देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के समक्ष न्यू कैन्ट रोड स्थित मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय में नमामि गंगे परियोजना के अन्तर्गत भारत सरकार को भेजी जाने वाली ऋषिकेश-हरिद्वार रीवर फ्रंट डेवलपमेंट से संबंधित कार्ययोजना का प्रस्तुतीकरण किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश-हरिद्वार का धार्मिक ही नही आध्यात्म व पर्यटन की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण स्थान है। गंगा के तट पर बसा होने से इस क्षेत्र का और भी अधिक महत्व है। इस क्षेत्र के नदी तटों का बेहतर सौन्दर्यीकरण हो ताकि यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों व पर्यटको को सभी आवश्यक सुविधायें उपलब्ध हो सकें तथा अधिक से अधिक तीर्थयात्री व पर्यटक इस क्षेत्र में आये। उन्होंने कहा कि ऋषिकेश व हरिद्वार के घाटो के सौन्दर्यीकरण की योजना भी कार्ययोजना में शामिल की जाए। इन क्षेत्रों में प्रकाश, स्वच्छता व जन सुविधाओं एवं सुरक्षा से संबंधित योजनाओं को इसमें सम्मिलित किया जाए। उन्होंने इन क्षेत्रों की जी.आई.एस. मैपिंग में भी सभी आवश्यक व्यवस्थाओं पर ध्यान देने पर बल दिया तथा मैपिंग में सभी संबंधित विभागों को भी जोडा जाए। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि ऋषिकेश-हरिद्वार रिवर फ्रंट डेवलपमेंट के लिये सी.एस.आर. फण्ड के तहत क्रियान्वित की जाने वाली योजनाओं के लिये धनराशि की स्वीकृति हेतु केन्द्रीय मंत्री श्री नितिन गडकरी द्वारा भी आश्वासन दिया गया है।
इस अवसर पर इस योजना की कार्ययोजना से संबंधित प्रस्तुतीकरण में इन्टरनेशनल सेन्टर फाॅर सस्टेनेबल सिटि(आई.सी.एस.सी.) की प्रतिनिधि सुश्री समीहा सेठ ने बताया कि उनकी टीम द्वारा इस संबंध में पूरे क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण करने के साथ ही स्थानीय लोगों से भी वार्ता कर कार्ययोजना तैयार की है। जिसे शीघ्र ही मुख्यमंत्री के सुझावों को सम्मिलित करने के बाद अंतिम रूप दिया जायेगा। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा पूरे क्षेत्र की जी.आई.एस. मैपिंग कर 38 किमी क्षेत्र के लगभग 70 जीआईएस मैप तैयार किये गये है।
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