लखनऊ: उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक आदर्श सेनानी और कुशल रणनीतिकार थे। वे कर्तव्यपालन में अत्यन्त कठोर थे। उन्होंने सच्चे अर्थों में स्वराज्य की स्थापना की और सुशासन दिया। उन्होंने अपने शासन के दौरान जाति, धर्म आदि के नाम पर कोई भेदभाव नहीं किया और न्यायप्रियता के साथ सबका निर्वाह किया। शिवाजी महिलाओं का बहुत सम्मान करते थे। उन्हें पर्यावरण का भी बहुत ख्याल था। इसलिए उन्होंने अपने राज्य में जगह-जगह पर तालाब खुदवाए ताकि लोगों को पानी की कमी न हो। उन्होंने अपने राज्य में फलदार वृक्षों सहित अन्य वृक्षों की कटान पर मनाही कर रखी थी।
राज्यपाल जी ने यह विचार आज यहां लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित छत्रपति शिवाजी महाराज के साम्राज्योत्सव एवं ‘हिन्दवी स्वराज्य दिवस समारोह’ को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि राष्ट्र के स्वाभिमान के रक्षक और भारत की खोयी हुई प्रतिष्ठा को वापस स्थापित करने के लिए छत्रपति शिवाजी महाराज को सदैव याद किया जाएगा। उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सम्बन्धों पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि वाराणसी के पं0 गागा भट्ट ने छत्रपति शिवाजी का राज्याभिषेक करवाया था, जबकि भगवान राम का काफी समय महाराष्ट्र के पंचवटी में व्यतीत हुआ। उन्होंने कहा कि आज हमें छत्रपति शिवाजी द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलते हुए राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता है।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्यारोहण को हिन्दवी स्वराज्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह ध्यान देने की बात है कि इसका नाम हिन्दवी स्वराज्य क्यों रखा गया। इसका जवाब स्वामी विवेकानंद द्वारा अमेरिका में हुई धर्म संसद के सम्बोधन में मौजूद है। स्वामी जी ने कहा था कि जिस कौम को अपने इतिहास की जानकारी नहीं होती, वह अपने भूगोल की रक्षा नहीं कर सकती है। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने इतिहास को ठीक से जानें, समझें और इतिहास पुरुषों का सम्मान करें।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कुछ लोग गैर जानकारी और बाहरी प्रभावों से भ्रमित होकर इस कार्यक्रम का विरोध कर रहे हैं। देश के लोग यह सब देख रहे हैं और समय आने पर उचित निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास लिखने वालों में अधिकांश विदेशी थे, जिन्होंने राणा प्रताप, गुरु गोविन्द सिंह और छत्रपति शिवाजी के कार्यों को कमतर करके लिखा।
योगी जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविन्द सिंह जी तथा महाराणा प्रताप जैसे महापुरुष हमारे राष्ट्र नायक होने के साथ-साथ हमारी प्रेरणा के स्रोत भी हैं। देश और धर्म की सेवा हेतु इनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। अपनी सुख-सुविधा के लिए इन्होंने कभी भी आक्रान्ताओं से समझौता नहीं किया और न ही उनके सामने कभी झुके। शिवाजी महाराज ने स्वराज्य, स्वधर्म, स्वभाषा और स्वदेश के लिए जो कार्य किया, उसकी तुलना नहीं हो सकती।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि छत्रपति शिवाजी युग परिवर्तन के शिल्पकार थे। उन्होंने हिन्दवी स्वराज की स्थापना की, जो सच्चे अर्थों में सुराज्य था। उन्होंने कहा कि शिवाजी के शासन तंत्र में सिपाही, सेनापति, नायक तथा सामान्य नागरिक सभी आत्मविश्वास से भरे थे। इसका सबसे प्रमुख कारण था, स्वराज्य में उनकी आस्था। चूंकि छत्रपति शिवाजी महाराज स्वराज्य के सूत्रधार थे, इसलिए स्वाभाविक रूप से सभी की आस्था शिवाजी में भी थी। श्रेष्ठ नायक सदियों तक इतिहास की स्मृति में बने रहते हैं, भले ही वे रहें या न रहें। छत्रपति शिवाजी महाराज हिन्दवी स्वराज के जन्मदाता थे। उन्होंने स्वराज के विचार को जन-जन का विचार बना दिया था।
इससे पूर्व कार्यक्रम स्थल पहुंचने के उपरान्त उन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान आयोजकों द्वारा राज्यपाल जी तथा मुख्यमंत्री जी को शाॅल तथा प्रतीक चिन्ह भेंट किए गए।
कार्यक्रम को उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा, उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री भगत सिंह कोशियारी, तिब्बत की निर्वासित सरकार के उपसभापति आचार्य ये0शी0 फुंशुक तथा लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एस0पी0 सिंह ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर राज्य सरकार की मंत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी तथा श्रीमती अनुपमा जयसवाल सहित अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
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