नई दिल्ली: विद्युत, कोयला, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और खान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने देश में खनिजों के अन्वेषण में तेजी लाने की जरूरत को रेखांकित किया, जो फिलहाल निजी क्षेत्र की भागीदारी के अभाव में तेज गति नहीं पकड़ पा रहा है। उन्होंने यह बात आज यहां फिक्की और भारत सरकार के खान मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से ‘भारतीय खनन उद्योग 2030-आगे की राह’ थीम पर आयोजित एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कही।
श्री गोयल ने कहा, ‘अब समय आ गया है कि हम इस बात का पता लगाएं कि इस दिशा में कहां कमी रह गई।’ उन्होंने सुझाव दिया कि खनिजों के उत्खनन में तेजी लाने के लिए पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) मॉडल को अपनाने पर गौर किया जा सकता है। उन्होंने फिक्की को खनिज अन्वेषण कार्य में तेजी लाने के लिए एक स्थिति पत्र तैयार करने हेतु खनन क्षेत्र में प्रवेश करने के इच्छुक युवाओं की एक समिति गठित करने का सुझाव दिया। इस समिति को नीलामी के बाद संबंधित खदान में वास्तविक तौर पर परिचालन शुरू होने में लगने वाले समय को कम करने के अभिनव तरीके सुझाने की जिम्मेदारी सौंपी जानी चाहिए। इससे खनन क्षेत्र को तेज गति पकड़ने में मदद मिलेगी।
उद्योग जगत की चिंताओं को दूर करते हुए मंत्री महोदय ने कहा कि खनिजों के क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ज्यादा मूल्य वाले, सामरिक एवं आयात विकल्प खनिज अन्वेषण के लिहाज से प्राथमिकता वाले खनिज हैं। श्री गोयल ने कहा कि खनन क्षेत्र में विशेषज्ञता रखने वाले युवाओं को भारत में आमंत्रित किया जा सकता है और समस्त हितधारकों के फायदे को ध्यान में रखते हुए एक प्रणाली तैयार की जा सकती है।
उन्होंने उद्योग जगत को आश्वासन दिया कि केन्द्र सरकार विभिन्न राज्यों में स्टांप ड्यूटी में भारी अंतर के मुद्दे को राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा करके सुलझाएगी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा मानचित्रण का कार्य भी शुरू किया जाएगा तथा खनिजों से संबंधित डेटा को अपडेट किया जाएगा, ताकि देश में खनिज संसाधनों का वास्तविक आकलन किया जा सके।
इस अवसर पर फिक्की और केपीएमजी की ‘खान एवं खनिज उद्योग : आगे की राह’ नामक शीर्षक वाली रिपोर्ट का विमोचन मंत्री महोदय एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा किया गया। इस रिपोर्ट में वर्ष 2030 तक देश में खनिज सुरक्षा सुनिश्चित करने, अन्वेषण गतिविधियों में तेजी लाने, इस क्षेत्र में कौशल संबंधी खाई को पाटने, राज्यों में खनन कार्यों को मजबूती प्रदान करने और ‘भारत में खनन’ के जरिए इस क्षेत्र को ‘मेक इन इंडिया’ का मुख्य आधार बनाने के लिए एक कार्य योजना सुझाई गई है।
विशिष्ट अतिथि श्री अरुण कुमार, सचिव, खान मंत्रालय ने नए अधिनियम के भाग बी वाले गैर-अधिसूचित खनिजों से जुड़े मसले का उल्लेख करते हुए कहा कि इस मसले पर गौर करने के लिए बैठक आयोजित की जा रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इनके लिए जी2 अन्वेषण का समर्थन नहीं करेगी।
इस्पात मंत्रालय में संयुक्त सचिव श्री सैय्यदीन अब्बासी ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि इस्पात उद्योग की प्रतिस्पर्धी क्षमता को बनाये रखने के लिए यह आवश्यक है कि कच्चे माल की कीमतें निरंतर प्रतिस्पर्धी बनी रहें। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ साल पहले इस्पात उद्योग भारी संकट के दौर से गुजर रहा था, लेकिन पिछले तीन वर्षों से इस्पात उद्योग में बेहतर स्थिति देखने को मिल रही है क्योंकि जहां एक ओर निर्यात बढ़ गया है, वहीं दूसरी ओर आयात घट गया है।
एस्सेल माइनिंग एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और फिक्की की खनन समिति के अध्यक्ष श्री तुहिन मुखर्जी ने अपने समापन संबोधन में कहा कि मौजूदा प्रक्रियाओं पर नए सिरे से गौर करने और परिसम्पत्ति प्रबंधन पर ध्यान केन्द्रित करते हुए एक अभिनव कारोबारी मॉडल तैयार करने की जरूरत है।
फिक्की के महासचिव डॉ. ए. दीदार सिंह ने कहा कि देश में आर्थिक विकास के लिए खनिज सुरक्षा उतनी ही जरूरी है जितनी जरूरी ऊर्जा एवं खाद्य सुरक्षा है और खनन क्षेत्र के विकास में तेजी लाने में निजी क्षेत्र को अहम भूमिका निभानी होगी।
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