नई दिल्लीः निर्वाचन आयोग ने गुजरात में मतदान के दौरान ईवीएम/वीवीपेट (वोटर वैरीफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल) के संभावित दुरुपयोग अथवा ईवीएम और वीवीपेट के इस्तेमाल में प्रक्रिया संबंधी चूक को रोकने के लिए व्यापक प्रशासनिक, सुरक्षा उपाए किए हैं। निर्वाचन आयोग ने इन सुरक्षा संबंधी उपायों को राजनैतिक दलों, उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों की सक्रिय सहभागिता से पारदर्शिता के साथ लागू किया है ताकि उनका ईवीएम और वीवीपेट की क्षमता और विश्वसनीयता पर भरोसा कायम हो सके। इन सभी कार्यों और प्रक्रियाओं को जिला निर्वाचन अधिकारियों (डीईओ), निर्वाचन अधिकारियों (आरओ), सहायक निर्वाचन अधिकारियों चुनाव से संबद्ध अन्य अधिकारियों के जरिए लागू किया गया है।
चुनावी मशीनरी द्वारा निर्वाचन आयोग के जबरदस्त सुरक्षा और प्रशासनिक प्रबंधों का कड़ाई से पालन होने के कारण 9 दिसंबर, 2017 को हुए पहले चरण के मतदान के दौरान चुनावी अनियमितताओं की कोई संभावना नहीं थी। कुछ तकनीकी खामियां जैसे ईवीएम और वीवीपेट में (टूटे/फंसे हुए बटन, कुछ दिखाई न देना आदि) देखने को मिली जिन्हें मशीनों को तत्काल बदलकर दूर कर लिया गया ताकि मतदान आसानी से कराया जा सके। पहले चरण के मतदान के दौरान मतपेटियों में केवल 0.75 प्रतिशत, नियंत्रण इकाइयों में 0.75 प्रतिशत और वीवीपेट में 2.8 प्रतिशत तकनीकी खामियां पाई गईं। सभी मतदान केन्द्रों पर वीवीपेट की शत-प्रतिशत तैनाती से चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता में मतदाताओं का विश्वास देखने को मिला।
प्रशासनिक प्रोटोकोल और प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा का सम्पूर्ण विवरण इस प्रकार है:-
प्रशासनिक प्रोटोकोल और प्रक्रिया संबंधी सुरक्षा उपायों में सभी ईवीएम और वीवीपेट की प्रथम स्तर पर जांच, एफएलसी के दौरान प्रत्येक ईवीएम और वीवीपेट पर कृत्रिम मतदान, उम्मीदवार का समायोजन और मतदान दिवस (वास्तविक मतदान शुरू होने से पहले), दो चरणों में ईवीएम और वीवीपेट की अचानक निगरानी, मतदान से पहले, मतदान के दौरान और उसके बाद ईवीएम और वीवीपेट को रखने के लिए कड़े सुरक्षा उपाय, ईवीएम और वीवीपेट संबंधी क्रियाकलापों तथा उन्हें रखे जाने वाले सुरक्षित कमरों की विस्तृत वीडियोग्राफी और सीसीटीवी कवरेज शामिल है। चुनाव संबंधी ये सभी गतिविधियां राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों और उम्मीदवारों/चुनाव एजेंटों की उपस्थिति में कराई गई।
ईवीएम और वीवीपेट की प्रथम स्तर की जांच:- प्रत्येक ईवीएम और वीवीपेट की प्रथम स्तर की जांच (एफएलसी) की गई जिनका इस्तेमाल वर्तमान गुजरात चुनाव में किया जा रहा है। जांच का कार्य राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में निर्माताओं के इंजीनियरों द्वारा किया गया। समूची जांच प्रक्रिया डीईओ की निगरानी में जिला स्तर पर लगातार वीडियोग्राफी/सीसीटीवी कवरेज के अंतर्गत की गई। ठीक से काम नहीं कर रही किसी भी ईवीएम और वीवीपेट को फैक्टरियों में भेज दिया गया ताकि उनका इस्तेमाल चुनाव में न हो सके।
- जांच के समय निर्माता प्रमाणित करते हैं कि ईवीएम के सभी पुर्जे मूल हैं। इसके बाद ईवीएम की नियंत्रण इकाई के प्लास्टिक कैबिनेट को सील किया जाता है। जिस पर राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि हस्ताक्षर करते हैं और इसे सुरक्षित कक्ष में रख दिया जाता है। इस चरण के बाद ईवीएम की नियंत्रण इकाई के प्लास्टिक कैबिनेट को खोला नहीं जा सकता।
- जांच के समय कार्य कर रही प्रत्येक ईवीएम पर थोड़े से मतदाताओं के साथ कृत्रिम मतदान कराया जाता है। साथ ही प्रथम स्तर की जांच के समय राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में एक प्रतिशत ईवीएम में 1200 मत, 2 प्रतिशत में 1000 मत और अन्य 2 प्रतिशत में 500 मत डाले जाते हैं। इस कृत्रिम मतदान के नतीजों और कृत्रिम मतदान के दौरान डाले गए प्रत्येक मत का क्रमबद्ध प्रिंट राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को दिखाया जाता है। राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को इस कार्य के लिए अचानक मशीन चुनने की इजाजत दी जाती है। राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को स्वयं कृत्रिम मतदान की इजाजत दी जाती है। प्रत्येक वीवीपेट में 16 उम्मीदवारों के बटन में प्रत्येक के सामने 6 मत कृत्रिम मतदान से डाले जाते हैं।
गुजरात में 50,128 मतदान केन्द्र हैं जिनमें 81,860 मतपत्र इकाइयां; 66,358 नियंत्रण इकाइयां और 71,564 वीवीपेट लगाए गए हैं। पहले चरण का मतदान सफलतापूर्वक समाप्त हो चुका है जिसमें 66.75 प्रतिशत मतदाताओं ने स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से अपने मताधिकार का उपयोग किया।
दूसरे चरण का मतदान 14.12.2017 को होगा जहां 93 विधानसभा क्षेत्रों में 25,515 मतदान केन्द्रों पर मत डाले जाएंगे। इन मतदान केन्द्रों के लिए आयोग ने 40,027 मतपत्र इकाइयां, 32,633 नियंत्रण इकाइयां और 35061 वीवीपेट तैनात किए हैं।
आयोग ने गुजरात में चुनाव से जुड़े कर्मचारियों के लिए विस्तृत प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की व्यवस्था की। अब तक 3,350 बैच में मतदान कर्मचारियों, क्षेत्र अधिकारियों और नोडल अधिकारियों सहित 1,93,962 मतदान कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। इन सभी मतदान कर्मचारियों को ईवीएम और वीवीपेट के काम काज के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रशिक्षण दिया गया है।
प्रथम स्तर की जांच के बाद ईवीएम और वीवीपेट के लिए सुरक्षा उपाय: प्रथम स्तर की जांच के बाद ईवीएम और वीवीपेट को 24 घंटे की सुरक्षा और सीसीटीवी कवरेज के अंतर्गत सुरक्षित कमरे में रखा जाता है।
ईवीएम और वीवीपेट की आकस्मिक निगरानी:- ईवीएम और वीवीपेट की दो बार आकस्मिक निगरानी की जाती है। पहली विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र को मशीन का आवंटन करते समय और दूसरी इन्हें अलग-अलग मतदान केन्द्रों में इस्तेमाल के लिए वितरित करने से पहले उम्मीदवारों अथवा उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में मतदान केन्द्रों पर की जाती है। आकस्मिक निगरानी का कार्य डीईओ द्वारा राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों/उम्मीदवारों की उपस्थिति में ईवीएम ट्रेकिंग सॉफ्टवेयर के जरिए किया जाता है ताकि पूरी पारदर्शिता रहे। किसी विशेष मतदान केन्द्र को आवंटित की गई क्रम संख्या वाली ईवीएम और वीवीपेट की सूची राजनैतिक दलों एवं उम्मीदवारों को दी जाती है।
ईवीएम और वीवीपेट में उम्मीदवार का समायोजन:- गुजरात में दूसरे चरण के मतदान के लिए ईवीएम और वीवीपेट में उम्मीदवार के समायोजन का कार्य चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों अथवा उनके प्रतिनिधियों की उपस्थिति में पूरा हो चुका है। इसके लिए चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों को निर्वाचित अधिकारी द्वारा पहले से ही लिखित सूचना के जरिए आमंत्रित किया जाता है।
ईवीएम और वीवीपेट में उम्मीदवार का समायोजन साफ-सुथरे हॉल में किया गया। हॉल में प्रत्येक प्रवेश द्वार में सुरक्षा कर्मियों का पहरा है और दरवाजे पर मेटल डिटेक्टर लगाया गया है। प्रत्येक द्वार से प्रवेश करने वाले व्यक्ति की तलाशी ली जाती है और केवल अधिकृत अधिकारियों को ही हॉल में प्रवेश करने की इजाजत दी जाती है।
यह गौर करने लायक है कि मत पत्र पर उम्मीदवारों के नाम वर्णमाला के क्रम में होते हैं। सबसे पहले राष्ट्रीय और राज्य स्तर के मान्यता प्राप्त दल, इसके बाद राज्य के अन्य पंजीकृत दल और उसके बाद निर्दलियों के नाम होते हैं। अत: जिस क्रम में मतपत्र पर उम्मीदवार दिखाई देता है वहीं उम्मीदवार का नाम और पार्टी से उनके जुड़ाव का पहले से पता नहीं लगाया जा सकता है। मतपत्र पर उम्मीदवारों के क्रम में नाम की व्यवस्था से मतों में धांधली के लिए सॉफ्टवेयर में पहले से ही गड़बड़ी की संभावना नहीं रहती। अत: किसी विशेष राजनैतिक दल के उम्मीदवारों की क्रम संख्या प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अलग-अलग होगी और उसका पहले से पता नहीं लगाया जा सकता जिससे गड़बड़ी की कोई संभावना नहीं रहती।
एक बार उम्मीदवार का समायोजन हो जाने पर ईवीएम की मतपत्र इकाई को सील कर दिया जाता है ताकि मतपत्र इकाई के भीतर कोई न पहुंच सके। इन सीलों में उम्मीदवारों /उनके प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर होते हैं।
क्रम संख्या, उम्मीदवारों के नाम और उन्हें आवंटित चुनाव चिन्हों को इंजीनियरों की मदद से वीवीपेट पर लोड कर दिया जाता है। मतपत्र इकाई में मतपत्र के साथ एक प्रिंट आउट जांच के लिए निकाला जाता है इसके बाद प्रत्येक उम्मीदवार को एक वोट दिया जाता है जिससे यह जांच की जाती है कि वीवीपेट पेपर स्लिप सही तरीके से प्रिंट कर रहा है।
ईवीएम और वीवीपेट में उम्मीदवार के समायोजन के दौरान, सभी 16 उम्मीदवारों के स्विच के सामने मतदान, प्रत्येक ईवीएम के परिणाम देखने के अलावा कृत्रिम मतदान आंकड़े दिए जाते हैं। साथ ही मशीनों को तैयार करते समय कृत्रिम मतदान के दौरान 5 प्रतिशत मशीनों में कम-से-कम 1000 मत डाले जाते हैं। शेष मशीनों में कृत्रिम मतदान के दौरान डाले गये मतों की संख्या उम्मीदवारों/ उनके प्रतिनिधियों की संतुष्टि पर निर्भर करती है और उन्हें स्वयं कृत्रिम मतदान की इजाजत दी जाती है। ईवीएम और वीवीपेट में उम्मीदवार की समायोजन की संपूर्ण प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की जाती है।
मतदान दिवस: मतदान के दिन वास्तव में मतदान शुरू होने से एक घंटा पहले पोलिंग एजेंट की उपस्थिति में पीठासीन अधिकारी द्वारा प्रत्येक मतदान केन्द्र पर कम से कम 50 मत डलवाकर कृत्रिम मतदान कराया जाता है। कृत्रिम मतदान के बाद निर्वाचन अधिकारी नियंत्रण इकाई में परिणाम पता लगाता है, मतदान एजेंटों की उपस्थिति में वीवीपेट पेपर स्लिप की गिनती करता है और प्रत्येक उम्मीदवार के लिए परिणामों की पुष्टि करता है। वीवीपेट से नियंत्रण इकाई और वीवीपेट पेपर स्लिप में सभी कृत्रिम मतदान आंकड़ों को पीठासीन अधिकारी द्वारा हटा दिया जाता है और पोलिंग एजेंट खाली ड्रॉप बाक्स का सत्यापन करते हैं। कृत्रिम मतदान वीवीपेट पेपर स्लिप के पीछे स्टैंप लगा दी जाती है जिस पर लिखा होता है ‘‘कृत्रिम मतदान स्लिप’’, इसके बाद कृत्रिम मतदान वीवीपेट पेपर स्लिप को काले मोटे कागज से बने लिफाफे में रख दिया जाता है और पीठासीन अधिकारी की सील के साथ बंद कर दिया जाता है। इस आशय का कृत्रिम मतदान प्रमाण पत्र प्रत्येक पीठासीन अधिकारी से मिल सकता है।
मतदान के बाद ईवीएम और वीवीपेट को सुरक्षित कमरों में रखना: मतदान के बाद ईवीएम और वीवीपेट सील कर दिया जाता है और सील पर निर्वाचन एजेंट अपने हस्ताक्षर करते हैं और सील की वे मतगणना से पहले जांच कर सकते हैं। उम्मीदवार/प्रतिनिधियों को ईवीएम और वीवीपेट को मतदान केन्द्रों से मतगणना सुरक्षित कक्ष में ले जाने वाले वाहनों के पीछे चलने की इजाजत दी जाती है।
मतदान के बाद मतों वाली ईवीएम और वीवीपेट को सुरक्षित कक्ष में रखना:
- सुरक्षित कक्षों में दोहरी ताला प्रणाली होगी। एक चाबी जिला निर्वाचन अधिकारी के पास रहेगी और दूसरी संबद्ध विधान सभा क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी के पास होगी।
- मतों की गिनती के लिए ईवीएम और वीवीपेट को जिस सुरक्षित कक्ष में रखा गया है वहां दोहरी घेराबंदी के साथ 24 घंटे सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे। सीपीएफ सुरक्षित कमरे के बाहर अंदरुनी दायरे की सुरक्षा देखेगी और राज्य सशस्त्र पुलिस बाहरी दायरे की सुरक्षा देखेगी।
- चुनाव लड़ रहे सभी उम्मीदवारों को लिखित में सूचना दी जाएगी कि वे सुरक्षित कक्ष के सुरक्षा प्रबंधों पर कड़ी निगरानी रखने के लिए अपने प्रतिनिधि तैनात कर लें। उन्हें अंदरुनी दायरे के बाहर रहने की इजाजत दी जाएगी ताकि वह सुरक्षा कक्ष के प्रवेश द्वारों पर नजर रख सकें। जहां तक संभव होगा उन्हें उपयुक्त शेड, पीने के पानी आदि की सुविधा प्रदान की जाएगी। यदि सुरक्षित कक्ष के प्रवेश द्वार दिखाई नहीं देते हैं तो ऐसी जगहों पर सीसीटीवी की व्यवस्था की जाएगी जहां से उन्हें सुरक्षित कक्ष के दरवाजे दिखाई दे सकें। ऐसी स्थिति में उन्हें जत्थों में अंदरुनी दायरे में ले जाया जाएगा ताकि वे उस कक्ष की सुरक्षा स्वयं सत्यापित कर सकें। सुरक्षित कक्ष के सीसीटीवी की फुटेज बड़े टीवी स्क्रीन पर उस जगह दिखाने की व्यवस्था होगी जिस जगह को राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों और उम्मीदवारों के एजेंटों के लिए निर्धारित किया गया है ताकि वह लगातार निगरानी रख सकें।
- सुरक्षित कक्ष के साथ एक नियंत्रण कक्ष 24 घंटे काम करेगा।
- सुरक्षित कक्ष के सुरक्षा प्रबंधों की निगरानी के लिए वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के साथ एक राजपत्रित अधिकारी भी 24 घंटे ड्यूटी पर रहेगा।
- निम्नलिखित प्रोटोकोल का पालन किए बिना अंदरुनी दायरे में किसी को भी प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी:
- सीपीएफ एक लॉगबुक रखेगा जिसमें सुरक्षा के दूसरे घेरे यानी मध्य दायरे को पार करने वाले व्यक्ति का नाम, तारीख, समय, अवधि लिखी जाएगी। इसमें पर्यवेक्षक अथवा डीईओ अथवा एसपी अथवा उम्मीदवारों अथवा उनके एजेंटों अथवा किसी अन्य व्यक्ति का दौरा शामिल है।
- ऐसे आगंतुकों के दौरों को दर्ज करने के लिए सीपीएफ टुकड़ी को वीडियो कैमरा दिये जाएंगे।
- सुरक्षित कक्ष के सभी प्रवेश द्वारों की लगातार वीडियोग्राफी की जाएगी। इसके लिए वेब कैमरे और लेपटॉप का इस्तेमाल किया जाएगा। लेपटॉप की जानकारी लेने आने वाले व्यक्तियों के पास पहचान पत्र होना चाहिए। उनके दौरे की वीडियोग्राफी की जाएगी।
- निर्वाचन अधिकारी प्रतिदिन सुबह और शाम सुरक्षित परिसर का दौरा करेगा और लॉग बुक तथा वीडियोग्राफी की जांच करेगा तथा इसकी रिपोर्ट प्रतिदिन डीईओ को देगा। यदि सुरक्षित कक्ष जिला मुख्यालयों में हैं तो डीईओ वहीं होना चाहिए। जहां सुरक्षित कक्ष जिला मुख्यालयों से बाहर हैं वहा डीईओ को तीन से चार दिन में कम से कम एक बार उसका दौरा करना होगा।
- जिस स्थान पर ईवीएम और वीवीपेट सुरक्षित रखे गए हैं उस परिसर के भीतर किसी अधिकारी अथवा मंत्री अथवा किसी अन्य राजनैतिक कार्यकर्ता के वाहन के प्रवेश की अनुमति नहीं होगी।
- सुरक्षित कक्ष की सुरक्षा के लिए डीसी और एसपी जिम्मेदार होंगे।
मतगणना : मतगणना के दिन उम्मीदवारों/ उनके प्रतिनिधियों, आरओ और पर्यवेक्षकों की उपस्थिति में वीडियोग्राफी के अंतर्गत सुरक्षित कक्ष खोला जाएगा।
गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हो रहे चुनावों के लिए, आयोग ने निर्वाचन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और विश्वसनीयता के लिए प्राथमिकता के आधार पर प्रति निर्वाचन क्षेत्र के अचानक चुने गए एक मतदान केन्द्र में वीवीपेट पेपर स्लिप का अनिवार्य सत्यापन करने का फैसला किया है। अत: गुजरात में कम से कम 182 मतदान केन्द्रों और हिमाचल प्रदेश में 68 मतदान केन्द्रों पर मतगणना की प्रक्रिया के दौरान वीवीपेट पेपर स्लिप की दोबारा गिनती के जरिए अनिवार्य सत्यापन किया जाएगा।
मतों की गिनती पूरा होने के बाद, नियंत्रण इकाइयों और वीवीपेट को दोबारा सील किया जाएगा और फिर उन्हें सुरक्षित कक्ष में रख दिया जाएगा।
आयोग को विश्वास है और उसका दृढ़ मत है कि मतदान से पहले, मतदान के दौरान अथवा उसके बाद किसी भी अनधिकृत व्यक्ति को ईवीएम और वीवीपेट तक पहुंचने की इजाजत नहीं है। इसके अलावा जिस ईवीएम और वीवीपेट की गणना नहीं हुई है वह किसी भी अवस्था में चुनावी ईको प्रणाली में प्रवेश नहीं कर सकता है क्योंकि ईवीएम/वीवीपेट के सभी क्रियाकलाप साझेदारों की उपस्थिति में किए जाते हैं और उन पर ईटीएस के जरिए नजर रखी जाती है।
आयोग देश की जनता को यह आश्वासन देना चाहता है कि चुनावों की शुचिता, पूर्णता और विश्वसनीयता बनाए रखने में वह कोई कसर नहीं छोड़ेगा और देश के चुनाव संबंधी लोकतंत्र में लोगों की अस्था और विश्वास को और मजबूत बनायेगा।