ओडिशा: राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यहां कहा कि उनका संगठन हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध है और राजनीति नहीं करता है. भागवत ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि संघ राजनीति नहीं करता है. यह हिंदुत्व के लिए प्रतिबद्ध है जिसका मतलब सहिष्णुता है. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में संघ कार्यकर्ताओं के अलावा केंद्रीय मंत्री जुएल उरांव और धर्मेन्द्र प्रधान भी मौजूद थे. भागवत ने कहा कि हिंदुत्व जीवन का एक तरीका है और यह धर्म मात्र नहीं है.
पूरी दुनिया में रहने वाले हिंदुओं ने हमेशा शांति का संदेश दिया है और किसी देश की स्वतंत्रता में कभी हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की है. उन्होंने कहा कि जब पश्चिमी दुनिया ने पूर्व की ओर देखा तो उन्हें भारत और चीन दिखे. लेकिन चीन पर उसके आक्रामक रवैये के कारण उनका (पश्चिम का) भरोसा नहीं बना है.
भारत में सबका विश्वास है. भारत एक वैश्विक नेता के रूप में उभर सकता है. संघ प्रमुख ने कहा कि अल्पसंख्यक भारत में सुरक्षित हैं और मुस्लिम यहां खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं. संघ प्रमुख तीन दिवसीय दौरे पर ओडिशा में हैं. गौरतलब है कि आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत इससे पहले भी हिंदुत्व के बारे में बहुत कुछ कह चुके हैं. अगरतला में बोलते हुए भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले सभी लोग हिंदू हैं और हिंदुत्व का अर्थ सभी समुदायों को संगठित करना है.
उन्होंने त्रिपुरा की राजधानी में स्थित स्वामी विवेकानंद मैदान में एक जन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हम हिंदुत्व की बात करते हैं जो हिंदूवाद से अलग है. उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा, ‘‘हमें किसी से कोई बैर नहीं है. हम सभी का कल्याण चाहते हैं. सभी को जोड़ने का सूत्र हिंदुत्व है.’’ भारत को हिंदुओं की धरती बताते हुए संघ प्रमुख ने कहा कि दुनियाभर से प्रताड़ित हिंदू इस देश में आकर शरण लेते हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘हिंदू सत्य में विश्वास रखते हैं, लेकिन दुनिया शक्ति का सम्मान करती है. संगठन में शक्ति होती है. संगठित होना स्वाभाविक नियम है.’’ देश के विभाजन का जिक्र करते हुए भागवत ने कहा कि हिंदुत्व की भावना कमजोर होने की वजह से 1947 में भारत विभाजित हो गया था.
जन्मभूमि पर ही बनेगा राम मंदिर
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)के प्रमुख मोहन भागवत ने यह कहते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राममंदिर के निर्माण की जोरदार पैरवी की कि वहां केवल मंदिर ही बनेगा, कुछ और नहीं. इस छोटी से पावन नगरी में देशभर के करीब दो हजार संतों, मठों के अध्यक्षों और विहिप नेताओं के महासमागम धर्मसंसद को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस बात में कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि अयोध्या में राममंदिर ही बनेगा. भागवत ने कहा था कि हम उसका निर्माण करेंगे. यह कोई लोकप्रिय घोषणा नहीं बल्कि हमारी आस्था का मामला है. यह नहीं बदलेगा.
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