नई दिल्ली: केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज 2 दिन तक चलने वाले 11वें लोक सेवा दिवस समारोह का उद्घाटन किया। उत्तर पूर्वी क्षेत्रों के विकास, प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष मामलों के केंद्रीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने भी इस कार्यक्रम को संबोधित किया। लोक सेवा दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया है। जिला/कार्यान्वयन इकाई केंद्र/राज्य सरकार के उन संगठनों को जिन्होंने निर्धारित वरीयता वाले कार्यक्रमों का उन्नत तरीकों से पूरा किया है, प्रधानमंत्री कल अवॉर्ड देंगे।
इस मौके पर श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि लोक सेवक सौभाग्यशाली हैं कि बेहद कम उम्र में उनके पास मौके, दायित्व और उसे पूरा करने के लिए न्यूनतम सुविधाएं हैं और देश को उनसे काफी उम्मीदें हैं। उन्होंने लोक सेवकों को इस मौके पर बधाई दी और कहा कि लोक सेवा दिवस अलग-अलग समस्याओं पर विचार विमर्श करने का एक मौका और आत्मविश्लेषण के लिए एक जगह है। आगे उन्होंने कहा कि लोक सेवक इस मौके पर आम लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर आत्ममंथन कर सकते हैं। गृहमंत्री ने कहा कि सरदार बल्लभ भाई पटेल ने एकबार कहा था कि लोक सेवा को अगर देश का स्टील का ढांचा कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। लोक सेवकों के लिए सरदार पटेल के 1948 में बताए मार्गदर्शी सिद्धांत आज के हालात में भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि लोक सेवा का स्टील का ढांचा आज़ादी के 70 साल बाद भी कमजोर नहीं हुआ है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है, आजादी के बाद से लोगों के रहन सहन में सुधार हो रहा है और ऐसे में लोक सेवकों का ये दायित्व बनता है कि लोगों का जीवन बेहतर करने की दिशा में अपना योगदान दें। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों ने देश में और भारतीय राज्य व्यवस्था में प्रशासनिक निरंतरता को बनाए रखा है और इन सालों में इसमें कोई कमी नहीं आई है। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों के पास कई शक्तियां हैं, लेकिन शक्ति हमेशा जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ आती है। उन्होंने कहा कि जिम्मेदारी का बंटवारा तो हो सकता है लेकिन जवाबदेही को कभी बांटा नहीं जा सकता। गृहमंत्री ने कहा कि जिम्मेदारी और जवाबदेही के बात तीसरी महत्वपूर्ण चीज है निष्पक्षता। अगर फैसले में निष्पक्षता नहीं होगी तो वो फैसला गलत हो सकता है। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को हमेशा समाधान का हिस्सा होना चाहिए और कभी भी समस्या का हिस्सा नहीं होना चाहिए। श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा विकास और अच्छे शासन पर जोर दिया है और उन्होंने 2022 तक रोटी, कपड़ा, मकान और शिक्षा जैसी जरूरी सुविधाएं समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा कि सरकार अंत्योदय को लेकर प्रतिबद्ध है और लोक सेवा को इसे पूरा करने में और सक्रिय और प्रभावी भूमिका निभानी होगी। उन्होंने ये भी कहा कि लोक सेवक फैसला लेते समय हमेशा नियमों का पालन करें और अगर राजनीतिक प्रबंधकों का कोई फैसला कानून सम्मत नहीं हो तो उन्हें भी बताएं। किसी भी फैसले का मानदंड लोगों का विकास होना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसे फैसले उन्हें खुशी देंगे और प्रतिष्ठा बढाएंगे। उन्होंने कहा कि लोक सेवकों को नियम-कानून को लागू करने का फैसला खुले और प्रगतिशील दिमाग से करें। श्री राजनाथ सिंह ने ये भी कहा कि नियम-कानून का इस्तेमाल सुविधा के लिए होनी चाहिए ना कि इससे काम में कोई बाधा पैदा हो। गृहमंत्री ने विश्वास जताया कि लोक सेवक नव भारत निर्माण के सपने को साकार करने में अपनी भूमिका निभाएंगे। केंद्रीय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि आजादी के बाद तब के गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने लोक सेवकों के पहले बैच को संबोधित किया था और आज भी इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह लोक सेवकों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये मौका है कि हम नव भारत निर्माण के लिए खुद को तैयार करें। लोक सेवकों को समकालीन नेतृत्व के लक्ष्यों के हिसाब से खुद को ढालना चाहिए। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कार्मिक मंत्रालय ने पिछले 3 साल में कई कोशिशें की है कई नए कदम उठाए हैं। सरकार ने कार्य अनुकूल माहौल बनाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार का लक्ष्य ‘मैक्सिमम गवर्नेंस, मिनिमम गवर्नमेंट’ है, जिसे हासिल करने के लिए लोक सेवक सबसे जरूरी हथियार हैं।
प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग के सचिव श्री सी विश्वनाथ ने कहा कि लोक सेवा दिवस समारोह 2006 से ही मनाया जा रहा है। इस साल की थीम है ‘नव भारत निर्माण’।
लोक सेवा दिवस पर कल जिन योजनाओं को अवॉर्ड दिए जाएंगे उनमें से पांच प्रमुख हैं, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, स्टार्टअप इंडिया/ स्टैंड अप इंडिया और ई-नेशनल एग्रीकल्चर मार्केट (ई-एएएम)। इसके अलावा परिभाषित थीम पर कार्य कर रहे केंद्र/राज्य सरकार के संस्थानों जैसे पर्यावरण संरक्षण, आपदा प्रबंधन, जल संरक्षण, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला और बच्चों पर केंद्रीत शुरुआत को भी अवॉर्ड के लिए शामिल किया जाएगा।
कुल 10 जिला/ संगठन को इस साल पांच प्राथमिक प्रोग्राम के तहत प्रधानमंत्री अवॉर्ड दिया जाएगा। ये अवॉर्ड तीन समुह में दिए जाएंगे। पहले समूह में ये अवॉर्ड 8 उत्तर पूर्वी राज्यों और तीन पहाड़ी राज्य उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर को, दूसरे समूह में सात केंद्र शासित प्रदेशों को और तीसरे समूह में बचे हुए 18 राज्यों को पुरस्कार दिए जाएंगे। इसके अलावा 2 पुरस्कार केंद्र/ राज्य की संस्था को नवीकरण वर्ग में दिए जाएंगे।