नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में आतंकियों से मुठभेड़ में गंभीर रूप से घायल हुए CRPF कमांडेंट चेतन चीता दो महीने कोमा में रहने के बाद आखिरकार होश में आ गए हैं और बात भी कर रहे हैं। डॉक्टर्स इसे चमत्कार बता रहे हैं। AIIMS ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों ने मंगलवार को टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि अब चेतन चीता डिस्चार्ज होने के लिए फिट हैं। जब उन्हें एम्स लाया गया था उस समय उनके सिर में गंभीर चोटें थीं, शरीर का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह फ्रैक्चर था और दाईं आंख फूट गई थी। एक डॉक्टर ने बताया, ‘उनका GCS (सिर की चोट की गंभीरता मापने का एक टेस्ट) स्कोर M3 था। अब उनका स्कोर M6 है। वह होश में हैं और स्थिर हैं।’
ट्रॉमा सर्जरी व क्रिटिकल केयर के प्रफेसर डॉ. अमित गुप्ता ने कहा, ‘हम बुधवार को चीता को घर भेजने की योजना बना रहे हैं।’ घायल हालत में चीता को पहले श्रीनगर के आर्मी अस्पताल ले जाया गया था जहां उनकी ब्लीडिंग रोकने के लिए दवाइयां दी गईं। हालांकि चोटों की गंभीरता को देखते हुए उन्हें एयर ऐंबुलेंस के जरिए AIIMS ट्रॉमा सेंटर ले जाने का फैसला किया गया।
डॉक्टर्स ने बताया कि एडमिट करने के 24 घंटे के अंदर सर्जरी कर उनकी खोपड़ी के एक हिस्से पर दबाव कम किया गया। उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए हेवी ऐंटीबायॉटिक्स दिए गए और घाव लगातार साफ किए गए। एक बार स्थिर होने के बाद उनकी चोटों के इलाज के लिए अलग-अलग टीमें बना दी गईं। नेत्र रोग विशेषज्ञों की टीम ने उनकी बाईं आंख का ध्यान रखा। उनकी दाईं आंख ठीक नहीं की जा सकी। हड्डी के डॉक्टरों ने फ्रैक्चर्स पर काम किया, वहीं ऐंटीबायॉटिक थेरपी के लिए भी विशेषज्ञ ने उनकी देखरेख की।
लेकिन केवल मेडिकल इलाज से चीता की हालत में सुधार नहीं हुआ। उनकी पत्नी उमा सिंह ने बताया कि चीता की इच्छा शक्ति और फिट रहने की उनकी जिद ने भी उनकी मदद की। उमा ने कहा, ‘वह पक्के इरादे वाले व्यक्ति हैं और फिटनेस को लेकर जुनूनी हैं। मैं हमेशा से जानती थी कि वह ठीक हो जाएंगे।’ उमा ने बताया कि चीता उन्हें रोज कॉल करते थे। लेकिन मुठभेड़ वाले दिन उन्होंने कॉल नहीं किया जिससे उन्हें कुछ गलत होने का पूर्वाभास हुआ। उन्होंने बताया, ‘बाद में जब मैंने कंट्रोल रूम को फोन किया तो पता चला कि वह घायल हो गए हैं।’ चेतना चीता के दो बच्चे हैं और स्कूल में पढ़ रहे हैं। पत्नी उमा ने कहा कि वे अपने पिता की वापसी का इंतजार कर रहे हैं।
बता दें कि 14 फरवरी को बांदीपुरा में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में चीता घायल हो गए थे। इस मुठभेड़ में 3 जवानों की मौत हो गई थी। इलाके में आतंकियों की मौजूदगी की खबर के बाद सुरक्षा बलों ने सर्च अभियान चलाया था लेकिन इस अभियान की जानकारी आतंकियों को पहले ही मिल गई थी इसलिए उन्होंने अपना ठिकाना बदल लिया था। चीता इस अभियान का नेतृत्व कर रहे थे। जब चीता आतंकियों के नए ठिकाने के पास पहुंचे तभी उन पर आतंकियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर दी। चीता पर 30 राउंड गोलियां चलाई गईं, जिनमें से 9 गोलियां उन्हें लगीं। घायल होने के बावजूद चीता ने आतंकियों पर फायरिंग जारी रखी और लश्कर के खूंखार आतंकी अबू हारिस को ढेर कर दिया।