गैरसैणः उत्तराखण्ड महापरिषद लखनऊ द्वारा हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु रंगारंग कार्यक्रमों में एक से बढ़़ कर एक प्रस्तुतियों ने गैरसैण के मैदान में एकत्र हजारों दर्शकों को उत्तराखण्ड की संस्कृति से सरोबोर कर दिया। आज प्रातः 10 बजे सलयाना हैलीपैड पर क्षेत्रीय विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी एवं महापरिषद के अध्यक्ष मोहन सिंह विष्ट सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पारम्परिक रंगविरंगे परिधानों से सुस्ज्जित छोलिया दल द्वारा बाजे गाजों के साथ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री अजय भटट्, प्रदेश अध्यक्ष भाजपा का खुब गर्मजोशी से स्वागत किया। इसके पश्चात पेशावर काण्ड के महानायक वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली की प्रतिमा में माल्यापर्ण करने के बाद समारोह स्थल गैरसैण के राजकीय इन्टर कालेज के मैदान तक छोलिया नृत्य करते हुऐ अतिथि को मंच पर लाया गया। उन्हें एन0सी0सी0 की गोपेश्वर की बटालियन ने गार्ड आफ आनर दिया। कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि श्री भट्ट एवं समारोह अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, मोहन सिंह विष्ट ने द्वीप प्रज्वलितकरकिया।
सर्वप्रथम कलाकारों ने दर्शकों को गणेष वन्दना दैणाा हो जाये खोली को गणेषा वन्दना की प्रस्तुति से भाव भक्ति विभोर कर दिया। अपने सम्बोधन में मुख्य अतिथि ने उत्तराखण्ड महापरिषद के पदाधिकारियों एवं दर्शकों का आभार व्यक्त किया कि हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन हेतु विशाल आयोजन के लिए आयोजकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि महापरिषद द्वारा इससे बडे़ दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव जो विगत माह लखनऊ में आयोजित किया गया था उस महोत्सव में मुझे सम्मिलित होने का अवसर मिला में मोहन सिंह विष्ट अध्यक्ष की सराहना करता हूॅ कि वे दिन रात उत्तराखण्ड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवन्त बनाये रखने में प्रयासरत हैं। इन कार्यक्रमों में उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल, मा0 मुख्यमंत्री एवं अतिविशिष्ट व्यक्ति सम्मिलित होते हैं। आज मुझे भी यहा अवसर प्रदानकर में अपने आपको गौरवान्वित महसूस कर रहा हूॅं। गैरसैण का उत्तराखण्ड राज्य के आन्दोलन में एक विशेष इतिहास रहा है। जिसे हम कभी भूला नही सकते आज उत्तराखण्ड महापरिषद द्वारा इस विशाल कार्यक्रम के माध्यम से उस इतिहास को लोगों को याद दिलाया। जो शहीद हुऐ उन्हें श्रद्धाजंली दी। यह भूमिवीरों की भूमिहै। उत्तराखण्ड महापरिषद को कार्यक्रमों को करने में सहायता की आवश्यकता होगी राज्य सरकार उसके लिए हमेशा तैयार रहेगी।
क्षेत्रीय विधायक एवं समारोह अध्यक्ष श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि महापरिषद द्वारा इस भव्य कार्यक्रम को लखनऊ से लगभग 700 किमी0 दूर गैरसैण में करने पर पदाधिकारियों के उत्साह की सराहना की इतने अल्प समय में समारोह को सफल बनाने में क्षेत्रीय जनताव गणमान्य व्यक्तियों का आभार प्रकट किया।
अध्यक्ष मोहन सिंह विष्ट ने उत्तराखण्ड महापरिषद के गोरवमयी इतिहास पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संस्था वर्ष 1948 से अब तक निरन्तर रचनात्मक सामाजिक एवं सांस्कृतिक कार्यो को निरन्तर करते आ रही है। यह सबसे प्राचीन शीर्ष संस्था है। उन्होंने मुख्य अतिथि एवं विधायक जी का आभार प्रकट किया कि गैरसैण में उत्तराखण्ड महापरिषद की शाखा का आज विधिवत शुभारम्भ किया गया। गैरसैण में महापरिषद की शाखा खुलने से नये उदीयमान कलाकारों को एक मंच प्रदान कर उनकी कलाकारिता को प्रोत्साहित करने के साथ ही विलुप्त हो रही प्राचीन विधा को भी संरक्षण मिलेगा।
महापरिषद के महासचिव हरीश चन्द्र पन्त द्वारा मुख्य अतिथि से अनुरोध किया गया कि गैरसैण को चारधाम यात्रा से जोड़ा जाय क्योकि यही पर आदिबद्री तथा रामगंगा जैसी जीवनदायिनी का उद्गम स्थान है। गैरसैण में ही विधानसभा के सारे सत्र आयोजित किये जाये जिससे पहाड़ के लोगों के बारे में योजना बनाने में यहा कि भौगोलिक विषम परिस्तिथयों से याोजनाकार जमीनी रूप से जुड़ कर विकास कार्यो को नये आयाम दे सके ताकि यहा कि जनता रोटी कपड़ा मकान, हक आदि प्राप्त करने के लिये वर्षो से जूझ रहे है वे उन्हें प्राप्त कर सके।पलायन को रोकने में काफी सफलता मिल सकेगी।
महापरिषद के कलाकारों की विशेष सांस्कृतिक प्रस्तुति पाण्डव नृत्य गढ़वाल की परंपरा पोराणिक है और द्वापर युग से चली आ रही हैं पांडव केदारघाटी के रास्ते ही स्वर्ग रोहणी गए थे। जिन रास्तों से होकर पांडव गुजरे, उन गावों में बड़ी श्रद्धा के साथ पांडव लीला का आयोजन होता है। इस नृत्य में पांडवों के जन्म से लेकर मोक्ष तक की यात्रा का संजीव वर्णन कलाकारों ने किया जिसे दर्शकों ने खूब सराहा। ओड़ा नेडू ऐ गे माता का पाचों भै पाण्डव, भूमिका भूमियाला मेरा प्रभु रौलया, पौलया बैल के अलावा बारामा सागीत, रंगीली विन्दी घाघरी काई, विन्दुली रात रैगेजरासी ने दर्शको में घूम मचा दी। इसका निर्देशन सुभाष देवराणी, उमेश (भीम के पात्र), युधिष्टर के पात्र उमेष देवराड़ी, अभिषेक (अर्जुन), लक्ष्मण सिंह (नकुल कापात्र), राज (सहदेव), गीताभट्ट ( द्रोपदी) म्यूजिक दिनेश जोशी, की बोर्ड पंकज, ढोलक पर आशीष, तबले पर प्रमोद कलाकार थे।
सांस्कृतिक कार्यक्रमों में प्रसिद्ध लोकगायक श्री जगत सिह धपोला ने सौ रूपये की साड़ी, द्वि सौकड़ाई, लाली होलीली, कख होली डाडी काठी, तेरू बक्की बात कुमाऊ छः जैसे लोकप्रिय लोकगीतों ने दर्शकों को मंत्र मूग्ध कर दिया।
विशेषकर गढ़वाली गीत भललगदूभनुलितेरू मठुमठु हिटणू रे, अनको कुमाऊनी, गढ़वाली मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों की वाहवाही लुुटी। स्थानीय महिलाओं द्वारा झोड़ा, चाचरी आदि की लय बद्ध गीत एवंनृत्य ने समाबाधा।
कार्यक्रम स्थल पर नगर पंचायत अध्यक्ष, गंगा सिंह पंवार, पूर्वप्रमुख जानकीरावत, जिला पंचायत सदस्य हीरा सिंह फनियाल, मण्डल अध्यक्ष, खिलाफ सिंह, नगर अध्यक्ष पृथ्वी सिंह विष्ट के अलावा महापरिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष दीवान सिंह अधिकारी, खुशाल सिंह विष्ट, मंगल सिंह रावत, मोहन चन्द्र जोशी, कविता मनराल, महेन्द ्रंिसंह रावत, मीडिया प्रभारी भुवन चन्द्र तिवारी, रमेश अधिकारी, के0एस0 चुफाल, महेष रौतेला, महेन्द्र गैला कोटी सहित सैकड़ो गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।