हरिद्वार: श्रीदक्षिण काली पीठाधीश्वर महामण्डलेश्वर कैलाशानन्द ब्रह्मचारी जी महाराज ने कहा है कि तंत्र भगवान को प्राप्त करने का सरल माध्यम है जो तप और साधना से प्राप्त हो जाता है। तंत्र कोई झाड़-फूंक या जादू-टोना न होकर साधकों के तपोबल से प्राप्त दैवीय शक्ति है जिससे कलियुग के कष्टोें से मुक्त होकर भक्त का कल्याण हो जाता है। वे आज पतित पावनी मां गंगा के नीलधारा तट पर स्थित अनादि सिद्धपीठ श्रीदक्षिण काली मन्दिर पर अनवरत चलने वाले अनुष्ठान एवं तंत्र साधना की जानकारी दे रहे थे।
अनादि सिद्धपीठ श्रीदक्षिण काली मन्दिर को तंत्र साधना की प्रधान पीठ बताते हुए कहा कि बाबा कामराज महाराज से बड़ा कोई तांत्रिक नहीं है जिन्हांेने अपनी तप साधना के आधार पर तारापीठ के संस्थापक वामाखेपा, कालीपीठ के रामकृष्ण परमहंस के गुरु तोतापुरी तथा पीताम्बरा पीठ के श्रीदतिया स्वामी को इसी पीठ से दीक्षित किया था उन्होंने आल्हा तथा मछला को अमर होने का वरदान दिया तथा स्वयं भी अमर हैं। गौरक्षपीठ के संस्थापक बाबा गोरखनाथ को सबसे बड़ा शिवभक्त बताते हुए कहा कि बाबा कामराज एवं बाबा गोरक्षनाथ दोनों ही समकालीन महापुरुष थे। बाबा गोरक्षनाथ की शिवभक्ति पर प्रकाश डालते हुए उन्हांेने बताया कि एक बार चीन के माओवादियों ने जब भारत पर आक्रमण किया तो बाबा गोरक्षनाथ ने मिट्टी की पुरुष रुपी प्रतिमायें बनाकर उनमें जान डाल दी थी जिन्होंने युद्ध कर चीन से माओवाद समाप्त कर दिया था।
गुरु गोरक्षनाथ एवं बाबा कामराज को अमर बताते हुए कहा कि तंत्र और साधना व्यक्ति को साहस, साधन और सम्पन्नता के साथ ही यश और कीर्ति भी प्रदान करता है। इसी माह के अन्त में आयोजित हो रही बाबा कामराज जयन्ती की जानकारी देते हुए कहा इस अवसर पर एक सप्ताह तक नियमित तप, साधना एवं यज्ञों का आयोजन होता है जिसमें साधक और भक्त मिलकर लोक कल्याण के लिए अनुष्ठान करते हैं। उन्हांेने बताया कि अनादि सिद्धपीठ श्रीदक्षिण काली मन्दिर विश्व की एकमात्र जागृत पीठ है जहां बाबा एवं माई प्रत्यक्ष रुप से विद्यमान रहते हैं इसीलिए इस पीठ पर आने वाले भक्तों का कल्याण हो जाता है और उनके दुःखों का स्वतः ही शमन हो जाता है।
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