भोपाल: मध्यप्रदेश के गृह मंत्री भूपेंद्र सिंह ने आज स्वीकार किया कि मंदसौर जिले के पिपल्यामंडी में पुलिस द्वारा गोलीचालन में ही किसानों की मौत हुयी है। सिंह ने यहां मीडिया से कहा कि मामले की प्रारंभिक जांच के बाद सरकार इस नतीजे पर पहुंची है कि मंगलवार को पुलिस ने गोलियां चलायीं थीं और इसी वजह से पांच किसानों की मौत हुयी है। इस घटना में दो किसान गंभीर रूप से घायल हैं। सिंह ने मंगलवार को घटना के तत्काल बाद कहा था कि पिपल्यामंडी में किसानों की मौत पुलिस की गोली लगने से नहीं हुयी है। गोली किसने चलायी, यह जांच में स्पष्ट हो जाएगा। प्रदेश पुलिस मुख्यालय के सूत्रों ने बताया कि मंदसौर जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर पिपल्यामंडी और आसपास के इलाकों में सोमवार को किसान आंदोलन के दौरान उपद्रवियों ने जमकर हिंसा, लूटपाट और आगजनी की थी।
इसके बाद मंगलवार को भी यह दृश्य सामने आने पर जिला पुलिस बल ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवानों को सहायता के लिए बुला लिया था। अधिकारी के मुताबिक इस दौरान पुलिस और उपद्रवी आमने सामने आ गए थे और गोलियां चलायी गयीं। बताया गया है कि पहली बार सीआरपीएफ जवानों द्वारा गोलीचालन में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी। इसके बाद उपद्रवी और हिंसक हो गए और उन्होंने पुलिस जवानों को घेरने के साथ ही सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। पुलिस ने बचने के लिए फिर से गाेलियां चलायीं। इस तरह दाे बार गोलीचालन में पांच लोगों की मौत हो गयी और दो अन्य घायल हो गए। एक अन्य व्यक्ति की मौत हृदयाघात से हुयी। राज्य में एक सप्ताह से जारी किसान आंदोलन के दौरान तीन दिनों से यह काफी हिंसक हो गया है। कल तो उपद्रवियों ने सभी सीमाएं लांघ दी और यात्री बसों तथा आम लोगों के वाहनों को भी निशाना बनाया गया। हिंसा की घटनाएं मंदसौर, नीमच, देवास, सीहोर, धार और अन्य जिलों में सबसे अधिक प्रकाश में आयीं। मंदसौर जिले के एक गांव में कल उपद्रवियों ने कलेक्टर स्वतंत्र कुमार सिंह पर भी हमला कर दिया था।
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