देहरादून: विगत दिन देर रात विधानसभा में अपने कक्ष में कृषि मंत्री उत्तराखण्ड सरकार श्री सुबोध उनियाल द्वारा कृषि विभाग के कार्यों की समीक्षा की गयी। बैठक में कृषि मंत्री ने प्रदेश के कुछ स्थानों पर 6,7 व 8 अपै्रल 2017 को हुई ओलावृष्टि एवं तेज हवाओं के कारण फसलों को हुई क्षति की जानकारी चाही। इस सम्बन्ध में कृषि निदेशक ने कृषि मंत्री को अवगत कराया कि प्रदेश के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि से फसलों को हुई क्षति की सूचनाएं मुख्य कृषि अधिकारियों से प्राप्त हुई है, जिससे जनपद नैनीताल, चम्पावत, देहरादून, हरिद्वार एवं पिथौरागढ में लगभग 4100 हैक्टेयर गेंहू की खड़ी फसल को क्षति पंहुची है। इस पर कृषि मंत्री ने कृषि निदेशक को निर्देश दिये, कि ओलावृष्टि से हुई क्षति की सूचना संकलित कर कृषि मंत्रालय भारत सरकार को प्रेषित की जाये।
कृषि मंत्री द्वारा जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा हेतु कृषि विभाग एवं वन विभाग से सामंजस्य स्थापित करते हुए संयुक्त रूप से प्रयास करने के निर्देश दिये गये। उन्होने निर्देश दिये कि जंगलों में जानवरों के लिए वन प्रजातियों के केन्द्र एवं फल वाले पेड़, पौधे, घास आदि का रोपण किया जाये तथा वनाग्नि को रोकने तथा कृषि क्षेत्र से लगी खाली भूमि पर इस प्रकार के घास एवं वृक्ष लगाये जाये जो जानवरों के चारे के काम आ सके, जिससे जानवर फसलों को नुकसान न पंहुचा सकें। उन्होने कृषि विभाग एवं वन विभाग को कृषि भूमि के चारों ओर वानस्पतिक घेरबाड़ का कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिये।
कृषि मंत्री श्री उनियाल ने पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए कृषि को व्यवसायिक स्वरूप देने पर जोर दिया तथा कहा कि किसानों को बिजनेसमैन के रूप में विकसित करने की योजना तैयार की जाये। उन्हाने कहा कि स्थानीय फसलों से अधिक मूल्य प्राप्त करने के लिए कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग फारमर्स प्रोडक्शन आर्गेनाईजेशन (एफ.पी.ओ) के गठन करने की दिशा में कार्य करें। उन्होने कहा कि नाबार्ड द्वारा फूड प्रोडक्शन आर्गनाईजेशन (एफ.पी.ओ) को 25 से 45 लाख तक ऋण शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर उपलब्ध कराया जाता है। यह आर्गनाईजेशन खाद्यान, सब्जी एवं फलों के प्रोसेसिंग का कार्य करेगी तथा कृषकों का इस सम्बन्ध में प्रशिक्षण भी देगी। उत्पादों के प्रोसेसिंग के उपरान्त विपणन कृषि उत्पादों का कृषकों को लाभकारी मूल्य प्राप्त होगा।
कृषि मंत्री ने कहा कि विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में जहां तत्काल विपणन की व्यवस्था उपलब्ध नही है, वहां पर राष्ट्रीय कृषि विकास योजना एवं अन्य केन्द्र पोषित योजनाओं से कुल कलैक्शन सेन्टर स्थापित किये जाये, ताकि अल्प अवधि के लिए फलों, सब्जियों आदि उत्पादों को सुरक्षित रखते हुए उनका उचित विपणन किया जा सके, ऐसे स्थानों पर जहां फल एवं सब्जियों सरपलस मात्रा में पैदा होती है वहां पर पी.पी.पी मोड से कोल्ड स्टोरज स्थापित किये जाये, ताकि आफ सीजन में बाजार की मांग के अनुसार फल एवं सब्जियां अच्छे मूल्य पर विक्रय किया जा सके।
कृषि मंत्री ने कृषि यंत्रीकरण को बढावा देने हेतु प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लक्ष्य 200 फार्म मशीनरी बैंक स्थापना लक्ष्य को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिये, ताकि कृषकों को आवश्यकता के अनुसार कम से कम किराये पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सके। उन्होने राज्य स्तर पर एडवाईजरी बोर्ड का गठन करने के निर्देश दिये, जिसमें कृषि पशुपालन, उद्यान, डेयरी, रेशम विकास, मतस्य विकास, जड़ी-बूटी आदि के विशेषज्ञ रखें। यह विशेषज्ञ सभी विभागों को प्रदेश की आवश्यकता के दृषिटगत योजनाओं के समन्वित क्रियान्वयन हेतु एडवाईजरी जारी करेंगे, जिसके आधार पर क्षेत्र स्तर पर स्थानीय आवश्यकता के अनुसार योजनाओं का संचालन किया जायेगा।
उन्होने राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों में प्रत्येक वर्ष 50-50 लाख के 4 कृषि भवनों/प्रचार-प्रसार केन्द्र का निर्माण का प्रस्ताव बनाने के निर्देश दिये, ज्ञातव्य है कि इन केन्द्रो से कृषकों को कृषि सम्बन्धी तकनीकी जानकारी देने के साथ-2 प्रशिक्षण भी दिया जाये, साथ ही सरकार द्वारा संचालित नवीनतम योजनाओं का भी प्रचार-प्रसार होगा। बैठक में अपर मुख्य सचिव डाॅ रणवीर सिंह, कृषि निदेशक गौरी शंकर, अपर कृषि निदेशक के.सी पाठक उपस्थित थे।