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कृषि विभाग द्वारा सचांलित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते कृषि मंत्री सुबोध उनियाल

कृषि विभाग द्वारा सचांलित विभिन्न योजनाओं की समीक्षा करते कृषि मंत्री सुबोध उनियाल
उत्तराखंडकृषि संबंधित

देहरादून: रिंग रोड स्थित वीर माधव सिंह भण्डारी किसान भवन में मा मंत्री कृषि, कृषि विपणन, कृषि प्रसंस्करण, कृषि शिक्षा सुबोध उनियाल की अध्यक्षता में कृषि विभाग, पंतनगर कृषि विश्व विद्यालय, भरसार विश्व विद्यालय, उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग तथा रेशम विभाग के अधीन केन्द्र व राज्य सरकार की चल रही विभिन्न योजनाओं तथा विभागीय गतिविधियों की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी।
मा मंत्री ने सभी विभागीय अधिकारियों को प्रदेश में कृषकों तथा किसानी के उन्नति के लिए कृषकों की मूल समस्याओं को पहचानते हुए हर सम्भव सम्भावनाओं को कार्ययोजना में सम्मिलित करते हुए उसे धरातल पर उतारने का काम करने तथा कार्यशैली में इस तरह का व्यवहारिक परिवर्तन लाने के निर्देश दिये, जिससे सीमान्त, ग्रामीण सभी किसानों का कल्याण हो तथा पहाड़ से हो रहे पलायन पर अंकुश लगे। उन्होने योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन तथा उचित माॅनिटिरिंग के लिए एग्रीकल्चर तथा हाल्टीकल्चर विभागों के आपस में मर्ज करने पर भी विचार करने तथा कृषि विभाग के प्रत्येक अधिकारी को एक-2 गांव गोद लेते हुए उसे आदर्श गांव के रूप में विकसित करने के निर्देश दिये। उन्होने सभी विभागों को सबसे पहले किसानों की समस्याओं को पहचानने, जिसमें मुख्यतः किसान को आधुनिक खेती, बागवानी, सहायक कृषि आधारित उद्योग, फूड प्रोसेसिंग, ब्रांडिंग तथा मार्केटिंग जैसे लक्षित प्रशिक्षण देकर उनकी उपज का उचित मूल्य दिलवाने हेतु कलस्टर आधारित बाजार/खरीद केन्द्र विकसित करने के निर्देश दिये, जिससे किसानों को अपनी फसलों को बिचैलियों के माध्यम औने-पौने दाम पर बेचने को विवश न होना पड़े। उन्होने पंतनगर व भरसार कृषि विश्वविद्यालय को उन्नत बीजों, वैज्ञानिक खेती/बागवानी के आधुनिक तरीकों, आर्गेनिक फार्मिंग की विशेष तकनीकों तथा किसानों को सुलभता से बीज एवं खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने एवं स्थानीय स्तर पर किसान कल्याण/ समाधान केन्द्र जैसी नई प्रविृतियों की कार्ययोजना बनाते हुए उसे धरातल पर उतारने के निर्देश दिये। उन्होने योजनाओं के क्रियान्वयन में मानव संसाधन की कमी को दूर करने के लिए डी.पी.सी, पदौन्नति तथा प्रत्यक्ष भर्ती के माध्यम से खाली पदों को शीघ्रता से भरने की कार्यवाही करने के निर्देश दिये तथा कहा कि महत्वपूर्ण कार्यों (माॅनिटिरिंग, रिसर्च, निरीक्षण इत्यादि ) को किसी भी दशा में आउटसोर्सिंग के माध्यम से न करायें जाय,े ऐसे कार्मिकों से अपने निर्देशन में ही कार्य करायें। उन्होने विश्वविद्यालयों को कृषि का ऐसा माॅडल विकसित करने को कहा जिससे पढा-लिखा युवक भी खेती/कास्तकारी की ओर आकर्षित हो सके, उसके स्वरोजगार का साधन बन सके साथ ही सभी विभाग आपसी समन्वय स्थापित करते हुए ईकोटूरिज्म, विलेज टूरिज्म तथा स्थानीय एग्रीकल्चर टूरिज्म की भावना को भी साकार कर सके।
अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह ने अधीनस्थ अधिकारियों से कहा कि केन्द्र व राज्य स्तर पर कृषक/बागवानी कल्याण हेतु बहुत सी योजनाएं होने के बावजूद किसान किसानी की ओर क्यों आकर्षित नही हो पा रहा है, इसके पीछे कहीं न कहीं योजनाओं का व्यावहारिक व उचित क्रियान्वयन का आभाव झलकता है। उन्होने मृदा स्वास्थ्य की सैम्पलिंग का उदाहरण देते हुए कहा कि इस योजना के व्यावहारिक क्रियान्वयन न होने तथा सैम्पलिंग की प्रक्रिया तथा उसकी जांच रिपोर्ट में देरी के चलते किसान को कोई कोई विशेष लाभ नही मिल पा रहा है। उन्होने ऐसे माॅडल के क्रियान्वयन पर बल देने के निर्देश दिये, जो व्यावहारिक तरीके से क्रियान्वित भी किया जा सके तथा जिससे दीर्घकाल तक किसान लाभान्वित होता रहे साथ ही कार्य योजना पर्यावरण के अनुकूल हो एवं आने वाली पीढियों के लिए भी कल्याणकारी हो। उन्होने मा मंत्री द्वारा दिये गये निर्देशों का सभी विभाग के अधिकारियों द्वारा गम्भीरता से संज्ञान लेने तथा उस पर अमलीजामा पहनाने के निर्देश दिये।
इस अवसर पर विधायक बागेश्वर चन्दनराम दास, पंतनगर विश्वविद्यालय के डीन डाॅ आई.जे सिंह, भरसार विश्व विद्यालय के वाईस चांसलर डाॅ मैथ्यू प्रसाद, उत्तराखण्ड कृषि उत्पादन बोर्ड के प्रबन्ध निदेशक धीरज गब्र्याल व महाप्रबन्धक विजय कुमार, जैविक उत्पादन के प्रबन्धन निदेशक विनय कुमार, बीज एवं जैविक प्रमाणीकरण के निदेशक गौरी शंकर, उद्यान एवं खाद प्रस्ंसकरण विभाग के निदेशक डाॅ बी.एस नेगी सहित कृषि विभाग, उद्यान एवं खाद प्रसंस्करण विभाग, रेशम विभाग तथा पंतनगर एवं भरसार विश्वविद्यालय के अधिकारी एवं कार्मिक उपस्थित थे।

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