नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के देश के पिछड़े क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता संपन्न तकनीकी तथा उच्च शिक्षा पर बल देने के विजन को पूरा करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने आईआईटी तथा एनआईटी के काफी योग्य और प्रेरित 1225 स्नातकों को अंडमान और निकोबार, असम, बिहार, जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश, ओडि़शा, झारखंड, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड जैसे राज्यों/ केंद्रशासित प्रदेशों के कॉलेजों में इंजीनियरिंग शिक्षा देने के लिए नियुक्त किया गया है। यह पहला अवसर है जब शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए ऐसा कदम उठाया गया है।
मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि ये मेधावी स्नातक अपने साथ अभिनव प्रयोग, शिक्षण के नए तरीकों, तथा कार्य उत्साह लाएंगे और परिवर्तन के वाहक के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि इस कदम से पिछड़े क्षेत्रों में युवा की आकांक्षाओं तथा प्रधानमंत्री के विजन को पूरा करने में मदद मिलेगी। उन्होंने आशा व्यक्त की कि ये शिक्षक विद्यार्थियों में स्टार्टअप संस्कृति प्रोत्साहित करने के अतिरिक्त पिछड़े क्षेत्रों की संपूर्ण शिक्षा प्रणाली में योगदान देंगे।
देश के प्रतिष्ठित संस्थानों के एमटेक तथा पीएचडी विद्यार्थियों से पिछड़े क्षेत्रों में कार्य करने और देश की सेवा करने की सार्वजनिक अपील की गई। इस अपील को काफी सराहा गया और 5000 से अधिक काफी योग्य व्यक्तियों ने आवेदन किया। विशेषज्ञ टीमें बनाकर देश के 20 एनआईटी में साक्षात्कार लिए गए।
सार्वजनिक अपील करने से लेकर चयन तक की संपूर्ण प्रक्रिया चयन की स्पर्धी और कठोर प्रक्रिया के माध्यम से रिकार्ड दो महीने की अवधि में पूरी की गई हैं। अंतत: 1225 उम्मीदवार चुने गए और उन्होंने इन राज्यों के 53 कॉलेजों में ज्वाइन किया है। नई फैकल्टी अगले तीन वर्षों के लिए इन संस्थानों में युवाओं को प्रशिक्षित करेगी।
प्रत्येक नव नियुक्त शिक्षक को प्रति माह 70,000 रुपये दिए जाएंगे और सरकार तीन वर्षों में 375 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इस कदम से अत्यधिक पिछड़े क्षेत्रों के 1 लाख से अधिक इंजीनियरिंग के विद्यार्थियों को बेहतर शिक्षा का लाभ मिलेगा।
इन क्षेत्रों में पिछड़ेपन का कारण आवश्यक रूप से गुण संपन्न शिक्षकों की कमी रहा। इन संस्थानों की फैकल्टी में रिक्तियां (कुछ में 40 प्रतिशत रिक्तियां) हैं। राज्यों ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय से शिक्षण समर्थन के लिए अनुरोध किए हैं।
टीईक्यूआईपी परियोजना
मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तीन वर्षों में यानी 2020 तक इंजीनियरिंग स्नातकों की गुणवत्ता में सुधार के लिए 2300 करोड़ रुपये की लागत से तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार परियोजना (टीईक्यूआईपी- III) प्रारंभ की। परियोजना का फोकस झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार, पूर्वोत्तर क्षेत्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश आदि राज्य हैं।
इस परियोजना के अंतर्गत सभी सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों को प्रत्यक्ष हस्तक्षेप तथा सभी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों को अप्रत्यक्ष हस्तक्षेप के लिए चुना गया है।
- संस्थान आधारित : एनबीए से पाठ्यक्रम की मान्यता, गवर्नेंस सुधार, प्रक्रिया सुधार, डिजिटल पहल, कॉलेजों के लिए स्वायत्तता प्राप्ति
- विद्यार्थी आधारित : शिक्षण गुणवत्ता में सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण, क्लास रूम सुविधाएं, पाठ्यक्रम संसोधन, उद्योग संवाद, विद्यार्थियों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, उद्योग विशेष कौशलों में विद्यार्थियों को प्रशिक्षित करना, विद्यार्थियों को जीएटीई परीक्षा के लिए तैयार करना।
चयनित शिक्षकों का प्रोफाइल :
- 86 प्रतिशत शिक्षक आईआईटी/ एनआईटी/आईआईएसईआर/ आईआईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों से हैं।
- उनमें से 24 प्रतिशत पीएचडी हैं। (अभी तक इन संस्थानों में पीएचडी डिग्री वाले कोई शिक्षक नहीं हैं।)
- संपूर्ण भारत चयन के कारण 26 राज्यों के 3690 जिलों से शिक्षक चुने गए हैं। इस तरह इन पिछड़े कॉलेजों को अखिल भारतीय स्वरूप मिला है।
- इनमें से 115 शिक्षक 7 महत्वकांक्षी जिलों में जा रहे हैं।
योग्यतानुसार उच्चतम
उच्चतम योग्यता पीएचडी : 293
उच्चतम स्नात्कोतर योग्यता : 932
कुल : 1225
- संस्थान (स्नातक) अनुसार
- आईआईटी/आईआईएससी/एनआईटीएस/आईआईएसईआरएस/आईआईआईटीएस से पीएचडी : 262
- अन्य संस्थानों से पीएचडी : 31
कुल (कुल पीएचडी) : 293
- आईआईटी/आईआईएससी/एनआईटीएस/आईआईएसईआरएस/आईआईआईटीएस से स्नातकोत्तर : 788
- अन्य संस्थानों से स्नातकोत्तर : 144
कुल (स्नातकोत्तर) : 932
राज्यवार विवरण
क्रम संख्या . | संस्थान का राज्य | ज्वाइन करने वाली फैकल्टी की संख्या | संस्थानों की संख्या |
1 | अंडमान और निकोबार | 2 | 1 |
2 | असम | 55 | 5 |
3 | बिहार | 210 | 7 |
4 | जम्मू और कश्मीर | 63 | 2 |
5 | झारखंड | 191 | 6 |
6 | मध्य प्रदेश | 194 | 7 |
7 | ओडिशा | 65 | 4 |
8 | राजस्थान | 301 | 11 |
9 | त्रिपुरा | 15 | 1 |
10 | उत्तर प्रदेश | 32 | 2 |
11 | उत्तराखंड | 97 | 7 |
कुल | 1225 | 53 |