नई दिल्लीः जीएसटी परिषद ने 18 जनवरी, 2018 को आयोजित अपनी 25वीं बैठक में आवास क्षेत्र के लिए अनेक महत्वपूर्ण सिफारिशें की थीं जो 25 जनवरी, 2018 से प्रभावी हो चुकी हैं। इन सिफारिशों से देश में आम जनता के लिए किफायती आवास या मकानों को काफी बढ़ावा मिलने की आशा है।
एक महत्वपूर्ण सिफारिश यह की गई है कि आवास क्षेत्र में 12 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर (भूमि या भूमि के अविभाजित हिस्से की लागत, जो भी स्थिति हो, के मद में आवास, फ्लैट इत्यादि के लिए वसूली गई राशि का एक तिहाई काटने के बाद 8 प्रतिशत की प्रभावी दर) का लाभ सभी के लिए आवास (शहरी) मिशन/प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबकों (ईडब्ल्यूएस)/निम्न आय वाले समूह (एलआईजी)/मध्यम आय वाले समूह-1 (एमआईजी-1)/मध्यम आय वाले समूह-2 (एमआईजी-2) के लिए ऋण संबंधी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) के तहत निर्मित/हासिल मकानों के निर्माण को भी दिया जाए।
ऋण संबंधी सब्सिडी योजना (सीएलएसएस) सभी के लिए आवास (शहरी) मिशन/प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) (शहरी) की एक प्रमुख घटक है। इस घटक के तहत मकान खरीदने अथवा बनाने के लिए पात्र शहरी गरीबों (ईडब्ल्यूएस/एलआईजी/एमआईजी-1/एमआईजी-2) द्वारा लिए गए आवास ऋणों पर सब्सिडी मुहैया कराई जाएगी। ऋण संबंधी सब्सिडी नया निर्माण करने और मकान का दायरा बढ़ाने के तहत मौजूदा आवास में अतिरिक्त कमरे, रसोई घर, शौचालय इत्यादि बनाने हेतु लिए गए आवास ऋणों पर भी मिलेगी। मिशन के इस घटक के तहत निर्मित मकानों का कार्पेट एरिया ईडब्ल्यूएस के लिए 30 वर्ग मीटर तक, एलआईजी के लिए 60 वर्ग मीटर तक, एमआईजी-1 के लिए 120 वर्ग मीटर तक और एमआईजी-2 के लिए 150 वर्ग मीटर तक होगा। ऋण संबंधी सब्सिडी योजना का लाभ किसी भी परियोजना के तहत मकानों को खरीदने के लिए आर्थिक दृष्टि से पिछड़े तबकों अथवा निम्न/मध्यम आय समूहों द्वारा लिया जा सकता है। इस योजना के तहत लाभार्थियों की पात्रता के लिए अधिकतम वार्षिक आमदनी 18 लाख रुपये तक हो सकती है। यह आबादी के उस बड़े तबके को कवर करती है जो स्वयं का ‘अपना घर’ होने की तमन्ना रखता है।
अब तक सीएलएसएस के तहत हासिल मकानों पर 18 प्रतिशत जीएसटी (भूमि की कीमत काटने के बाद 12 प्रतिशत की प्रभावी जीएसटी दर) लगता था। 12 प्रतिशत की रियायती दर सभी के लिए आवास (शहरी) मिशन/प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के केवल तीन घटकों के तहत निर्मित मकानों पर ही लागू थी जिनमें ये शामिल हैं- (i) एक संसाधन घटक के रूप में भूमि का उपयोग करके मौजूदा झुग्गी बस्तियों का उसी स्थान पर पुनर्विकास (ii) साझेदारी में किफायती आवास और (iii) लाभार्थी की अगुवाई में व्यक्तिगत मकान का निर्माण/विस्तार। अब सीएलएसएस घटक के तहत हासिल मकानों पर भी यह छूट देने की सिफारिश की गई है। अतः मकान खरीदार इस योजना के तहत ब्याज सब्सिडी के साथ-साथ 8 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर (भूमि की कीमत काटने के बाद प्रभावी दर) भी पाने के हकदार होंगे।
जीएसटी परिषद ने यह भी सिफारिश की है कि पीएमएवाई के एक संसाधन घटक के रूप में भूमि का उपयोग कर मौजूदा झुग्गी बस्तियों का उसी स्थान पर पुनर्विकास के तहत मौजूदा झुग्गीवासियों को आपूर्ति किए गए मकानों पर देय 12 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर (भूमि की कीमत काटने के बाद 8 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर) का लाभ मौजूदा झुग्गीवासियों के अलावा अन्य व्यक्तियों द्वारा खरीदे गए मकानों पर भी दिया जा सकता है। इससे पीएमएवाई के एक संसाधन घटक के रूप में भूमि का उपयोग कर मौजूदा झुग्गी बस्तियों का पुनर्विकास करना भवन निर्माताओं (बिल्डर) के साथ-साथ खरीदारों के लिए भी आकर्षक हो जाएगा।
परिषद की तीसरी सिफारिश यह है कि साझेदारी में किफायती आवास (पीएमएवाई) के तहत आर्थिक दृष्टि से पिछड़े तबकों (ईडब्ल्यूएस) के लिए निर्मित मकानों को 8 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर (भूमि की कीमत काटने के बाद प्रभावी दर) के दायरे में लाया जाए। इससे 30 वर्ग मीटर तक के कार्पेट एरिया वाले मकानों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा।
परिषद की चौथी सिफारिश यह है कि 12 प्रतिशत की रियायती दर का लाभ उस आवास परियोजना के तहत 60 वर्ग मीटर तक के कार्पेट एरिया वाले किफायती मकानों के निर्माण के जरिए दी जाने वाली सेवाओं को भी दिया जाए, जिसे अधिसूचना संख्या 13/06/2009 दिनांक 30 मार्च, 2009 के तहत बुनियादी ढांचागत क्षेत्र का दर्जा दिया गया है। आर्थिक मामलों के विभाग की इस अधिसूचना के तहत किफायती आवास के निर्माण को बुनियादी ढांचागत क्षेत्र का दर्जा दिया जाता है।
इस अधिसूचना में किफायती आवास की परिभाषा एक ऐसी आवास परियोजना के रूप में की गई है जिसमें एफएआर/एफएसआई के कम से कम 50 प्रतिशत का उपयोग उन आवास इकाइयों के लिए किया जाता है जिनका कार्पेट एरिया 60 वर्ग मीटर से अधिक न हो। परिषद की सिफारिश के तहत 8 प्रतिशत की रियायती जीएसटी दर (भूमि की कीमत काटने के बाद) का लाभ केन्द्र अथवा राज्य सरकार की किसी भी योजना के दायरे में आने वाली परियोजनाओं को छोड़कर अन्य परियोजनाओं के तहत 60 वर्ग मीटर से कम आकार के फ्लैटों/मकानों के निर्माण को मिलेगा।
उपर्युक्त सिफारिशों के अलावा आवास एवं निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जीएसटी परिषद ने सरकार द्वारा किसी सरकारी प्राधिकरण अथवा सरकारी निकाय को पट्टे पर दी जाने वाली भूमि पर छूट देने का निर्णय लिया है। (तय परिभाषा के अनुसार, सरकारी निकाय से आशय सोसायटी, ट्रस्ट, निगम सहित ऐसे प्राधिकरण अथवा बोर्ड या किसी अन्य निकाय से है जिसका गठन केन्द्र सरकार, राज्य सरकार, केन्द्र शासित प्रदेश अथवा किसी स्थानीय प्राधिकरण द्वारा सौंपे गए किसी कार्य को पूरा करने के लिए (i) संसद अथवा राज्य विधानसभा के अधिनियम के तहत किया जाता है अथवा (ii) किसी सरकार द्वारा किया जाता है, जिसमें 90 प्रतिशत या उससे अधिक हिस्सेदारी इक्विटी अथवा नियंत्रण के जरिए होती है।)
यही नहीं, फ्लैटों की समग्र बिक्री के तहत भूमि की किसी भी बिक्री/पट्टे पर देने/उप-पट्टे पर देने को भी जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है। अतः सरकार फ्लैटों के खरीदार को न तो बिक्री अथवा पट्टे या उप-पट्टे पर देने के जरिए भूमि की आपूर्ति पर जीएसटी लगाती है और इस तरह से सरकार वास्तव में फ्लैटों की कीमत में शामिल भूमि के मूल्य पर कटौती का लाभ देती है तथा केवल फ्लैट की कीमत पर ही जीएसटी लगता है।
उल्लेखनीय है कि फ्लैटों, मकानों इत्यादि के निर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले समस्त कच्चे माल और इनमें लगाए जाने वाले पूंजीगत सामान पर 18 प्रतिशत अथवा 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है। इसके सापेक्ष देश में किफायती खंड के तहत आने वाली ज्यादातर आवास परियोजनाओं पर अब 8 प्रतिशत (भूमि की कीमत काटने के बाद) जीएसटी लगेगा। इसके परिणामस्वरूप भवन निर्माता अथवा डेवलपर को फ्लैटों की निर्माण सेवा इत्यादि पर नकद में जीएसटी अदा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी, लेकिन आउटपुट जीएसटी अदा करने के लिए उनके बही-खाते में पर्याप्त आईटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) होंगे। ऐसी स्थिति में उन्हें खरीदारों से फ्लैटों पर देय किसी भी जीएसटी को वसूल नहीं करना चाहिए। भवन निर्माता अथवा बिल्डर केवल उसी स्थिति में फ्लैटों के खरीदारों से जीएसटी वसूल कर सकता है जब वह जीएसटी व्यवस्था में उपलब्ध पूर्ण आईटीसी के असर को समायोजित करने के बाद फ्लैट की कीमत को फिर से निर्धारित करता है और फ्लैटों की जीएसटी पूर्व कीमत को घटा देता है।
भवन निर्माताओं/डेवलपरों से यह उम्मीद की जाती है कि वे जीएसटी अधिनियम की धारा 171 के तहत उल्लिखित सिद्धांतों का ईमानदारीपूर्वक पालन करेंगे। उपर्युक्त बदलाव 25 जनवरी, 2018 से प्रभावी हो चुके हैं।