Online Latest News Hindi News , Bollywood News

इस्पात उद्योग को कच्चेमाल की उपलब्धता, आयात प्रतिस्थापन, स्टील की खपत बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास पर ज़ोर देने की आवश्यकता: इस्पात मंत्री

इस्पात उद्योग को कच्चेमाल की उपलब्धता, आयात प्रतिस्थापन, स्टील की खपत बढ़ाने और अनुसंधान एवं विकास पर ज़ोर देने की आवश्यकता: इस्पात मंत्री
देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्ली: माननीय इस्पात मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह ने आज भुवनेश्वर में हाल ही में गठित राष्ट्रीय इस्पात उपभोक्ता परिषद की दूसरी बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में भारत सरकार की इस्पात सचिव के साथ ही मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। परिषद को संबोधित करते हुए श्री सिंह ने वैश्विक इस्पात उद्योग मे भारत की स्थिति का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय इस्पात उद्योग विश्व के तीसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक के रूप में उभरा है। और वैश्विक उद्योग के नक्शे पर चीन के बाद गर्व से दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है और यह दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इस्पात उत्पादक बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है। वैश्विक इस्पात उद्योग के नक्शे पर चीन के बाद भारतीय इस्पात प्रमुखता से अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने की ओर बढ़ रहा है।

माननीय मंत्री ने आगे कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इस्पात का देश के लिए रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों जैसे विनिर्माण, अवसंरचना, बिजली, एयरोस्पेस और औद्योगिक मशीनरी से लेकर उपभोक्ता उत्पाद तक में व्यापक उपयोग होता है। उन्होंने कहा कि सरकार इस्पात क्षेत्र के महत्व और इसके गतिशील परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए, राष्ट्रीय इस्पात नीति (एनएसपी) 2017 को सामने लाई है। नई इस्पात नीति के लागू होने के बाद भरोसा किया जा रहा है कि घरेलू इस्पात को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त माहौल बनाने में उचित नीति का साथ मिलने से इस्पात उद्योग तेजी से वृद्धि करेगा और इसके जरिये यह भी सुनिश्चित करना है कि इस्पात उत्पादन उसकी मांग में हो रही अपेक्षित वृद्धि को पूरा करे।

राष्ट्रीय इस्पात नीति के मुख्य क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, राष्ट्रीय इस्पात नीति का कच्चे माल की उपलब्धता, आयात प्रतिस्थापन, इस्पात खपत को बढ़ाने, वैल्यू-एडेड स्टील में शोध एवं अनुसंधान पर ज़ोर, ऊर्जा दक्षता और सतत विकास को बढ़ाने, भारत की किफ़ायती और गुणवत्तापरक इस्पात उत्पादक के रूप में पहचान कायम करने, और इस्पात उद्योग का कार्बन फुट प्रिंट कम करने पर मुख्य रूप से ज़ोर होगा। श्री सिंह ने घरेलू निर्मित लौह और इस्पात को प्राथमिकता देने की इस्पात नीति के बारे में बताते हुए कहा कि इससे घरेलू इस्पात की खपत में बढ़ोत्तरी होगी और इससे भारतीय इस्पात उद्योग को काफी मदद होगी।

इस्पात मंत्री ने उल्लेख करते हुए कहा कि इस्पात आधुनिक दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण उत्पादों में से एक है और इसके साथ ही यह किसी भी औद्योगिक अर्थव्यवस्था की रीढ़ होती है। इस्पात की खपत बढ़ाने के लिए इसके गुणों और लाभों के बारे में लोगों को जागरूक किया जाना बहुत ही ज़रूरी है। इस्पात की “लो लाइफ सायकल कॉस्ट” पर ज़ोर देते हुए, माननीय मंत्री ने कहा कि यह वृहद विनिर्माण, भवनों, और निजी उपयोगकर्ताओं तक के लिए व्यवहारिक विकल्प है उन्होंने इस्पात की खपत को बढ़ाने के लिए कहा; मंत्रालय ने निर्माण और विनिर्माण क्षेत्रों जैसे ग्रामीण विकास, शहरी बुनियादी ढांचे, सड़क एवं राजमार्ग, रेलवे इत्यादि पर प्रमुखता से ज़ोर दे रही है।

श्री सिंह ने आगे कहा, हमें 2019-20 तक ऑटो ग्रेड स्टील, सीआरजीओ, सीआरएनओ समेत वैल्यू एडेड एवंस्पेशल स्टील के उत्पादन के लिए अपने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों को और तेज करना है। यह भारत को ऑटोमोबाइल और रक्षा जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बना देगा, जिसके लिए अभी हमें आयात पर निर्भर करना पड़ता है। उन्होंने कहा, आर्सेलर मित्तल – सेल के संयुक्त उद्यम के जल्द शुरू होने के बारे मेन भी बताया। उन्होंने लौह अयस्क और कोल की किफ़ायती कीमत की आवश्यकता की ओर भी इशारा किया। श्री सिंह ने आगे कहा, जिस दिन हम हमारे उद्योगों में उपयोग किए जा रहे किसी भी तरह के और किसी भी गुणवत्ता के स्टील की आवश्यकता को खुद से पूरा करने में सक्षम हो जाएंगे, उस दिन मेक इन स्टील फॉर मेक इन इंडिया का सपना साकार रूप लेगा।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More