नई दिल्ली: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री श्री किरेन रिजिजू के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय भारतीय शिष्टमंडल आज कानकुन, मैक्सिको के लिए रवाना हो रहा है, जो वहां आपदा जोखिम कम करने के बारे में 22-26 मई, 2017 के दौरान होने वाले वैश्विक विचार विमर्श में हिस्सा लेगा। इस सम्मेलन में 5,000 से अधिक प्रतिनिधियों के हिस्सा लेने की संभावना है, जिनमें राष्ट्राध्यक्ष, मंत्री, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, आपदा विशेषज्ञ, स्वयंसेवक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों के प्रतिनिधि और शिक्षाविद् शामिल होंगे।
आपदा जोखिम कम करने के लिए वैश्विक मंच यानी जीपीडीआरआर एक ऐसा मंच है, जो आपदा जोखिम कम करने संबंधी सेंडाई फ्रेमवर्क (एसएफडीआरआर) – 2015-2030 के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा करता है और तत्संबंधी कार्यनीतिक परामर्श, समन्वय और भागीदारी विकास के लिए कार्य करता है। यह फ्रेमवर्क मार्च, 2015 में सेंडाई, जापान में आयोजित तीसरे संयुक्त राष्ट्र वैश्विक आपदा जोखिम न्यूनता सम्मेलन में पारित किया गया था। 2015 के बाद यह पहला अवसर होगा, जबकि वैश्विक नेता और आपदा जोखिम करने से संबंधित पक्षों को अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिल कर एसएफडीआरआर के कार्यान्वयन में हुई वैश्विक प्रगति की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा।
24 मई, 2017 को कंट्री स्टेटमेंट यानी राष्ट्र संबंधी ब्यौरा प्रस्तुत करने के अलावा श्री किरेन रिजिजू, 25 मई को ‘‘राष्ट्रीय और स्थानीय आपदा जोखिम न्यूनता कार्यनीतियों’’ के बारे में आयोजित पूर्ण सत्र की सह-अध्यक्षता भी करेंगे।
विचार विमर्श के विभिन्न सत्रों के दौरान भारतीय शिष्टमंडल आपदा जोखिम कम करने के बारे में भारत सरकार द्वारा किए गए उपायों को उजागर करेगा। प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा 24 मई को जोखिम में कमी सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण ढांचा सुनिश्चित करने संबंधी सत्र में प्रमुख वक्ता होंगे। इसी प्रकार एनडीएमए के सदस्य श्री कमल किशोर 24 मई को ‘‘सेंडाई फ्रेमवर्क प्रोटोटाइप विचार विमर्श’’ में वक्ता होंगे।
शिष्टमंडल के अन्य सदस्यों में एनडीएमए में संयुक्त सचिव डॉ. वी. त्रिप्पुगझ, गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री संजीव जिंदल और एनआईडीएम के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर संतोष कुमार शामिल हैं।