लखनऊ: मुर्गी पालन व्यवसायी सरकार के अवैध कार्य को बंद कराने के अभियान की प्रशंसा करते है,लेकिन पिछले एक महीने से उत्तर प्रदेश का हर मुर्गी पालक,सरकार की अ-स्पस्ट नीतियों (नान-वेज आहार) की वजह से गेहू में घुन की तरह पिस रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार की अ-स्पस्ट नीतियों से हम मुर्गी पालको में कुछ व्यवहारिक(प्रेक्टिकल) दिक्कते आ रही है, उसके समाधान के लिए आज मजबूर होकर उत्तर प्रदेश का मुर्गी-पालक अपनी तकलीफ को राजधानी में शांति पूर्ण तरीके से व आपका ध्यान मुख्य बिन्दुऔ पर आकर्षित करना चाहता है :
1. मुर्गीपालन भी कृषि व्यवसाय का एक हिस्सा है, दूध, सब्जी,फल की तरह कच्चा प्रोडक्ट है, जिसको हार्वेस्टिंग से रोका नहीं जा सकता है। और इसका फसल चक्र 35 से 40 दिन का होता है, अगर रुक गया तो अधिक घना व गर्मी होने से मरने लगता है,और ओवर साइज होने पर बिकता नहीं है ।
2. उत्तर प्रदेश में 6 करोड़ संख्या से अधिक का मुर्गीपालन किया जाता है। इस व्यवसाय से जो कि गांवों का विकास एवं रोजगार प्रदान करने वाला है, इस से करीब 3 लाख लोगो सीधे व करीब 25 लाख परिवारो की इससे जीविका चलती है। और यह व्यवसाय उत्तरप्रदेश में लगभग सालाना 20 हजार करोड़ का है,इसमें रोज़ 15 से 16 घंटे मेहनत की जरुरत पड़ती है इस वजह से ज्यादतर मुर्गी पालको का कोई साइड बिज़नेस नहीं होता है,और बहुत से मुर्गी पालक बैंको से कर्ज लेकर मुर्गीपालन का व्यवसाय कर रहे है।
3. केंद्र सरकार के द्वारा विगत 50 वर्षों में विभिन्न योजनाओ के द्वारा पोल्ट्री ,फिशरी एवं डेयरी उद्योग को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप ग्रामीण विकास को बढ़ावा मिला और ग्रामीण अंचल के रोजगार में असीमित वृद्धि हुई व अनुपयोगी बंजर जमीन का उपयोग हुआ। केंद्र सरकार ने पोल्ट्री विकास बोर्ड का भी गठन किया हुआ है।
उप्र सरकार के द्वारा भी पोल्ट्री उद्योग को बढ़ावा देने के लिए(कुकुट विकास नीति 2013) बनाई जिसने उद्योग को बढ़ाने के साथ साथ उत्तर प्रदेश की जी. डी. पी.में अच्छा योगदान दिया।
नाबार्ड भी अपनी अनेको योजनाओ के द्वारा ग्रामीण क्षेत्र में पोल्ट्री विकास के कार्य कर रहा है।
4.पुलिस प्रशासन ने पूरे प्रदेश के शहर, कस्बे, ग्रामीण बाजार इत्यादि सभी जगह चिकन/मुर्गा बिक्री को बंद करा दिया, हम पोल्ट्री किसानों को इसकी पूर्व सूचना न होने के वजह से पोल्ट्री फार्मो में मुर्गा बुरी तरह फँस गया और कच्चा प्रोडक्ट व गर्मी का मौसम होने की वजह से फार्मो पर मुर्गे की म्रत्युदर बढ़ गई, इससे भाव कम करके दूसरे प्रदेशों में कम दाम में बेचना पड रहा है, इससे किसानों को कमरतोड़ नुकसान हो रहा है, व जिसकी यही जीविका है वो अपना परिवार व बैंक के कर्ज को कैसे चुकाए। और आगे इस व्यवसाय को करने में असहाय महसूस कर रहा है।
5. मार्च-27 को हमारे माननीय स्वास्थ मंत्री जी व सरकार के प्रवक्ता श्री सिद्धार्थनाथ सिंह जी ने ऐलान किया कि सरकार ने चिकन(मुर्गा) व अंडे बेचने वालों पर कोई कार्यवाही का आदेश नही दिया। उसके बावजूद भी पुलिस प्रशासन ने पूरे प्रदेश के शहर, कस्बे, ग्रामीण बाजार इत्यादि सभी जगह चिकन/मुर्गा बिक्री नहीं करने दिया जा रहा है ऐसे में पोल्ट्री फार्मो में मुर्गा बुरी तरह फँस गया ऐसे में किसान अपना उत्पाद कहाँ ले जाये… ??
6. मुर्गा एक पक्षी व कच्चा कृषि उत्पाद है, चिकन(मुर्गा) बिक्री के नियमो को अन्य बड़े जानवरो(भैसे बकरे) में शामिल करके इसके साथ न्याय नही हो पा रहा है।
7. पिछली सरकारों ने मुर्गी पालको को नयी नियमावली के बारे में सूचित ही नहीं किया .जिससे आज मुर्गी पालक बहुत परेशानी झेल रहे है और व्यापारिक/व्यवहारिक परेशानियां दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।
हमारा उत्तर प्रदेश सरकार से अनुरोध (माँग) है कि:
1. उत्तर प्रदेश के सभी मुर्गी पालकों का शांति पूर्ण निवेदन है कि उत्तर-प्रदेश सरकार हम मुर्गी पालकों की इस व्यावहारिक(प्रेक्टिकल) परेशानी, हमारी फसल “मुर्गा” कहाँ लेकर जाये और इसके लिए उत्तर प्रदेश सरकार उचित व व्यावहारिक(प्रेक्टिकल) व्यवस्था बनाये.
2.उत्तर प्रदेश सरकार, मुर्गी-पालन, उसकी प्रकृति व ग्रामीण बाजार व्यवस्था को देखकर अन्य बड़े जानवरो कि बिक्री नीति से अलग मुर्गा बिक्री(चिकन सेल) के लिए व्यावहारिक(प्रेक्टिकल), हाईजेनिक, साफ़ सुथरी व वैध-व्यवस्था(ऑथोराइज़ड) की नियमावली जारी करे ।
3. उत्तर प्रदेश के हर शहर, क़स्बे व ग्रामीण बाजार स्तर पर फल व सब्जी मंडी की मुर्गी पालको के उत्पाद(मुर्गे) लिए भी मंडी की स्थापना व चिकन सेल विक्रेता स्वच्छ व हाईजेनिक तरीके से अपना कारोबार कर सके उसके लिए सस्ते व एकल विंडो ऋण व्यवस्था उपलब्ध करवाए।
4. केम्प लगाकर मुर्गा बिक्री(चिकन सेल) लाईसेंस देने की प्रकिया को पुरे प्रदेश मे जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
5. उत्तर प्रदेश सरकार मुर्गी पालन व्यवसाय से सम्बंधित जारी ( बिजली, आय व किसान विकास पत्र व लंबित) शासनादेश को भी जल्द से जल्द लागु करवाए ।
6. मुर्गा पालक को बैंक लोन करवाने के लिये वर्तमान व्यवस्था में भू उपयोग में परिवर्तन (धारा 143) करवाना अनिवार्य है। इस व्यवस्था को समाप्त कर कृषि की भॉंति बिना भू-उपयोग बदले लोन दिलवाने का प्रावधान हो