नई दिल्ली: एशिया पैसेफिक कम्प्यूटर इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (एपीसीईआरटी) का पहला खुला सम्मेलन 15 नवंबर, 2017 को नई दिल्ली में शुरू हुआ। भारत और दक्षिण एशिया में यह पहला सम्मेलन है। इसका उद्घाटन इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने, इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री श्री के.जे. एल्फोंस के उपस्थिति में किया। इनकी उपस्थिति में भारतीय कम्प्यूट इमरजेंसी रेस्पोंस टीम (सीईआरटी-इन) ने एपीसीईआरटी से मेजबान देश का पुरस्कार प्राप्त किया, जो जापान सीईआरटी ने प्रदान किया। 22 डिजिटल एशिया प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं के सीईआरटी अमरीका, यूरोप, उद्योग, शिक्षा, सरकार और मीडिया के साथ इसमें 350 पेशेवरों के साथ भाग ले रहे हैं। सम्मेलन में समूह में प्रतिक्रिया तंत्र और ढांचे में डिजिटल अर्थव्यवस्था में विश्वास निर्मित करने और इलेक्ट्रोनिक और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री द्वारा रखे गए विजन पर चर्चा होगी।
श्री रविशंकर प्रसाद ने तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं कीः
उन्होंने घोषणा की कि सरकार के डिजिटल टेक्नोलॉजी में पीएचडी स्कॉलर को सहायता देने के अंतर्गत सरकार एशिया प्रशांत क्षेत्र के उन उम्मीदवारों को साइबर सुरक्षा में पीएचडी स्कॉलरशिप देगी, जो आईआईटी, आईआईएस और अन्य विश्वविद्यालयों सहित भारत के 100 प्रमुख विश्वविद्यालयों में से किसी में भी अपनी पीएचडी करेंगे। उन्होंने रिसर्च स्कॉलर को भारत में अपनी रिसर्च की संभावना तलाशने के लिए आमंत्रित किया।
श्री प्रसाद ने कहा कि साइबर सुरक्षा में नवोन्मेष पर सरकार विशेष ध्यान दे रही है। भारत में 100 से अधिक साइबर सुरक्षा उत्पाद कंपनियां हैं और ये प्रस्ताव किया गया है कि सार्वजनिक अधिप्राप्ति (मेक इन इंडिया को प्राथमिकता) को आगे बढ़ाते हुए सरकार में सभी उपार्जन कंपनियां घरेलू निर्मित/उत्पादित साइबर सुरक्षा उत्पादों को प्राथमिकता देंगी।
उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रोनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत की डेटा सुरक्षा परिषद के साथ कार्य करने की प्रक्रिया में है ताकि साइबर सुरक्षा की चुनौतियों से निपटा जा सके।
भारत को 6 अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, कोरिया, मलेशिया और ताइवान) के साथ एपीसीईआरटी की संचालन समिति का हिस्सा बनाया गया है ताकि अगले दो वर्ष के लिए क्षेत्र के एजेंडा को आकार दिया जा सके।
भारत में साइबर सुरक्षा पेशेवरों को उच्च विषय वस्तु के साथ समृद्ध तकनीकी सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिलेगा और वे साइबर सुरक्षा में एशिया प्रशांत नेताओं के साथ चर्चा करेगे।