनवाई को मौका देने के बाद ड्राइविंग लाइसेंस रद्द करने की प्रक्रिया को शुरू करे।
जज गोपाल कृष्ण व्यास और रामचंद्र सिंह झाला की बेंच ने 27 अप्रैल 2018 को यह फैसला सुनाया था और 22 मई तक इस पर रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि हमारा मानना है कि चार पहिया और दो पहिया वाहनों को चलाते समय फोन पर बात करना कानून के दायरे में नहीं आता। साथ ही इस कारण कई दुर्घटनाएं भी होती हैं।
फैसले में आगे कहा गया कि यदि ड्राइवर गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करते हुए पाया जाता है, तो ऐसे में उसकी फोटो और अन्य सबूतों को आरटीओ तक पहुंचा कर ड्राइवर का लाइसेंस रद्द किया जा सकेगा।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक कमेटी ने भी सड़क पर सुरक्षा को देखते हुए पांच तरह के यातायात नियमों के उल्लंघन(जिसमें गाड़ी चलाते समय पर फोन पर बात करना भी शामिल है) के लिए तीन महीने तक लाइसेंस रद्द करने की सिफारिश की थी। भारत में गाड़ी चलाते समय फोन पर बात करना मोटर व्हीकल एक्ट के अंतर्गत गैर-कानूनी है।
हिन्दुस्तान