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किसानो का विकास एवं उत्थान सरकार की पहली प्राथमिकता है: श्री राधा मोहन सिंह

किसानो का विकास एवं उत्थान सरकार की पहली प्राथमिकता है: श्री राधा मोहन सिंह
कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्ली: केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने कहा है कि किसानो का विकास एवं उत्थान सरकार की पहली प्राथमिकता है और इसे अंजाम देने के लिए सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। श्री सिंह ने यह बात आज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में तीन दिनों तक चलने वाले कृषि उन्नति मेला 2017 के उद्घाटन पर कही। इस मौके पर सचिव डेयर एवं महानिदेशक, (आई.सी.ए.आर.) डा. त्रिलोचन महापात्रा, सचिव (डी.ए.सी. व एफ.डब्‍ल्‍यू), सचिव (डी.ए.डी.एफ.)  उप महानिदेशक, निदेशक (भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान), वैज्ञानिक और अधिकारी उपस्थित थे। मेले में किसानों के संरक्षण, सशक्तिकरण और उनकी प्रगति को ध्यान में रखकर तैयार की गयी फसलों एवं पशुओं की नई किस्मों, तकनीक, विशेष योजनायों एवं कार्यक्रमों की जानकारी दी जाएगी।
श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि सतत कृषि विकास के लिए भूमि की उर्वरा शक्ति बनाए रखना जरूरी है। माननीय प्रधानमंत्री जी ने सॉयल हेल्थ कार्ड योजना की शुरुआत फरवरी 2015 में ही कर दी थी और अब तक 460 मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं की मंजूरी दी गई है। सरकार ने मई 2015 से नीम लेपित यूरिया उत्पादन अनिवार्य कर दिया है। साथ ही  डी.ए.पी. और एम.ओ.पी. की लागत भी घटा दी है। किसानों को प्राकृतिक आपदा जैसे सूखे, बाढ़ आदि से बचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गयी है, जिसमें अनाजों, तिलहन और वाणिज्यक, बागवानी फसलें शामिल है। खरीफ 2016 में लगभग 366.64 लाख किसान कवर हुए हैं।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि कृषि मंत्रालय पूरे देश में ई-प्लेटफार्म (ई-नाम) के माध्यम से थोक मंडियों को जोड़ने का प्रबंध किया है ताकि किसान अपने उत्पाद उचित मूल्य पर मंडी में बेच सके। सूखे की समस्या से स्थायी निजात पाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की शुरुआत की गई है जिसके तहत हर खेत को पानी पहुंचाया जा रहा है। कृषि को बढ़ावा देने एवं खाद्य उत्पादन के साथ ग्रामीण आजीविका मजबूत करने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण की अनेक योजनाएं  शुरु की गई हैं। इनमें प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, कृषि मशीनीकरण, राष्ट्रीय कृषि विपणन, किसान सुविधा मोबाइल एप, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, मत्स्य विकास प्रबंधन, समेकित कृषि प्रणाली माडल आदि प्रमुख हैं।

श्री सिंह ने कहा कि देश अब खादायान्न में आत्म निर्भर है और दूसरे देशों को अनाज का निर्यात कर रहा है। दुग्ध उत्पादन में भारत दुनिया में सर्वप्रथम है। देश दुग्ध उत्पादन में विश्व में प्रथम स्थान पर है। दुग्ध उत्पादन वर्ष 2013-14 में 137.61 मिलियन टन से वर्ष 2014-15 में 146.31 मिलियन टन हो गया व 2015-16 में 155.49 मिलियन टन हुआ । नई योजना “राष्ट्रीय बोवाइन उत्पादकता मिशन” की शुरुआत नवम्बर 2016 में रु. 825 करोड़ की लागत के साथ की गयी है। वर्ष 2015-16 के दौरान 82,930 मिलियन अंडों का उत्‍पादन हुआ ।  मात्स्यिकी में विकास की अपार संभावनाओं को देखते हुए मोदी सरकार ने मात्स्यिकी क्षेत्र में ‘नीली-क्रांति’ का आह्वान किया है। नीली क्रांति’ योजना के लिए पांच वर्षों की अवधि के लिए रु. 3000 करोड़ का केन्द्रीय बजट तय किया गया है। कृषि विज्ञान केन्द्रों की संख्‍या 665 तक पहुंचा दी गयी है जिससे किसान प्रशिक्षण लेकर नई कृषि तकनीकों को अपना सके। कैबिनेट ने 3960 करोड रुपये की स्वीकृति कृषि विज्ञान केन्द्रों को चलाने के लिए दी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लैब टू लैंड, पानी, मिट्टी, उत्पादकता, खाद्य प्रसंस्करण पर विशेष बल दिया है। इनमें फार्मर फर्स्ट, आर्या, स्टूडेन्ट रेडी, मेरा गाँव-मेरा गौरव नाम प्रमुख है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर के “पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय कृषि विज्ञान प्रोत्साहन पुरस्कार” भी वितरित किये गये। राष्ट्रीय पुरस्कार रामकृष्ण मिशन, नीमपीठ आश्रम द्वारा संचालित केवीके, जिला 24-दक्षिणी परगना, सुंदरबन, पश्चिमी बंगाल को दिया गया। इस वर्ष के क्षेत्रीय पुरस्कार केवीके धनोरी – रूड्की, केवीके – बडगाँव, विद्या भवन, उदयपुर, केवीके, सहारनपुर, रामकृष्ण आश्रम, मुरदाबादी, रांची झारखंड द्वारा संचालित केवीके दिव्यायन, केवीके, मयूरभंज, समखुन्टा, ओड़ीशा, असम कृषि विश्वविद्यालया द्वारा संचालित केवीके टेओक, जोरहाट, सीएयू, इम्फाल के अंतर्गत बागवानी एवं वानिकी कॉलेज, पासीघाट (अरुणाचल प्रदेश) स्थित केवीके, केवीके, माँलेगांव, बारामती, (महाराष्ट्र), केवीके, आईजीकेवी रायपुर के अंतर्गत, केवीके उत्तर बस्तर, कांकेर, टीएनएयू, कोयम्बटूर द्वारा संचालित केवीके वृंजीपुरम, वेल्लोर (तमिलनाडु), केएयू द्वारा संचालित, केवीके मल्लापुरम (केरल) को दिये गये।

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