नई दिल्लीः रक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुभाष भामरे ने मानेकशॉ केंद्र में एक दिवसीय वार्षिक सेमिनार 2017-18 का उद्घाटन किया। यह सेमिनार ‘राष्ट्र निर्माण के प्रति सेना का योगदान’ विषय पर आयोजित किया गया था। इस सेमिनार का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के प्रति भारतीय सेना के योगदान को रेखांकित करना और भविष्य में सहभागिता के लिए क्षेत्रों की पहचान करना था।
मुख्य वक्ता के तौर पर डॉ. भामरे ने अपने संबोधन में कहा कि सेना की जरुरतों का 80 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा किया जाता है। हालांकि मेक इन इंडिया के प्रयास से इसमें बदलाव आ रहा है। आने वाले वर्षों में रक्षा बजट का एक बड़ा भाग स्वदेशी रक्षा उद्योग को प्राप्त होगा, जो वर्तमान में विदेशी कंपनियों के खाते में चला जाता है। भारतीय सेना वस्तुओं की विस्तृत श्रृंखला का उपयोग करती है। यह मेक इन इंडिया प्रयास को सफल बना सकती है।
सेना की भूमिका की प्रशंसा करते हुए डॉ. भामरे ने कहा कि संपूर्ण भारत में सेना की उपस्थिति है। इससे आपदाओं के दौरान सेना वास्तविक रूप में सबसे पहले सहायता के लिए पहुंचती है और हमारे नागरिकों के बहुमूल्य जीवन को बचाने में मदद करती है। सेना के समर्पित प्रयासों और योगदान के प्रति राष्ट्र कृतज्ञता की भावना रखता है।
डॉ. भामरे ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम उल्लंघन की घटनाएं होती हैं और भारतीय सेना, स्थानीय आबादी तथा अवसंरचना को लक्ष्य बनाकर गोलीबारी की जाती है। हालांकि हमारे सुरक्षा बलों ने लक्ष्य निर्धारित करके ऑपरेशंस किए हैं। इससे बड़ी संख्या में आतंकी निष्क्रिय हुए हैं। हमारी सुरक्षा पर खतरा पैदा करने वाले तत्वों को नष्ट करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर राज्यों में अलगाववाद की समस्या को काफी हद तक काबू में कर लिया गया है।
उन्होंने दो पुस्तकों का भी लोकार्पण किया। पहली पुस्तक प्रो. गौतम सेन द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक है – ‘द पर्पस ऑफ इंडियाज सिक्योरिटी स्ट्रैटिजी – डिफेंस, डेटरेंस एंड ग्लोबल इंवाल्वमेंट’। दूसरी पुस्तक कर्नल गौतम दास (अवकाश प्राप्त) द्वारा लिखी गई है जिसका शीर्षक है – ‘माउंटेन वारफेयर एंड द इंडियन आर्मी – टुवर्डस एन इफेक्टिव डेटरेंस केपेब्लिटी’। सेना प्रमुख जनरफ बिपिन रावत ने स्वागत भाषण दिया।
इस समारोह में राष्ट्र निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय सेना के योगदान की चर्चा हुई। जैसे शिक्षा, सामाजिक प्रणाली, युवा सशक्तिकरण, आर्थिक विकास, सुदूर क्षेत्रों में नागरिकों से सीधा जुड़ाव आदि।
इस सेमिनार में भारतीय सेना के तीनों अंगों के वर्तमान व सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी, रक्षा मंत्रालय, डीआरडीओ, रक्षा क्षेत्र के सार्वजनिक उद्यमों के अधिकारी व मीडियाकर्मी उपस्थित थे।