नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने विभिन्न लक्षित समूहों/लाभार्थियों को पोषण प्रदान करने की केंद्रीय सरकार की विभिन्न स्कीमों के तहत प्रोटीन घटक को पूरा करने के लिए उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा संरक्षित किए गए बफर में से दालों के स्टॉक को उपयोग करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय पर कार्रवाई करने के लिए आर्थिक मामलों संबंधी मंत्रिमंडल समिति ने संबंधित विभागों/मंत्रालयों को अपनी स्कीमों/दिशा-निर्देशों में उपयुक्त संशोधन करने के लिए सशक्त बनाया है ताकि उन्हें अपनी संबंधित स्कीमों के तहत वस्तु रूप में बफर से दालें प्रदान करने में समक्ष बनाया जा सके।
केन्द्र सरकार की योजनाओं के माध्यम से दालों का निपटान खुले बाजार के माध्यम से बफर स्टॉक से दालों की आपूर्ति तथा राज्यों को आपूर्ति के अतिरिक्त है।
सभी संबंधित मंत्रालय/विभाग अपनी-अपनी स्कीमों में आवश्यक बदलाव करेंगे और अनुमोदन के अगले तीन महीनों में दालों की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करेंगे। इन मंत्रालयों/विभागों द्वारा बताई गई ऐसी जरूरतों के आधार पर केंद्रीय बफर से दालों की आपूर्ति आरम्भ की जाएगी।
इसका उद्देश्य, संबंधित प्रशासनिक मंत्रालयों/विभागों को यह सुनिश्चित करने के लिए समर्थ बनाना है कि इन स्कीमों में वे अपने समतुल्य वित्तीय योगदान के बदले केंद्र के योगदान के लिए ‘वस्तु’ घटक के रूप में बफर से दालों का उपयोग कर सके।संबंधित विभाग, केवल बफर में दालों की अनुपलब्धता के मामले में, पोषाहार उपलब्ध कराने की अपनी विद्यमान प्रणाली को अपना सकते हैं। बफर के सतत संचालन के लिए, निपटान के ऐसे नियमित और सुनिश्चित चैनलों की उपलब्धता जहां नियमित अंतराल पर बफर से निश्चित मात्रा की अधिप्राप्ति/उठान किया जाए, का अत्यंत महत्व हो सकता है।
इस निर्णय का उद्देश्य, खाद्य/केटरिंग/आतिथ्य सेवाएं प्रदान करने वाले मंत्रालयों/विभागों और उनकी एजेंसियों के साथ-साथ मिड-डे-मील (एसडीएम) योजना, अस्पतालों इत्यादि सहित सरकार की विभिन्न स्कीमों/कार्यक्रमों के तहत पोषाहारों/दालों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने में भी सहायक सिद्ध होगा।खुली बाजार बिक्री और राज्यों को आपूर्ति के माध्यम से बफर से दालों के निपटान के अतिरिक्त केंद्रीय सरकार की योजनाओं के माध्यम से निपटान का निर्णय लिया गया है।
बफर के सतत संचालन के लिए, निपटान के ऐसे नियमित और सुनिश्चित चैनलों की उपलब्धता जहां नियमित अंतराल पर बफर से निश्चित मात्रा की अधिप्राप्ति/उठान किया जाए, का अत्यंत महत्व हो सकता है।इससे दालों के नियमित/योजनाबद्ध रोटेशन के माध्यम से बफर में दालों के इष्टतम उपयोग और प्रभावी प्रबंधन तथा सतत आधार पर ताजा फसलों द्वारा स्टॉक के प्रतिस्थापन की सुविधा मिलेगी।
राज्यों को आपूर्ति की जाने वाली दालों की लागत, उनके हितों के संरक्षण के लिए, किसी भी मामले में, बाजार कीमत से अधिक नहीं होगी।
पृष्ठिभूमि
इस मंजूरी के चलते सरकार को प्रभावी बाजार हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाने, बाजार में व्याप्त अनियमितताओं को हतोत्साहित करने एवं उपभोक्ता को मूल्य वृद्धि के प्रति राहत प्रदान करने के लिए 20 लाख मीट्रिक टन तक के बफर का सृजन किया गया। यह किसानों को प्रोत्साहित कर सकता है और दालों के उत्पादन को बढ़ा सकता है।
चूंकि दालों का बफर उपभोक्ताओं और किसानों, दोनों, के हितों को संरक्षण प्रदान करता है, अत: इसकी निरंतरता एवं प्रभावी संचालन सुनिश्चित करना, इन हितधारकों के कल्याण के लिए महत्वपूर्ण है। बफर के सतत संचालन के लिए, निपटान के ऐसे नियमित और सुनिश्चित चैनलों की उपलब्धता जहां नियमित अंतराल पर बफर से निश्चित मात्रा की अधिप्राप्ति/उठान किया जाए, का अत्यंत महत्व हो सकता है। इससे बफर का प्रभावी प्रबंधन करने में सुविधा मिलेगी। दालों के निपटान के लिए ऐसे सुनिश्चित चैनल केंद्रीय सरकार के उन मंत्रालयों/विभागों एवं उनकी उन एजेंसियों द्वारा उपलब्ध कराए जा सकते हैं, जो लाभार्थियों को खाद्य एवं पोषाहार प्रदान करने वाली स्कीमों–जैसे मिड-डे-मील का संचालन करते हैं। इससे पोषाहार संरक्षण में भी सुविधा मिलेगी।