आज के दौर में क्रिकेट के मैदान पर डीआरएस की अपनी एक ख़ास अहमियत है। कप्तान और टीम के लिए यह वो शस्त्र है जिसका इस्तेमाल करके कई बार मैच पलट जाता है। जहाँ डीआरएस ने खिलाड़ियों को काफी राहत पहुंचाई है वहीं इसकी एक कमज़ोर कड़ी भी है। वो है अम्पायर्स कॉल का फैसला। जब कभी भी मैदान पर डीआरएस के चलते अंपायर के नतीजे को चुनौती दी जाती है तो अंतिम निर्णय लेने के लिए थर्ड अंपायर ग्राउंड अंपायर के नतीजे को ज़ेहन में रखकर ही नतीजा सुनाता है। इसका मतलब यह हुआ कि ग्राउंड अंपायर के नतीजे को ज़्यादा तवज्जों दी जाती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि डीआरएस लेने वाली टीम को पूरी तरह से न्याय नहीं मिल पाता है। लेकिन 1 अक्टूबर से अब ऐसा देखने को नहीं मिलेगा। अच्छी ख़बर यह है कि आईसीसी क्रिकेट कमेटी द्वारा मई में की गई सभी सिफारिशों को आईसीसी के मुख्य कार्यकारी समिति ने शुक्रवार को मंजूरी दे दी।
इस बाबत आईसीसी ने कहा कि एलबीडब्ल्यू को लेकर यह बदलाव एक अक्टूबर या फिर इस तारीख से ठीक पहले शुरू होने वाली ऐसी किसी सीरीज से लागू होगा जिसमें डीआरएस का इस्तेमाल होता हो। इन हालात में डीआरएस में अगर अम्पायर्स कॉल का फैसला आता है तो टीम का रिव्यू ख़राब नहीं होगा। इसके साथ ही आईसीसी ने टी-20 क्रिकेट के लिए भी डीआरएस के इस्तेमाल के लिए हरी झंडी दे दी है। आपको बता दें अभी तक टी-20 क्रिकेट में डीआरएस का प्रयोग नहीं किया गया है। इसके साथ ही टेस्ट क्रिकेट में अब टीमों को 80 ओवरों के बाद 2 रिव्यू नहीं दिए जाएंगे। टेस्ट क्रिकेट में एक पारी में टीम को अब कुल 2 रिव्यू ही दिए जाएंगे। इसके साथ ही आईसीसी ने डीआरएस के लिए बॉल ट्रेकिंग और एड डिटेक्शन तकनीक का ज़्यादा से ज़्यादा प्रयोग करने पर ज़ोर दिया है।