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इस्लाम मे मर्द और औरत के लिए फजीलत और श्रेष्ठता की कसौटी किरदार की बुलंदी और तकवा है: मौलाना कल्बे जवाद नकवी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: रसूले खुदा स.अ. की पुत्री हजरत फातिमा जहरा स.अ की शहादत के अवसर पर इमामबाडा सिबतैनाबाद हजरतगंज लखनऊ में दो दिवसीय मजलिसों की आखिरी मजलिस को इमामे जुमा मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नकवी ने सम्बोधित किया  । मजलिस की शुरुआत कारी मासूम मेंहदी ने तिलावते कुरान ए करीम से की ।

मौलाना सय्यद कल्बे जवाद नकवी ने ष् इस्लाम मे औरतों के अधिकार ष् के उनवान पर मजलिस को सम्बोधित करते हुए कहा कि हमारा समाज और अदालतें औरतों के लिए जिन अधिकारों की बात कर रही हैं वो सभी अधिकार इस्लाम औरतों को बहुत पहले दे चुका है । इस्लाम मे औरतों के लिए जितनी महानता और अजमत है किसी अन्य धर्म मे उसकी मिसाल नही मिलती । इस्लाम मे मर्द और औरत होना उसकी एहम और अजमत का मेयार नही है बल्कि चरित्रवान होना उसकी श्रेष्ठता की दलील  है । इसलिए ये कहना कि इस्लाम मे मर्दों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं इस्लाम के खिलाफ एक प्रोपेगण्डा है । मौलाना ने कहा कि अगर औरत निकाहनामे में अपनी शर्तें लिखवाए तो मर्द को वो शर्तें मानना होंगी । अगर कोई औरत निकाहनामे में ये शर्त रखे कि मर्द दूसरी शादी नही कर सकता तो मर्द कभी दूसरी शादी नही कर सकता । इस शर्त से मर्द का दूसरी शादी करने का अधिकार खत्म नही होता बल्कि वो इस शर्त का विरोध समझा जायेगा । मौलाना ने कहा औरत पर घर के काम वाजिब नही है बल्कि ये मर्द की जिम्मेदारी है कि वो घर का सारा काम खुद करे या फिर कोई काम करने वाली घर मे रखें । अगर औरत घर के काम करती है तो ये उसकी मोहब्बत है और उसका अखलाकी कर्तव्य है । मौलाना ने कहा कि आज औरत को उसके अधिकारों के नाम पर गुमराह किया जा रहा है और उसका शोषण किया जाता है मगर इस्लाम ने औरत को जो प्राकृतिक अधिकार दिए हैं बस उन्हें समझने और उस पर विचार करने की जरूरत है ।

मौलाना ने मजलिस के आखिर में हजरत फातिमा जहरा स.अ के फजाएल और मसाएब बयान किये जिस पर अज़ादारांे ने खूब गिरया किया ।मजलिस में पहले दीदार अकबरपुरी, कमर अब्बास कमर , शाहिद कमाल , कल्बे अब्बास , और अन्य शायरों ने अपना कलाम पढ़ा , मजलिस में जनाब अहमद रजा ने निजामत की ।

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