नई दिल्लीः स्मार्ट शहरों तथा टिकाऊ शहरी विकास कार्यक्रम में तकनीकी सहयोग के लिए भारत और जर्मनी के बीच आज यहां एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। कार्यक्रम का उद्देश्य चयनित और स्मार्ट शहरों में शहरी बुनियादी सेवाओं और आवास की उपलब्धता के लिए उपयुक्त अवधारणाएं विकसित करना और उन्हें लागू करना है। समझौता ज्ञापन पर आवास और शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी और भारत में जर्मनी के राजदूत डॉक्टर मार्टिन मे की मौजूदगी में भारत सरकार के आवास और शहरी विकास मंत्रालय में अपर सचिव राजीव रजंन मिश्रा तथा जर्मनी की ओर से सस्टेनेबेल अर्बन एंड इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट ड्यूश गेसेलस्फाफ्ट फुर इंटरनेशनल जुसमानेर्बेरेट (जीआईजेड) जीएमबीएच इंडिया की उप कंट्री डायरेक्टर सुश्री एनेट रॉकल, तथा क्लस्टर समन्वयक सुश्री तनजा फेल्डमैन की ओर से हस्ताक्षर किए गए।
समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद श्री हरदीप पुरी ने कहा कि तकनीकी सहयोग के उपायों सें एकीकृत योजना, किफायती आवास तथा बुनियादी सेवाओं की उपलब्धता के नजरिए से टिकाऊ विकास में मदद मिलेगी और इससे पानी, अपशिष्ट जल और ठोस कचरा प्रबंधन पर विशेष ध्यान दिया जा सकेगा।
‘टिकाऊ शहरी विकास कार्यक्रम – भारत में स्मार्ट शहर’ परियोजना को जर्मनी के आर्थिक सहयोग और विकास मंत्रालय की ओर से मदद दी जा रही है। इसे भारत के आवास और शहरी विकास मंत्रालय तथा ड्यूश गेसेलस्काफ्ट फुर इंटरनेशनल जुसमानेर्बेरेट (जीआईजेड) द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित किया गया है।
भारत सरकार को परियोजना में दी जा रही इस मदद के जरिए राष्ट्रीय शहरी मिशन कार्यक्रमों जैसे स्मार्ट शहर मिशन के तहत टिकाऊ शहरी विकास को बढ़ावा देने के उस निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करना है जिसके तहत सतत विकास लक्ष्य नंबर 11 के साथ जुडते हुए शहरों को समावेशी, सुरक्षित, अनुकूल और स्थायी बनाया जा सके। इस परियोजना में जर्मनी 80 लाख यूरो की आर्थिक मदद दे रहा है। यह परियोजना तीन वर्षों की अवधि (2018 से दिसंबर 2020 तक) जारी रहेगी।
आवास और शहरी विकास मंत्रालय तथा जीआईजेड भारत मिशन के कार्यान्वय के लिए संयुक्त रूप से काम करेगा ताकि टिकाऊ विकास के लिए बनाए गए राष्ट्रीय विकास फ्रेमवर्क के अनुपालन के लिए सर्वाधिक अनुकूल तरीका इस्तेमाल किया जा सके और शहरी विकास पर सफल रहे तरीकों को बढावा दिया जा सके। इसके अलावा इसमें चयनित तीन शहरों में किफायती आवास और बुनियादी सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए स्थानीय स्तर पर नवोन्मेष को बढावा देने तथा पायलट स्तर पर काम करने पर भी ध्यान केन्द्रित किया गया है। आवास और स्वच्छता के साथ-साथ ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में पिछले तकनीकी सहयोग के उपायों से प्राप्त अनुभवों और सीख को नई परियोजना में समाहित किया जाएगा।