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उत्तर प्रदेश पुलिस एवं इण्डियन पुलिस फाउन्डेशन के तत्वावधान में ‘अस्तित्व’ कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा हेतु ‘नीति चिन्तन’ सम्मेलन सम्पन्न

उत्तर प्रदेश पुलिस एवं इण्डियन पुलिस फाउन्डेशन के तत्वावधान में ‘अस्तित्व’ कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा हेतु ‘नीति चिन्तन’ सम्मेलन सम्पन्न
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस एवं इण्डियन पुलिस फाउन्डेशन के तत्वावधान में पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 श्री सुलखान सिंह की अध्यक्षता में ‘अस्तित्व’ कार्यक्रम के अन्तर्गत महिलाओं एवं बच्चों की सुरक्षा हेतु ‘नीति चिन्तन’ सम्मेलन अभिव्यक्ति आॅडिटोरियम यूपी-100 भवन शहीद पथ गोमतीनगर, लखनऊ में आयोजित किया गया। इण्डियन पुलिस फाउन्डेशन के अध्यक्ष/पूर्व पुलिस महानिदेशक, उ0प्र0 श्री प्रकाश सिंह उपस्थित थे ।

सम्मेलन में पुलिस महानिदेशक श्री सुलखान सिंह ने संगोष्ठी में आये सभी आगन्तुकों, प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि उ0प्र0पुलिस की प्राथमिकताओं में इस विषय को शीर्ष पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति अपराध एक पुलिस के कार्यक्षेत्र में सीमित एक समस्या ही नहीं वरन एक सामाजिक समस्या है और इसका निदान सभी हितधारकों के प्रयास से ही सम्भव है। अतः आज इस प्रांगण में आप सभी की हिस्सेदारी इस समस्या को बेहतर समझने, सुलझाने के लिये आमंत्रित की गयी है। इस महत्वपूर्ण प्रयास में हमारा साथ इण्डियन पुलिस फाउन्डेशन दे रही है। पुलिस के द्वारा किये जा रहे प्रयासों को मूर्तरूप देना एंव सभी हितधारकों को एक मंच पर लाकर, विचार-विमर्श कर नीति निर्धारण करना पुलिस फाउन्डेशन की एक प्रमुख भूमिका है।

महिलाओं की सुरक्षा के प्रति उ0प्र0पुलिस पूर्व से ही सजग है। प्रदेश के जनपदों में महिला थानों की स्थापना और महिलाओं की समस्याओं पर विशेष रूप से समाधान करने के लिये वीमेन पावर लाइन (1090) की स्थापना उ0प्र0पुलिस का एक सफल प्रयास रहा। सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं के साथ दुव्र्यहार, छेड़छाड़ न हो इसके लिये प्रदेश के सभी जनपदों में एन्टी रोमियो स्क्वाड की स्थापना की गयी है। प्रदेश स्तर पर एक केन्द्रीय कृत नियंत्रण कक्ष (डायल-100) की स्थापना कर महिलाओं की समस्याओं का त्वरित निस्तारण का एक सफल प्रयास किया जा रहा है। पुलिस भर्ती में भी महिलाओं के लिये पदों को आरक्षित करने का मुख्य प्रयोजन यही रहा है कि पर्याप्त संख्या में महिलायें उ0प्र0पुलिस बल में भर्ती हो सकें और प्रदेश पुलिस बल में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व हो, जिससे उ0प्र0 पुलिस को महिलाओं की समस्याओं के प्रति और अधिक जागरूक बनाया जा सके ।

यद्यपि इस समस्या के कई पहलू हैं और आम जीवन में टेलीफोन, इन्टरनेट के बढ़ते प्रयोग से नई तरह की समस्यायें उजागर हो रही हैं फिर भी आज की चर्चा के लिये हम 04 मुख्य बिन्दुओं पर विचार-विमर्श करेंगें। यह विषय महिलाओं का यौन शोषण, घरेलू हिंसा , डिजिटल क्षेत्र में हिंसा, मानव तस्करी की समस्या से सम्बन्धित होगें।

संगोष्ठी का मुख्य प्रयोजन उपरोक्त विषयों पर विचार मंथन कर नीति-निर्धारिण करना होगा। इस प्रयास के लिये 04 फोकस गु्रप्स से अनुरोध होगा कि न केवल समस्या के प्रत्येक पहलू पर विचार करें, साथ ही साथ इनके समाधान के लिये विधिक एंव व्यवहारिक सुझावों पर भी विचार करें। मुझे आशा है कि संगोष्ठी में कुछ महत्वपूर्ण निष्कर्ष निकलें जिससे न केवल पुलिस व्यवस्था को सुधारने का मार्ग प्रशस्त हो वरन इसके साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था में भी दीर्घकालिक सुधारों को समाविष्ट करने का मार्ग प्रशस्त हो।

पिछले लगभग 06 माह से डायल-100 का नियंत्रण कक्ष, सुचारू रूप से कार्य कर रहा है। प्रत्येक माह महिलाओं के उत्पीड़न से सम्बन्धित लगभग 50,000 शिकायतें प्राप्त हो रही हैं जिनका त्वरित निस्तारण किया जा रहा है। इसी प्रकार वीमेन पावर लाइन (1090) की स्थापना से प्रदेश में अब तक लगभग 08 लाख पंजीकृत शिकायतें प्राप्त हुई जिनका त्वरित निस्तारण सुनिश्चित किया गया। उ0प्र0पुलिस में महिला सम्मान प्रकोष्ठ की स्थापना की गयी है। इसका गठन महिलाओं के उत्पीड़न से सम्बन्धित सभी विषयों पर संकलित नीति निर्धारण के लिये किया गया है।

इस सम्मेलन में इस विषय को सभी हितधारकों को आमंत्रित करने का मुख्य प्रयोजन समस्या के हर पहलू पर विचार करना है। छात्राओं, विधि विशेषज्ञों, पुलिस कर्मियों, मीडिया के प्रतिनिधिगण, प्रशासन के प्रशासनिक अधिकारी एंव इस कार्यक्षेत्र में वर्षो से कार्यरत अनुभवी एन0जी0ओ0 के प्रतिनिधिगणोे/संचालकों को एक मंच पर आमंत्रित करने का मुख्य उददेश्य इस समस्या के बेहतर समाधान को खोजना है।

सम्मेलन में महिलाओं एवं बच्चों के यौन शोषण, घरेलू हिंसा, डिजिटल माध्यम से उत्पीड़न एवं मानव तस्करी विषयों पर गहन चिन्तन किया गया।

घरेलू हिंसा विषय पर सुश्री अंजू दूबे पाण्डेय, Programme Specialist  Ending Violence Against Women UN Women की अध्यक्षता में परिचर्चा हुई जिसमें श्री अशोक कुमार, सुश्री मंजू अग्रवाल, सुश्री स्तुति मित्तल, श्री आशुतोष सिंह, सुश्री नायरीन दारूवाला, श्री नीलेश मिश्रा, सुश्री तृप्ति पंचाल, सुश्री हसीना खान, श्रीमती ऋचा रस्तोगी, सुश्री स्मृति, श्री आशुतोष सिंह, सुश्री ऋचा अनिरूद्ध, श्री जीतेन्द्र वालिया, सुश्री रश्मि सिंह, श्री असीम अरूण पुलिस महानिरीक्षक एटीएस एवं सुश्री मीनाक्षी सम्मिलित थीं ।

घरेलू हिंसा के संबंध में सुश्री अंजू दुबे पाण्डे द्वारा निम्न सुझाव दिये गये-

  1. घरेलू हिंसा अधिनियम है, किन्तु उसको सही से लागू नहीं किया गया है
    • Protection Officer, Service Provider, etc को नियुक्त नहीं किया गया है
    • सुझाव: संसाधन व स्टाफ दिया जाए और प्रशिक्षण कराया जाए
    • Fast Track व्यवस्था दी जाए
    • पूरा वित्त राज्य सरकार को देना है
  2. समस्या: पीड़िता शिकायत कैसे करे?
    • 100, 181,1090,आदि हेल्प लाइन हैं, लेकिन उनके बारे में, जिसे ज़रूरत है, उसे जानकारी नहीं है
    • बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों की abuse भी पहलू है
    • सुझाव:हेल्प लाइननं पर आने वाली शिकायतों को दर्ज़ कर सीधे Protection Officer को पहुंचा दिया जाए
    • 181, 1090, 100 का आपसी समन्वय बढ़े
    • बच्चों और परिवार को sensitize करेंताकि DV की रिपोर्टिंग अधिक हो
    • पीड़ितों को 100 नं आदि हेल्पलाइन के सॉफ्टवेर में सूचीबद्ध किया जाए, ताकि ज़रूरत पड़ने पर उसके इतिहास के अनुसार respond किया जाए
  3. प्रथम प्रतिक्रिया (First Response)
    • पुलिस के पास विस्तृत गश्ती प्रणाली है, महिला इकाइयों की ज़रूरत है
    • Protection Officers के पास वाहन, संसाधन की भारी कमी है
    • सुझाव: Convergence of Response: Joint Legal Services + Legal Aid + Asha Jyoti
    • Protection Officers नियुक्त की जाए, ब्लॉक स्तर तक
    • प्रतिक्रिया तंत्र को संगठित (converge/unify) किया जाए,data base एक हो ताकि repeat offender और पीड़िता का इतिहास उपलब्ध हो, उसी के अनुसार कार्रवाई हो
    • घरेलू हिंसा की रोकथाम को वरियता दी जाए
    • पीड़िता और पूरे प्रकरण में गोपनीयता रखने का प्रबंध हो
  4. परामर्श
    • वर्तमान व्यवस्था में पुलिस लाइन या महिला थाना में रविवार को परामर्श किया जाता है, जिसका कोई औपचारिक गठन नहीं है
    • न्यायालयों में भी ‘परिवार परामर्श केंद्र’ की व्यवस्था है
    • सुझाव: परामर्श को व्यवस्थित और विशेषज्ञ बनाया जाए
    • मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ उपलब्ध हैं जिन्हें सरकारी या प्राइवेट तंत्र के तहत बेहतर परिणाम देने के लिए तैयार किया जा सकता है
    • NGOs का सहयोग: औपचारिक व्यवस्था बनाई जाए
    • शिकायतकर्ता/ पति-पत्नी की गोपनीयता रखी जाए
    • क्या पुलिस परामर्श करे या केवल कानूनी कार्रवाई करे
  5. पुलिस विवेचना, गिरफ्तारी
    • रात को महिला को कहाँ रखें, शेल्टर होम बनाए जाएँ
    • पुलिस कर्मियों का प्रशिक्षण: महिला संबंधी क़ानूनों के संबंध में
  • DIR के बारे में जागरूकता विकसित की जाए
  1. न्यायालय में ट्रायल
    • DV एक्ट के आदेश का अनुपालन कैसे हो,PO के पास समय नहीं है
    • DIR के बारे में प्रशिक्षण दिया जाए, फॉर्म रखे जाएँ
  2. जागरूकता
    • पुलिस अपना communication vertical बनाए (नीलेश मिसरा)
    • Innovative strategies for reaching out to the intended beneficiary
    • Involving the community in awareness, vigilance, monitoring
    • Involving Non-Govt stakeholders in policy making
    • पुरुषों को भी जागरूकता अभियान में संबोधित करें
    • Using media to encourage people to become monitors
    • Positive Models of Men in Media
  3. अल्पसंख्यक महिलाओं की समस्याओं के प्रति पुलिस को संवेदनशील होना चाहिए । अल्पसंख्यक महिलाओं की समस्याओं के प्रति पुलिस को संवेदनशील होना चाहिए ।

    डिजिटल के माध्यम से उत्पीड़न विषय पर सुश्री सुनीता ऐरन वरिष्ठ स्थानीय सम्पादक हिन्दुस्तान टाइम्स, लखनऊ की अध्यक्षता में परिचर्चा हुई जिसमें सुश्री विशाखा भट्टाचार्या, श्री पुष्पेन्द्र कुमार सिंह, श्री दिनेश यादव, अपर पुलिस अधीक्षक एटीएस, सुश्री पूर्वी गुप्ता, सुश्री अनीता मिश्रा, सुश्री भव्य लक्ष्मी, श्री अमिताभ कुमार, सुश्री रिचा साईद, श्री राकेश महेश्वरी, श्री त्रिवेणी सिंह अपर पुलिस अधीक्षक एसटीएफ, सुश्री अनीता मिश्रा, श्री राजन एस मैथ्यू, सुश्री मारिया शकील खान, सुश्री बुलबुल गुल्डियाल, श्री मोहित गुप्ता एवं श्री अरविन्द चतुर्वेदी उपस्थित थे।डिजिटल माध्यम से उत्पीड़न के संबंध में सुश्री सुनीता ऐरन द्वारा निम्न सुझाव दिये गये -1-साइबर क्राइम को परिभाषित किया जाना चाहिए। 2-अभिभावकों को बच्चों के साथ होने वाली किसी आन लाइन क्राइम होने की दशा में एफ0आई0आर दर्ज कराना उनका अधिकार है। 3-विकटिम (पीड़िता) शब्द को सरकार/पुलिस की शब्दावली से निकाल देना चाहिए और फाइटर या अन्य कोई उचित सम्बोधन करना चाहिए। 4-एक हाट लाइन नम्बर बनाया जाये जिस पर तुरन्त समस्या का समाधान हो। 5-ई कोड का प्राविधान किया जाये और साइबर क्राइम केस को फास्ट ट्रेक किया जाये।6-आशा ज्योति केन्द्र को सक्रिय किया जाये जिससे ग्रामीण क्षेत्र में मदद मिल सके। 7-पुलिस व्यवस्था एवं सभी को साइबर क्राइम के प्रकरण के प्रति संवेदनशील बनाया जाये। 8-सर्विस प्रोवाईडर के कारण आ रही समस्या को दूर किया जाये जिससे विवेचना में सहायता मिल सके। 9-फाईटर्स(पीड़िता) की सुरक्षा सुनिश्चित की जाये।

    10-मोबाइल फोन के उचित उपयोग पर सरकारी/गैरसरकारी स्कूलों में शिक्षित किया जाये।

    मानव तस्करी विषय पर प्रोफेसर पी0एम0 नायर की अध्यक्षता परिचर्चा हुई जिसमें सुश्री माधुरी एक्सलको, श्री अजीत सिंह, श्री त्रिवेणी आचार्य, श्री संजय गुप्ता, डा0 मेहा दीक्षित, श्री सिद्धार्थ पाण्डेय, श्रीमती संगीता शर्मा, श्री रविकांत, श्री राजेश मणि त्रिपाठी, सुश्री वंदना मिश्रा, श्री कुंवर रणविजय सिंह, श्री अखिलेश गौतम, श्री जावेद नफीस रहमान, श्री कुंवर विक्रम सिंह, श्री नवनीत आनन्द, श्री अजय कुमार एवं सुश्री श्वेता श्रीवास्तव सम्मिलित थीं ।

    प्रोफेसर पी0एम0 नायर द्वारा निम्न सुझाव दिये गये-

    1-राज्य स्तर पर स्टेट चाइल्ड ग्रिड बनाया जाये ।
    2-महिलाओं की सुरक्षा हेतु ‘महिला सुरक्षा सेल’ गठित किया जाये ।
    3-वर्तमान में एएचटीयू की यूनिट 35 जिलों में अन्य जिलों में लागू किया जाये ।
    4-एएचटीयू के संबंध में राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया जाये ।
    5-मानव तस्करी रोकने हेतु पुलिस द्वारा एडवाइजरी जारी की जाये ।
    6-साइबर क्राइम रोकने हेतु टास्क फोर्स का गठन किया जाये ।
    7-प्रत्येक जनपद में रेस्क्यू होम बनाया जाये एवं सभी में प्रशिक्षित कांउसलर रखे जायें। रेस्क्यू होम हेतु फण्ड की व्यवस्था की जाये ।
    8-मानव तस्करी का डाटा वेस तैयार किया जाये ।
    9-प्लेसमेन्ट एजेंसी के लिये कानून बनाया जाये ।
    10-बन्धुआ मजदूरी के कानून की जानकारी जिलाधिकारी/उपजिलाधिकारी को भी कार्यशाला के माध्यम से दी जाये ।
    11-मानव तस्करी रोकने के लिये एनजीओ के साथ मिलकर पुलिस कार्य करे ।

    यौन शोषण विषय पर श्रीमती रेणुका मिश्रा पुलिस महानिरीक्षक, एसएसबी की अध्यक्षता में परिचर्चा हुई जिसमें श्री अंशुमाली शर्मा, श्रीमती ज्योत्सना हबीबुल्लाह, सुश्री पूजा अवस्थी, सुश्री अंजली, डा0 मीनाक्षी सिंह, श्री पुनीत मिश्रा, श्री विकास पाण्डेय, डा0 नेहा आनन्द, श्रीमती प्रेरणा अग्रवाल, श्रीमती सरिता सिंह, श्रीमती सची सिंह, डा0 सुधा वर्मा, सुश्री मिमांशा मलिक, श्री आशीष सिंह, श्री पुनीत मिश्रा, श्री  प्रवीन कुमार एवं नीता चन्द्रा सम्मिलित थीं।

    श्रीमती रेणुका मिश्रा द्वारा निम्न सुझाव दिये गये-

    1-पुलिस पब्लिक रेसियो के मद्देनजर, अगर एनजीओ और कम्युनिटी को जोड़ दिया जाये तो यह रेसियो सुधर सकता है। पंचायत की भी भूमिका स्पष्ट हो ।
    2-आॅडिट -इण्टर्नल कमेटी बनी है या नहीं, अगर वह ठीक से अपना काम नहीं कर रहे, तो इनपर डिसिपिलनरी कमेटी भी होनी चाहिए जिससे अपील की जा सके ।
    3-जागरूकता तय की जाये, कि किस उम्र से इन बातों पर जानकारी देना शुरू किया जाये। ॅीव कव लवन जमसस यह जानकारी होना जरूरी है कि कौन से मामले में किससे बात की जाये ।
    4-यूपी पुलिस में महिला पुलिस कर्मियों की संख्या और भागीदारी बढ़ाई जाये ।
    5-पुलिस प्रशिक्षण में सुधार और व्यवहारिक  प्रशिक्षण भी दिया जाये।
    6-WHO की Life skill  को बाध्यकारी बनाया जाये।
    7-दिव्यांग लोगों के लिये खास सुविधायें होनी चाहिए जैसे accessible पुलिस थाना transtator आदि specialised homes
    8-ट्रेंड काउनसेलर होने चाहिए, पुलिस को mediation नहीं करना चाहिए।
    9-स्ट्रीट चिल्ड्रेन का कोई नहीं जबकि उनका भी बहुत शोषण होता है उनके लिये उचित नीति होनी चाहिए ।

    सम्मेलन में उपस्थित मुख्य अतिथि डा0 दिनेश शर्मा मा0 उप-मुख्यमंत्री उ0प्र0 ने कहा कि पुलिसिंग में व्यापक परिवर्तन आया है। सेमिनार में विभिन्न वक्ताओं द्वारा दिये गये सुझावों को संकलित कर उन्हें दिया जाये, जिससे सरकार की नीतियों में समावेश कर सकें। आज के सफल आयोजन के लिये उ0प्र0 पुलिस को बधाई दी गयी। इसके अतिरिक्त उन्होंने 1090 व यूपी 100 द्वारा किये जा रहे कार्यों की सराहना की ।

    अन्त में पुलिस महानिरीक्षक, एटीएस उ0प्र0 द्वारा धन्यवाद ज्ञापित करते हुए मुख्य अतिथि को आश्वासन दिया गया कि संगोष्ठी में आये सभी सुझावों को 10 दिवस के अन्तर्गत सौंपा जायेगा।

    सम्मेलन में लखनऊ में नियुक्त एवं डीजीपी मुख्यालय में नियुक्त समस्त पुलिस अधिकारी/कर्मचारी, आईआईएम/विश्वविद्यालय लखनऊ के छात्र/छात्राएं एवं मीडिया प्रतिनिधि सम्मिलित थे।

 

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