देहरादून: ‘‘योग्य शिक्षक संसाधनों की कमी को भी पूरा कर सकते है। शिक्षकों को अपने पद की गरिमा को बनाये रखना चाहिए। बच्चों के विकास में प्यार और अनुशासन दोनों ही आवश्यक है। छात्रों को किताबी ज्ञान के अलावा संस्कार देना भी आवश्यक हैं।‘‘ मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा। सर्वे आॅफ इण्डिया आॅडिटोरियम, हाथीबड़कला में आयोजित उत्तराखण्ड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ देहरादून के सम्मानित सेवानिवृत्त शिक्षक-शिक्षिकाओं के विदाई समारोह में प्रतिभाग के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र उपस्थित शिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि बच्चों को शिक्षा के साथ ही संस्कार देना भी आवश्यक है। संस्कारो की बुनियाद व्यक्ति के प्रारम्भिक जीवन में ही पड़ जाती हैं तथा जब आवश्यकता होती है तो यह उभर कर आते है। इस कार्य में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका है। योग्य व्यक्ति या शिक्षक संसाधनों की कमी भी पूरा कर सकते है।
अपने स्कूली जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि पहले के समय में जब सुविधाओं का अत्यन्त अभाव था तब भी अध्यापकों ने कठिन परिस्थितियों में अपनी समर्पित सेवाऐ दी। हम उनका आभार व्यक्त करते है। उन्होनें कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज प्राइमरी शिक्षकों में लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं हैं। महिलाऐं अपने घर की जिम्मेदारी के साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी अहम भूमिका निभा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि सरकार शिक्षकों के हित में लिए गए निर्णय समयबद्ध रूप से पूरे करने के प्रयास करेगी।