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कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम में संशोधन का अनुमोदन किया

देश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) अधिनियम में संशोधन का अनुमोदन किया। ये संशोधन लोकसभा में दिनांक 2 जनवरी 2018 को विचार करने तथा इसके बाद विभाग से संबंधित संसदीय समिति को विचार के लिए भेजने की पृष्ठभूमि में किये गये हैं। सरकार ने संसदीय समिति द्वारा संसद में दिनांक 20 मार्च 2018 को प्रस्तुत रिर्पोट के अनुमोदनों पर और चिकित्सा छात्रों तथा चिकित्सा पेशा से जुड़े लोगों द्वारा दिये गये विचारों/सलाहों पर विचार किया है।

विवरण

संशोधन निम्न है-

  • फाइनल एमबीबीएस परीक्षा पूरे देश में एक साथ आयोजित की जाएगी। इसका स्वरूप एग्जिट टेस्ट के रूप में होगा और इसका नाम राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) होगा।

छात्रों की यह मांग रही है कि उन्हें चिकित्सा सेवा प्रारंभ करने के लिए आवश्यक लाइसेंस प्राप्ति हेतु कोई अन्य परीक्षा न देनी पड़े। कैबिनेट ने फाइनल एमबीबीएस परीक्षा को ही पूरे देश में सामान्य परीक्षा का दर्जा देने की मंजूरी दी है और यह एग्जिट टेस्ट के रूप में कार्य करेगा तथा इसे राष्ट्रीय एग्जिट टेस्ट (एनईएक्सटी) कहा जाएगा। इस प्रकार चिकित्सा-छात्रों को लाइसेंस प्राप्त करने के लिए कोई अन्य परीक्षा नहीं देनी होगी। एनईएक्सटी उन डॉक्टरों के लिए स्क्रीनिंग टेस्ट के रूप में कार्य करेगा जिनके पास विदेशी चिकित्सा डिग्री है और वे भारत में चिकित्सा पेशा करने के इच्छुक हैं।

  • आयुष चिकित्सकों द्वारा आधुनिक चिकित्सा का पेशा करने के लिए आवश्यक ब्रिज पाठ्यक्रम के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है।

आयुष पेशेवरों द्वारा आधुनिक चिकित्सा का पेशा करने के लिए आवश्यक ब्रिज पाठ्यक्रम के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। यह जिम्मेदारी राज्य सरकारों को दी गयी है कि वे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन देने के लिए आवश्यक कदम उठाये।

  • निजी चिकित्सा संस्थानों तथा मानद विश्वविद्यालयों की 50 प्रतिशत सीटों का शुल्क नियमन।

निजी चिकित्सा संस्थानों तथा मानद विश्वविद्यालयों के शुल्क नियमन की अधिकतम सीमा को 40 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त यह भी स्पष्ट किया जाता है कि शुल्क में कॉलेजों द्वारा लिये जाने वाले अन्य सभी शुल्क शामिल होंगे।

  • एनएमसी में राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के नामित सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 की गयी।

एनएमसी में राज्यों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की मांग पर विचार करते हुए एनएमसी में राज्यों तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के नामित सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 6 कर दी गयी है। एनएमसी में कुल 25 सदस्य होंगे और इनमें से 21 डॉक्टर होंगे।

  • मेडिकल कॉलेजों द्वारा नियम नहीं मानने पर आर्थिक दंड के प्रावधान के स्थान पर विभिन्न दंड विकल्पों का प्रावधान किया गया है।

विचार विमर्श करने के दौरान हितधारकों ने आर्थिक दंड पर चिंता व्यक्त की। कॉलेजों द्वारा नियम नहीं मानने पर किसी बैच से प्राप्त किये गये कुल शुल्क के आधे से 10 गुने तक आर्थिक दंड का प्रावधान है। इस उपनियम के स्थान पर एक अन्य प्रावधान जोड़ा गया है। नये प्रावधान में चेतावनी के विभिन्न विकल्प, सामान्य आर्थिक दंड,  नामांकन पर रोक तथा मान्यता समाप्त करना शामिल है।

  • अयोग्य व नीम हकीम चिकित्सकों के लिए कड़े दंड का प्रावधान।

सरकार नागरिकों के लिए उपलब्ध चिकित्सा सुविधा की गुणवत्ता व उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीर है। अयोग्य व नीम हकीम चिकित्सकों को लिए सख्त दंड का प्रावधान किया गया है। अनधिकृत चिकित्सा सेवा देने पर एक साल के कारावास तथा 5 लाख रुपये तक के अर्थ दंड का प्रावधान किया गया है।

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