लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि
राज्य सरकार चीनी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए हर सम्भव मदद उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार चीनी उद्योग के साथ-साथ किसान हित को प्राथमिकता देगी, जिससे गन्ना किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार के साथ-साथ चीनी उद्योग भी विकसित हों ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के नये साधन उपलब्ध हो सकें।
मुख्यमंत्री आज यहां शास्त्री भवन में, उत्तर प्रदेश शुगर मिल्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों के साथ, चीनी उद्योग के समक्ष आ रही कठिनाइयों के सम्बन्ध में विचार-विमर्श कर रहे थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कानून-व्यवस्था को और अधिक चुस्त-दुरुस्त बनाने के लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका लाभ प्रदेश के व्यापारियों, निवेशकों एवं उद्योगपतियों को भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस वर्ष प्रदेश में चीनी का उत्पादन महाराष्ट्र की तुलना में काफी अधिक हुआ है। इसके साथ ही, विगत तीन पेराई सत्र से लम्बित गन्ना किसानों के भुगतानों को प्राथमिकता पर कराने का काम किया गया है, जिसके फलस्वरूप करीब 95 फीसदी से अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान किया जा चुका है। उन्होंने मिल मालिकों से अपेक्षा की कि जिन सदस्यों ने अभी तक अपनी मिल से सम्बन्धित गन्ना किसानों का भुगतान नहीं किया है, वे तत्काल भुगतान करना सुनिश्चित करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उनके गन्ने के मूल्य का भुगतान प्रत्येक दशा में 14 दिनों के अंदर किया जाए। उन्होंने गन्ना मूल्य निर्धारण की वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन का निर्देश देते हुए कहा कि महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की गन्ना मूल्य निर्धारण नीति का अध्ययन करते हुए उनके अच्छे एवं लाभकारी फैसलों को उत्तर प्रदेश में भी लागू किया जाए, जिससे अन्ततोगत्वा किसानों को लाभ हो। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार नई चीनी मिलें स्थापित करने के लिए सभी जरूरी सुविधाएं कम से कम समय में उपलब्ध कराएगी। उन्होंने निर्देशित किया कि रसड़ा, सांझापुर, पीलीभीत, पिपराइच तथा मुण्डेरवा में नई चीनी मिलों की स्थापना का कार्य तेज किया जाए। साथ ही, वर्तमान में संचालित निजी एवं अन्य चीनी मिलों की क्षमता में विस्तार किया जाए। वर्ष 2011 में बिक्री की गई चीनी मिलों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इन चीनी मिलों के अभी तक संचालित न होने से स्थानीय किसानों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इस पर राज्य सरकार कार्यवाही करेगी।
श्री योगी ने गन्ने की अच्छी एवं अधिक परता देने वाली प्रजातियों को प्रोत्साहित करने का निर्देश देते हुए कहा कि गन्ना फसल की सुरक्षा के लिए जरूरी पेस्टीसाइड भी उपलब्ध कराए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने खुद पचपेड़वा में गन्ना किसान से मुलाकात की, जहां उन्हें बताया गया कि गन्ना किसान प्रति एकड़ 900 कुन्टल गन्ने का उत्पादन कर रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि प्रति एकड़ अधिक पैदावार एवं परता वाली गन्ना प्रजातियों का लाभ किसानों को मिल सकता है। उन्होंने गन्ना किसानों के भुगतान में नई तकनीक के प्रयोग को प्रोत्साहित करने की बात कहते हुए चीनी मिल मालिकों से अच्छे बीज की उपलब्धता सुनिश्चित करने की अपेक्षा भी की। उन्होंने मिल मालिकों से सीधे किसानों के खेत से गन्ना क्रय किए जाने पर बल देते हुए कहा कि इससे जहां गन्ने की रिकवरी बढ़ेगी, वहीं गन्ने की पत्ती के उपयोग के बारे में भी योजना बनायी जा सकेगी। उन्होंने चीनी मिल मालिकों को आश्वस्त किया कि राज्य सरकार प्रदेश की सड़कों को 15 जून, 2017 तक गड्ढा मुक्त कराने का अभियान चला रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सभी निजी चीनी मिलों को हर सम्भव मदद उपलब्ध करायी जाएगी। उन्होंने आबकारी विभाग को निर्देशित किया कि शीरा नीति सहित चीनी उद्योग से सम्बन्धित सभी लम्बित एवं तार्किक समस्याओं के निदान के लिए उचित प्रस्ताव उपलब्ध कराए जाएं, जिससे उनसे सम्बन्धित कठिनाइयों पर शीघ्र निर्णय लिया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश के विकास में चीनी मिलों को भी आगे आना चाहिए। इसके साथ ही, उन्हें अपने आसपास के गांव एवं कस्बे के विकास में योगदान देना चाहिए।
ज्ञातव्य है कि मुख्यमंत्री पहले ही गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग विभाग को निर्देशित कर चुके हैं कि प्रदेश की सभी क्रियाशील 116 चीनी मिलें प्रति वर्ष एक-एक गांव को अंगीकृत कर, उन्हें आदर्श गांव के रूप में विकसित करे। इसके साथ ही, गन्ना समिति स्तर पर प्रत्येक माह में एक बार गन्ना किसान दिवस का आयोजन कराकर गन्ना किसानों की शिकायतों को प्राथमिकता पर निस्तारित करने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक में आबकारी मंत्री श्री जय प्रताप सिंह, मुख्य सचिव श्री राहुल भटनागर एवं उ0प्र0 चीनी मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री सी0बी0 पटोदिया एवं अन्य सदस्य उपस्थित थे।