नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों के केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उर्वरक विभाग के प्रस्तावों को निम्नलिखित स्वीकृति प्रदान की है-
- नई ऊर्जा नीति- 2015 के तहत 11 यूरिया इकाइयों के लिए लक्षित ऊर्जा नियमों को 1 अप्रैल 2018 से प्रभावी करके कार्यान्वित किया जाएगा।
- सांकेतिक जुर्माने सहित मौजूदा ऊर्जा प्रतिमानों के विस्तार को नई यूरिया नीति 2015 के तहत दो वर्ष के लिए और बढ़ाया जाएगा। इसके मद्देनजर ऐसी 14 यूरिया निर्माण इकाइयां हैं जो लक्षित ऊर्जा प्रतिमानों को प्राप्त करने में नाकाम रही हैं।
- मौजूदा ऊर्जा प्रतिमानों को तीन नापथा आधारित ऊर्जा इकाइयों के संबंध में अगले दो वर्षों/ गैस पाईप लाइन संपर्कता उपलब्ध होने तक स्वीकृति दी गयी है।
- नई ऊर्जा नीति 2015 के अनुरूप लक्षित ऊर्जा प्रतिमानों को 1 अप्रैल 2020 से प्रभावी करके पांच वर्षों के लिए जारी रखा जाएगा।
दो वर्षों की अतिरिक्त अवधि के लिए मौजूदा ऊर्जा प्रतिमानों के विस्तार से देश भर के किसानों को यूरिया की आसान उपलब्धता सूनिश्चित होगी। इससे घरेलू यूरिया उत्पादन को अधिकतम क्षमता तक बढ़ाने में सहायता होगी और यूरिया का आयात कम होगा।
इस मंजूरी से ऊर्जा यूरिया निर्माण इकाइयों द्वारा निवेश किए गए सीएपीईएक्स के कुछ हिस्से की बहाली में सहायता होगी, जिसे यूरिया निर्माण इकाइयों ने अपनी ऊर्जा क्षमता को बढ़ाने के लिए किया है। ऊर्जा कुशल यूरिया निर्माण इकाइयां कार्बन में कमी लाएंगी और वे अधिक पर्यावरण अनुकूल बनेंगी।
रासायनिक उर्वरकों ने खाद्यान उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं तथा वे भारतीय कृषि के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण योगदान करते हैं।
विभाग द्वारा वर्ष 2018-19 के लिए ऊर्जा कुशल प्रतिमानों की अधिसूचना पूंजी गहनता पर आधारित है। कंपनियों की लागत आर्थिक व्यवस्था ऊर्जा बचत योजनाओं के कार्यान्वयन का समर्थन नहीं करती क्योंकि निवेश पर साधारण पुनर्भुगतान प्रक्रिया बहुत लंबी है।